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एक हॉस्टल से एक साथ 26 छात्राएं गायब हो गई। इस पर कार्मिक, अफसर ही नहीं, बल्कि हर कोई हैरान रह गया। हॉस्टल से बालिकाओं के रहस्यमयी तरीके से लापता होने से हॉस्टल से जुड़े तमाम कार्मिक व अफसर भी सवालों के घेरे में आ गए। 26 बालिकाओं के लापता होने सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लेते हुए 3 अफसरों को तत्काल सस्पेंड कर दिया। साथ ही लापता बालिकाओं की तलाश शुरू कर दी। इसके लिए स्पेशल टीमों का गठन कियागया। पुलिस, प्रशासन की गहन तलाश के बाद सभी बालिकाओं के बारे में पता चल गया। प्रथम दृष्टया भोपाल व उसके आस पास के इलाके से सभी बालिकाओं को बरामद कर लिया है, मगर इस घटना को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि अब बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पुलिस व प्रशासन की जांच के बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आ पाएगी कि आखिर अचानक एक साथ सभी बालिकाएं कैसे गायब हो गई और इतनी देर तक वे कहां थी।

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के औचक निरीक्षण के दौरान आंचल चिल्ड्रन होम से एक साथ 26 बालिकाओं के लापता होने का पता चला। आंचल नाम के इस हॉस्टल में कुल 68 छात्राएं पंजीकृत हैं। राज्य बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष और सदस्यों ने निरीक्षण किया तो 68 में से 41 छात्राएं ही मौके पर मिलीं। जिसकी शिकायत पर परवलिया पुलिस ने हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव वीरा राणा से 7 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। इधर लापरवाही बरतने पर परियोजना अधिकारी समेत तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। बाद में पुलिस व प्रशासन द्वारा जब तलाश शुरू की गई तो 26 छात्राएं अलग अलग जगह से बरामद की गई। भोपाल और आसपास के क्षेत्र से बरामद किया गया है। 10 बच्चियां आदमपुर छावनी हरिपुरा, 13 बच्चियां अयोध्या बस्ती, 2 बच्चियां रूप नगर क्रेशर एरिया और एक बच्ची रायसेन से बरामद की गई है। जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह भी चिल्ड्रन होम का निरीक्षण करने पहुंचे। एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि प्राथमिक जांच और पूछताछ में ये सामने आया कि जिन 26 छात्राओं के लापता होने की बात की जा रही है। वे रजिस्ट्रेशन के बाद मन नहीं लगने से अपने परिवार के पास चली गईं है। जिसका सत्यापन करा रहे हैं।

चिल्ड्रन होम ही अवैध, 3 सस्पेंड व 2 से जवाब तलब

एसपी ने बताया कि बच्चियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अब तक की जांच में बच्चियों के साथ किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न और मारपीट संबंधी बात सामने नहीं आई है। सभी पहलुओं पर मामले की जांच की जा रही है। आंचल चिल्ड्रन होम का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा था। इसी आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग, परियोजना अधिकारी कोमल उपाध्याय और सुपरवाइजर मंजूषा राज को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग गंजबासौदा के परियोजना अधिकारी बृजेंद्र प्रताप सिंह को भी सस्पेंड किया है। भोपाल संभाग आयुक्त पवन कुमार शर्मा ने जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार सोलंकी और सहायक संचालक समेकित बाल संरक्षण योजना रामगोपाल यादव को शोकॉज नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष के निरीक्षण में खुली पोल

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के औचक निरीक्षण में यह पोल खुली। आंचल मिशनरी संस्था से संचालित चिल्ड्रन होम का निरीक्षण किया था। यहां के संचालक का नाम अनिल मैथ्यू है। हॉस्टल में सड़कों से रेस्क्यू कर लाई गईं बच्चियों को रखा जाता है। आंचल चिल्ड्रन होम में राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम को जो बच्चियां मौके पर मिली, वो छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और राजस्थान की रहने वाली हैं। रेस्क्यू की गई 6 से 18 साल तक की बच्चियों में 3 मुस्लिम, 3 क्रिश्चियन और 35 हिंदू हैं। निरीक्षण के दौरान मौके पर 26 छात्राएं नहीं होनेा सामने आया। मौके पर बाल संरक्षण आयोग को नाबालिग बच्चियों को उनके परिजनों के सुपुर्द करने की जानकारी हॉस्टल संचालक अनिल मैथ्यू ने दी थी। लेकिन, इनकी सुपुर्दगी का कोई भी दस्तावेज आयोग के अफसरों को नहीं दे सके थे।

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CWC के सामने पेश ही नहीं करने का सवाल

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने एक एनजीओ को चाइल्ड हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों को सुनने और मुश्किल में फंसे बच्चों को रेस्क्यू करने का काम सौंप रखा है। एनजीओ संचालक ने भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में आंचल नाम से हॉस्टल बनाया है। एनजीओ के कर्मचारियों ने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर आए डिस्ट्रेस और मुश्किल में फंसे बच्चों के कॉल के आधार पर साल 2020 से रेस्क्यू शुरू किया। अब तक 43 बच्चियों को रेस्क्यू किया। इनकी उम्र 6 से 18 साल के बीच है। प्रियंक कानूनगो का कहना है कि इस संस्था ने बच्चों को भोपाल की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करने के बजाय सीधे हॉस्टल में रखा। नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के सामने पेश कर बालिका गृह में भेजा जाना था।

हॉस्टल के किचन में मांस मिला, जवाब नहीं मिला

बाल अयोग टीम के निरीक्षण के दौरान हॉस्टल के किचन में मांस भी मिला। हॉस्टल में कई धर्म की बच्चियां हैं, लेकिन उन्होंने बताया कि ईसाई धर्म के अनुसार ही प्रार्थना कराई जाती है। हॉस्टल में कहीं भी सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं। रात में 2 महिलाओं‎ के अलावा 2 पुरुष गार्ड रहते हैं।‎ बच्चियों की सुरक्षा के लिए सिर्फ महिला गार्ड ही होना चाहिए। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने कहा- बच्चों को उनके धर्म और परिवार के प्रति उदासीन बना देना ठीक नहीं।

शिवराज ने तुरंत कार्रवाई का सीएम से किया आग्रह

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में हुई कार्रवाई पर लिखा- भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में बिना अनुमति संचालित बालगृह से 26 बालिकाओं के गायब होने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। मामले की गंभीरता तथा संवेदनशीलता को देखते हुए सरकार से संज्ञान लेने एवं त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह करता हूं।

बालकों का हॉस्टल चलाने वाले एनओ पर जताई चिंता

पूर्व मुख्यमंत्री के ट्वीट पर NCPCR के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा- संवेदनशीलता के लिए मनपूर्वक धन्यवाद भाई साहब। ये सभी बच्चियां सड़क और रेलवे स्टेशन से रेस्क्यू कर के लाई गईं थीं। इनमें अनाथ बच्चियां भी थीं। जो NGO सरकारी एजेंसी चाइल्ड लाइन के रूप में बच्चों को रेस्क्यू कर रही थी। उसी ने बच्चों को गुपचुप ढंग से अवैध बाल गृह में रखा था। संस्थाओं को चाइल्डलाइन का काम सौंपा जाना खतरनाक है। चुनाव के पहले कुछ अकर्मण्य अधिकारियों ने इन्हीं संस्थाओं के हाथ में बच्चों के संरक्षण हेतु चाइल्ड लाइन संचालित करने का काम देने का आदेश कैबिनेट से स्वीकृत करवा लिया था। इधर, कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा, जब-जब भाजपा की सरकार रहती है, इस तरह के अवैध बाल संरक्षण गृह तेजी से उभरते हैं। धर्मांतरण के साथ-साथ मानव तस्करी का घिनौना खेल होता है।