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अद्भुत स्थल…. अकाल में भी नहीं सूखता वरदड़ की नाल में पानी

एमबी हॉस्टल के कमरें खंडर फिर भी पोर्टल पर एडमिशन किया शुरू 5 1 https://jaivardhannews.com/%e0%a4%85%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%ad%e0%a5%81%e0%a4%a4-%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a5%e0%a4%b2-%e0%a4%85%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%b9/

Rajasthan News: गर्मी के मौसम में देशभर में पानी का संकट खड़ा हो जाता है. अधिकांश जल स्रोत पानी के अभाव में सूखने लगते हैं, लेकिन राजस्थान के राजसमंद जिले के अंदर की नाल (vardar ki naal rajsamand) में एक ऐसा आश्रम है जहां पर अकाल के समय में भी कभी पानी नहीं सूखा. लोगों का मानना है कि यहां लगातार पानी बहती रहती है

राजसमंद. राजस्थान के राजसमंद जिले की पंचायत गजपुर की अरावली पर्वत शृंखला की गोद में वरदड़ की नाल आश्रम पर भगवान श्री बद्रीनारायण का मंदिर है. यहां पर माता गंगा का साक्षात चमत्कार देखने को मिलता है. यहां आश्रम के ऊपर से निरंतर पानी बहता रहता है. कहते हैं यहां अकाल में भी पानी नहीं सुखा. पानी आश्रम के ऊपर पहाड़ से निकलता है जो आश्रम के सामने होकर नीचे बने कुंड में भरता है. अगर इसके आगे देखें तो आपको पानी नहीं दिखाई देगा, क्योंकि इस आश्रम पर बने कुंड में पानी भरने के बाद यहीं पर समाहित हो जाता है. वरदड़ की नाल का यह आश्रम गजपुर से मात्र दो किलोमीटर अंदर है. यहां जाने के लिए पहले कच्चा रास्ता था, लेकिन अब पक्की सड़क बन चुकी है. आश्रम से 500 मीटर तक कच्ची सड़क है जहां वाहन दूर खडे़ कर आश्रम पर पहुंच सकते हैं. आश्रम पर गायों के लिए कई लोग  घास और दलिया भेंट कर जाते हैं. कहा जाता है कि 100 साल पहले आमेट के रावजी के काकासा सरूपसिंह घर छोड़ कर तपस्या करने वरदड़ की नाल आए गए. यहां पर उन्होनें कई वर्षों तक तपस्या की. उनकी भक्ति से प्रसन्न हाेकर भगवान बद्रीनारायण ने उन्हें दर्शन दिए और कहां यहीं पर कुटिया बनाकर रहें, लेकिन पहाड़ी पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी. तब भगवान ने कहां यहां पर थोड़ा सा खड्‌डा करो, तब सरूपसिंह ने हाथ भर खड्‌डा खोदा तो अंदर से पानी निकल आया. तब से लेकर आज तक यहां पर पानी अनवरत बहता रहता है. कहते है यहां पर कोई अपवित्र व्यक्ति पानी को छू ले तो पानी अपने आप बंद हो जाता था, लेकिन यहां महंत फिर से हवन अनुष्ठान करते तो पानी फिर शुरू हो जाता था.

यहां पर सरूपसिंह को लोग सरूपदासजी कह कर पुकारने लगे थे. वे अंतिम समय तक यहीं रहे. इसके बाद उन्होंने इसी आश्रम पर समाधी ली. यहां पर भगवान बद्रीनारायण का मंदिर सरूपसिंह जी ने ही बनवाया था. उनके  समाधी लेने के बाद यहां आश्रम पर महंत हरिदासजी, पीतांबर दासजी, चेतन दासजी और उनके बाद वर्तमान में त्रिवेणीदास आश्रम की सेवा कर रहे हैं. वरदड़ की नाल आश्रम पर एक गुफा बनी हुई है.

कहते हैं कि इस गुफा का दूसरा द्वार अंटालिया गांव की धुणी पर निकलता है. साथ ही इस गुफा को पहाड़ी नाथ बाबा के नाम से भी लोग जानते है. यहां पर आने वाले लोग यहां मत्था टेक मन्नत भी मांगते है. इसके अलावा आश्रम पर हनुमान का मंदिर, शिव परिवार सहित धुणी का स्थान है जहां पर सरूपदासजी तपस्या करते थे. यहां उदयपुर दरबार के राजघराने से आज भी यहां चना कुरमरा प्रसाद भिजवा रहे है. उदयपुर दरबार ने ही बद्रीनारायण का मंदिर बनवाया. वरदड़ की नाल में इस आश्रम पर भीषण गर्मी में भी यहां वातावतरण ठंडा रहता है. साथ ही यहां के आस-पास के लोग आश्रम पर अन्नदान भी करते है।

गुरु पूर्णिमा पर होता है विशेष कार्यक्रम

वरदड़ की नाल आश्रम पर प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा पर स्थानीय महमं द्वारा सरूपदास जी सहित सभी महंतों की समाधी पर पुष्पांजलि अर्पित कर सत्संग का आयोजन होता है. साथ ही प्रतिवर्ष अक्षय तृतीय मेले का आयोजन होता है, लेकिन पिछले दो सालों से मेले का आयोजन बंद हो गया है.

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