कांग्रेस में एक व्यक्ति, एक पद के फॉर्मूले के तहत राजसमंद जिला कार्यकारिणी के गठन में कई नेताओं को दोहरे दिया गया है। साथ ही कनिष्ठ को कार्यकारिणी में शामिल करने और वरिष्ठ को दरकिनार करने की भी चर्चा है। यही नहीं, कुछ पदाधिकारी ऐसे भी है, जो आज तक कभी पार्टी में सक्रिय ही नहीं रहे, मगर सीधे ही जिला कार्यकारिणी में शामिल हो गए, जबकि नगर व ब्लॉक के पदाधिकारी रह चुके नेताओं को भी जिला कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली, जिससे कुछ नेता हताश, निराश है। हालांकि अभी तक प्रत्यक्ष तौर पर किसी भी नेता ने जिला कार्यकारिणी की खिलाफ नहीं की है। प्रत्यक्ष तौर पर कोई सामने आकर विरोध करें या न करें, मगर पार्टी में अन्तर्कलह तो शुरू हो चुका है। इस कार्यकारिणी में जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष बहादुरसिंह चारण को कांग्रेस प्रवक्ता बनाया गया है। जेजे एक्ट 2015 में सदस्य व अध्यक्ष नियुक्ति नियमावली के तहत 3 वर्ष के लिए अध्यक्ष व सदस्य नियुक्त किए जाते हैं, जिसमें अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति संबंधी दिशा निर्देश के तहत कोई भी व्यक्ति अगर समिति का अध्यक्ष या सदस्य बनता है, तो वह किसी भी राजनीतिक दल का पदाधिकारी नहीं रह सकता है, जबकि बहादुर सिंह चारण पहले से राजसमंद नगर कांग्रेस अध्यक्ष थे, जो नए जिलाध्यक्ष नियुक्त होने के बाद स्वत: जिला कार्यकारिणी भंग हो गई थी। अभी बहादुरसिंह चारण बाल कल्याण समिति सदस्य है और अभी उन्हें कांग्रेस द्वारा जिला प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष हरिसिंह राठौड़ की अनुशंषा पर प्रदेशाध्यक्ष गोविदंसिंह डोटासरा द्वारा राजसमंद जिले की कार्यकारिणी की घोषणा की गई। इस तरह 1 संगठन महामंत्री, 1 कोषाध्यक्ष, 15 उपाध्यक्ष, 20 महासचिव, 30 सचिव, 2 प्रवक्ता व 1 सोशल मीडिया प्रभारी बनाया गया। इसमें कई जनप्रतिनिधियों को भी कांग्रेस जिला कार्यकारिणी में शामिल कर लिया, जबकि कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अनदेखी का आलम राजसमंद शहर से लेकर नाथद्वारा, भीम, देवगढ़ व कुंभलगढ़ क्षेत्र में भी देखने को मिला है, जहां पर कई वरिष्ठ नेताओं को जिला कार्यकारिणी में जगह ही नहीं मिली। कांग्रेस पूर्व पदाधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वरिष्ठ नेताओं की बजाय ऐसे कनिष्ठ कार्यकर्ताओं को तवज्जो दी गई है, जो आज तक न तो कभी वार्ड, ग्राम या शहर स्तरीय कमेटी में कभी कार्यकर्ता रहे हैं, जो सीधे ही जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी बन गए। हालांकि यह राहत की बात है कि अभी तक खुलकर कोई विरोध में नहीं आया।
केलवा कस्बा रहा जिले पर भारी
कांग्रेस जिलाध्यक्ष हरिसिंह राठौड़ मूलत: केलवा के निवासी है और उन्होंने जिला कार्यकारिणी में भी अपने केलवा गांव को प्राथमिकता दी, जिसमें युवा नेता मुकेश भार्गव को महासचिव, नानालाल सार्दूल को उपाध्यक्ष व रमेश भील को सचिव बनाया गया है। इस तरह एक 5 से 10 हजार तक की आबादी वाले गांव से जिलाध्यक्ष सहित चार पदाधिकारी जिला कार्यकारिणी में है। ऐसे में जिलेभर के कई बड़े कस्बों की इसमें अनदेखी देखी जा रही है।
बाल कल्याण समिति सदस्य को बनाया प्रवक्ता
जिला बाल कल्याण समिति सदस्य बहादुरसिंह चारण को जिला कांग्रेस कमेटी में प्रवक्ता बनाया गया है, जो नगर अध्यक्ष भी है। खास बात यह है कि बाल कल्याण समिति एक तरह से मिनी न्यायालय है, जहां की नियुक्ति संवैधानिक है। यह स्पष्ट शर्त है। किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के तहत जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित आवश्यक शर्ते एवं निर्देश के परिपत्र के अनुसार बिन्दु संख्या 4 में (iv) में यह स्पष्ट अंकित है कि वह किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी न हो। इस तरह बाल कल्याण समिति सदस्य किसी राजनीतिक संगठन का पदाधिकारी न हो, यह नियम अंकित है।
यह है जिला कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी
- जिला संगठन महामंत्री : गोविंद सनाढ्य काे संगठन महामंत्री
- जिला कोषाध्यक्ष : निखिल कच्छारा
- जिला प्रवक्ता : कुलदीप शर्मा और बहादुरसिंह चारण
- सोशल मीडिया जिला प्रभारी : महेश सेन, कुंवारिया
- जिला उपाध्यक्ष : रमजान भाई पठान, भगवत सिंह गुर्जर, हिमानी नन्दवाना, नानालाल सार्दुल, डालचंद कुमावत, शक्ति सिंह सोलंकी, लक्ष्मणलाल गुर्जर, चंद्रभानसिंह चुण्डावत, तेजपालसिंह रावत, मोहनसिंह सुजावत, प्रभुदयाल नागर, पुरूषोत्तम माली, धर्मनारायण पुरोहित, शान्तिलाल प्रजापत, कालूराम कुमावत
- जिला महासचिव : देवीलाल कुमावत, मुकेश भार्गव, अम्बालाल गाडरी, नारायण सुथार, हेमन्त रजक (लच्छु), राजकुमारी पालीवाल, खुमसिंह मुंदावत, महेशसिंह सोलंकी, जगदीशचन्द्र शर्मा, आसुराम मेवाड़ा, राजेश मेवाडा, अंजना जोशी, फतेहलाल गमेती, नारायणलाल रेबारी, प्रतापसिंह कुठवा, युवराजसिंह चौधरी, कालूलाल भील, मिरू खां आमेट, किशनलाल प्रजापत, दिलीप टांक मदारिया
- जिला सचिव : गोपाल पालीवाल, रमेश भील, मनोहर कीर, ईश्वरलाल सालवी, यशपालसिंह चारण, प्रकाश श्रीमाली, पूजा लोहार, अर्जुनसिंह चुण्डावत, सत्यनारायण बाहेती, नारूलाल मेघवाल, जगदीशचन्द्र हाड़ा, हीराराम भील, हीरा लाल कोठारी, रणजीतसिंह रावत, सवाईसिंह रावत, गोटू गुर्जर, दुर्गाप्रसाद सिंघानिया, मोहन लाल वर्मा, मोहन काठात, रतनलाल भील, रामेश्वरलाल खटीक, देवा गायरी, महेन्द्र पालीवाल, किशनलाल सुथार, श्रवणसिंह झाला, फतेह मोहम्मद रंगरेज, नाहरसिंह चुण्डावत, लट्टूराम बलाई, किशन लाल गाडरी, गणेश कीर
इनके पास हो गए अब दो- दो पद
कांग्रेस के एक व्यक्ति, एक पद के फॉर्मूले के विरुद्ध राजसमंद जिला कार्यकारिणी में कई लोगों को जिला कार्यकारिणी में शामिल कर लिया, जो पहले से जनप्रतिनिधि या संवैधानिक पद पर है। देलवाड़ा उप प्रधान रामेश्वरलाल खटीक को जिला सचिव नियुक्त किया गया है। इसी तरह पंचायत समिति देलवाड़ा सदस्य श्रवणसिंह झाला को जिला सचिव, ग्राम सेवा सहकारी समिति सनवाड़ अध्यक्ष नारायण सुथार को जिला महासचिव, राजसमंद नगरपरिषद में पार्षद हिमानी नन्दवाना, पार्षद हेमंत रजक (लच्छु), पार्षद राजकुमारी पालीवाल को जिला सचिव बनाया है। इसी तरह आमेट नगरपालिका के पार्षद व उपाध्यक्ष मीरू खां व देवगढ़ नगरपालिका के पार्षद राजेश मेवाड़ा को जिला महासचिव बनाया गया है। लसानी सरपंच आसुराम मेवाड़ा को जिला महासचिव सहित कई पदाधिकारी शामिल हुए हैं। इसी तरह देलवाड़ा प्रधान कसनी गमेती के पिता फतेहलाल गमेती को जिला सचिव नियुक्त किया है।
कई जिला पदाधिकारी तो वार्ड इकाई में ही नहीं रहे
कांग्रेस कमेटी की जिला कार्यकारिणी के गठन में कई ऐसे पदाधिकारियों को शामिल किया गया, जो कभी वार्ड या ग्राम पंचायत स्तरीय इकाई में भी कभी पदाधिकारी नहीं रहे। ऐसे में सीधे ही उन्हें जिला पदाधिकारी बना दिया गया, जिससे कांग्रेस कमेटी के नियम, कायदों की पालना को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
कई वरिष्ठ नेताओं को किया दरकिनार
राजसमंद से महेशप्रतापसिंह लखावत, सुंदरलाल कुमावत, मांगीलाल टांक, रेलमगरा से प्रकाश चौधरी, विजयप्रकाश सनाढ्य कुंवारिया, नारूलाल रेगर आमेट, गायड़सिंह सोलंकी आमेट, रामलाल गुर्जर जिलोला, गोपालसिंह पीटीआई भीम, ओमप्रकाश टांक भीम, नारायणसिंह पटेल, मोहनसिंह दोकुड़ी, अमरसिंह अजीतगढ़, लक्ष्मणसिंह रावत बार, विश्वंभरकृष्णसिंह रावत बग्गड़ को जिला कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली।