लक्ष्मणसिंह राठौड़ / पवन वैष्णव @ राजसमंद
राजसमंद जिले में सबसे ज्यादा तीन नगरपालिका की कमान संभालने वाले देवगढ़, आमेट व भीलवाड़ा जिले की गंगापुर नगरपालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली व वरिष्ठ लिपिक बलवंतसिंह को 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह रिश्वत की राशि भूमि पट्टे के बाद लेआउट प्लान जारी करने की एवज में 4 लाख रुपए मांगे जा रहे थे, मगर बाद में 2 लाख रुपए पर सहमति बनी। इसी के तहत पीड़ित ने 2 लाख रुपए दिए और एसीबी की टीम ने रंगे हाथ दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक अनूपसिंह ने बताया कि सेलागुड़ा तोलाराम सालवी ने आमेट शहर में एक भूखंड खरीदा। इस पर नगरपालिका आमेट से पट्टा बनाया, जो उसे प्राप्त भी कर लिया। उसके बाद नगरपालिका से लेआट प्लान जारी नहीं किया गया। पीड़ित जब नगरपालिका आमेट में वरिष्ठ लिपिक बलवंतसिंह राठौड़ से मिले, तो अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली के लिए 4 लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई। इस पर पीड़ित तोलीराम सालवी ने राजसमंद में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कार्यालय में जाकर शिकायत दर्ज करवा दी। इस पर एसीबी की टीम द्वारा तत्काल शिकायत का सत्यापन कराया गया, जिसमें रिश्वत मांगना सही पाया गया। इसके बाद मंगलवार शाम भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम के प्लान के अनुसार पीड़ित तोलाराम 2 लाख रुपए लेकर नगरपालिका आमेट कार्यालय पहुंच गया, जहां पर वरिष्ठ लिपिक को 2 लाख रुपए दे दिए। इस पर बलवंतसिंह द्वारा रिश्वत की राशि अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली को दे दी। इसके बाद इशारा पाते ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम नगरपालिका कार्यालय पहुंच गई, जहां अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली व वरिष्ठ लिपिक बलवंतसिंह राठौड़ को पकड़ लिया। इस पर अधिशासी अधिकारी की जेब से 40 हजार रुपए व उनकी कार से 1 लाख रुपए बरामद किए। इस तरह एसीबीपी की टीम ने अधिशासी अधिकारी माली के साथ वरिष्ठ लिपिक बलवंतसिंह राठौड़ को गिरफ्तार कर लिया।
देर शाम आरोपियों का कराया मेडिकल
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली और वरिष्ठ लिपिक बलवंत सिंह राठौड़ को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। साथ ही आरोपियों से रिश्वत की राशि को लेकर गहन पूछताछ की जा रही है। फिलहाल दोनों ही आरोपी एसीबी की कस्टडी में है।
नगरपालिका कार्यालय की भी गहन तलाशी
एसीबी की टीम द्वारा नगरपालिका अधिशासी अधिकारी माली व वरिष्ठ लिपिक बलवंतसिंह की मेज व अलमारी का गहन परीक्षण व तलाशी ली गई। फिलहाल तोलीराम सालवी के लेआउट प्लान वाली फाइल को जब्त कर लिया गया। इसके अलावा भी दफ्तर की तलाशी में एसीबी को खास सुराग हाथ लगे हैं, जिसकी तहकीकात की जा रही है।
अधिशासी अधिकारी के पास 3 जगह का चार्ज
आमेट नगरपालिका अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली की मूल रूप से पोस्टिंग देवगढ़ नगरपालिका में है। इसके अलावा नगरपालिका देवगढ़ व नगरपालिका आमेट में अधिशासी अधिकारी का चार्ज उन्हीं के पास था। इसके चलते माली की लंंबे समय से तीनों नगरपालिका में भागदौड़ चल रही थी। इसी वजह से क्षेत्रीय लोग भी अधिशासी अधिकारी से मिलने के लिए परेशान थे। जब लोग जाते, तो अक्सर अधिशासी अधिकारी किसी अन्य जगह पर ड्यूटी पर थे। गत माह भाजपा जिलाध्यक्ष मानसिंह बारहठ के साथ राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी, कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़ व भीम पूर्व विधायक हरिसिंह रावत के साथ कई भाजपा नेताओं ने देवगढ़ नगरपालिका में धरना दिया और अधिशासी अधिकारी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए थे।
रिश्वत के अलावा जेब में मिले डेढ़ लाख रुपए
2 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार ईओ कृष्णगोपाल माली की जेब से 41 हजार 500 रुपए और उसकी निजी कार से 1 लाख रुपए की संदिग्ध राशि मिली। अब एसीबी टीम द्वारा जेब व कार से मिली राशि के बारे में भी पूछताछ की जा रही है कि आखिर वह राशि उसके पास कहां से आई।
ईओ का तीन जगह आवास
ईओ कृष्णगोपाल माली मूलत: अजमेर जिले के मसूदा का रहने वाला है और उनके पिता रामस्वरूप माली है। बताया कि वह अभी भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा में डॉ. आरके महला की गली, आरकेपुरम कॉलोनी में किराए पर रहता है, जबकि देवगढ़ नगरपालिका में भी ईओ का सरकारी आवास है।
कोई भी रिश्वत मांगे तो तत्काल करें कॉल
राजसमंद के साथ ही राजस्थान में कार्यरत राज्य सरकार या केन्द्र सरकार के किसी भी सरकारी कार्यालय में कोई कार्मिक, अधिकारी, नेता या जनप्रतिनिधि अथवा दलाल किसी सरकारी कार्य के लिए रिश्वत की मांग करता है, तो तत्काल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के टोल फ्री नंबर 1064 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा वाट्सएप नंबर 94135-02834 पर मैसेज भी किया जा सकता है। टोल फ्री नंबर पर कॉल करने पर एसीबी द्वारा स्वत: कार्रवाई की जाएगी। अगर शिकायतकर्ता चाहे, तो उसका नाम गोपनीय भी रखा जा सकता है।