अयोध्या में श्रीराम मंदिर के 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देश व दुनिया के लोग उत्सुक है। कई लोग इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्व में शामिल होने के लिए अयोध्या जाने का प्लान भी बना चुके हैं। ऐसे में अयोध्या में रहने व ठहरने की क्या कुछ व्यवस्थाएं है, इसको लेकर जयवर्द्धन न्यूज लेकर आया है खास गाइड न्यूज, जिसमें आपका पता चलेगा कि अयोध्या में ठहरने की क्या कुछ खास व्यवस्थाएं है। अयोध्या में ठहरने के लिए धर्मशाला के साथ होटल भी उपलब्ध है। इसके अलावा अस्थायी तौर पर कुछ आवास बनाए गए हैं, जहां पर ठहरा जा सकता है। इसके अलावा मेहमानों के ठहरने के लिए भी मंदिर प्रबंधन के साथ यूपी सरकार द्वारा खास प्रबंध किए गए हैं। हालांकि 22 जनवरी 2024 आम लोगों को न आने की भी हिदायत दी गई है। क्योंकि दुनियाभर से लोग अयोध्या पहुंचेंगे, तो वहां ओवरक्राउडिंग की स्थिति बन जाएगी। इस कारण आम लोगों को असुविधा का सामना भी करना पड़ सकता है। इसलिए सुविधा के लिए अग्रिम बुकिंग भी बेहतर विकल्प है। अयोध्या में इस वक्त हर जगह सजावट की जा रही है। घरों से लेकर चौराहों और दुकानों को एक रंग में रंगा गया है। राम मंदिर की तरफ जाने वाली गलियों में देवी-देवताओं के झांकियों की पेंटिंग्स बनाई गई हैं। इस तरह पूरे अयोध्या नगरी को सजाया जा रहा है, जो पूरे देश व दुनिया से आने वाले लोगों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहेगा।
- 6 दिसंबर 1992 : अयोध्या का पूरा माहौल राममय था। विश्व हिंदू परिषद ने कारसेवा का ऐलान किया था। उग्र कारसेवकों ने विवादित ढांचा ढहा दिया। उस वक्त ये देश की सबसे बड़ी घटना थी। देश-विदेश से बड़े जर्नलिस्ट इसे कवर करने आए थे। सभी ने रामजन्म भूमि से 8 किमी दूर बने शान-ए-अवध होटल में बेस बनाया था।
- 1986 में बना शान-ए-अवध अयोध्या का सबसे पुराना होटल है। 31 साल बाद ये फिर मेहमानों के लिए तैयार है। अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को रामलला के मंदिर का उद्घाटन है, इससे पहले ही अयोध्या के ज्यादातर होटल और धर्मशालाएं बुक हो गई हैं।
पांच लाख तक लोग आएंगे, होटल की एडवांस बुकिंग
अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी को मंदिर ट्रस्ट को अनुमान है कि करीब पांच लाख लोग आ सकते हैं। महोत्सव के तहत प्रतिदिन दो लाख श्रद्धालु आ सकते हैं। होटल व धर्मशाला की एडवांस बुकिंग चल रही है। हालांकि मंदिर ट्रस्ट व सरकार द्वारा आमजन की सुविधा को लेकर 500 होम स्टे खोलने की तैयारी चल रही है। इसके अलावा यहां पर एक दर्जन से ज्यादा होटल भी है, जहां एडवांस बुकिंग चल रही है। इनमें शान-ए-अवध, पार्क इन, रामायण, रेडिसन, पंचशील, कोहिनूर, रॉयल हेरिटेज, त्रिमूर्ति और अवध सनशाइन आदि होटले हैं, जहां पर एक दिन का किराया 4 हजार रुपए से लेकर 35 हजार रुपए तक प्रतिदिन है। होटल शान-ए-अवध के मालिक शरद कपूर बताते हैं, ‘यहां होटलों के 80% रूम बुक हो चुके हैं। अयोध्या के होटल सेक्टर में इससे अच्छे दिन शायद फिर नहीं आ सकते।
अयोध्या में 100 रुपए में भी किराए पर मिलेंगे कमरे
अयोध्या में देश व दुनियाभर से श्रद्धालु आ रहे हैं, जिनके ठहरने के लिए मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन के साथ सरकार द्वारा भी खास इंतजाम किए जा रहे हैं। पर्यटन अधिकारी आरपी यादव ने मीडिया को बताया कि अयोध्या में 175 होटल और धर्मशाला की व्यवस्था है। यात्री अपनी सहूलियत और बजट के हिसाब से यहां ठहर सकते हैं। इसके लिए न्यूनतम 100 रुपए में भी कमरा मिल सकेगा। साथ ही अधिकतम 35 हजार रुपए तक के किराए में भी कमरा उपलब्ध है। ऐसे में श्रद्धालु अपनी सुविधा के आधार पर कमरा किराए पर ले सकता है।
4 गुना तक बढ़ गया बिजनेस, 2 साल में बनेंगे 51 नए होटल
अयोध्या पर्यटन विभाग के मुताबिक, एक साल में राम नगरी में 500 से ज्यादा घरों को होम स्टे की तर्ज पर डेवलप किया गया है। इसमें एक शर्त रखी गई है कि कोई भी मकान मालिक घर में ज्यादा से ज्यादा 5 कमरों को ही होम स्टे में बदल सकता है। होम स्टे बनने से अयोध्या के होटलों और धर्मशालाओं पर लोड कम होगा।
धर्मशाला में भोजन भी रहेगा फ्री, देखिए श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं
अयोध्या में श्रद्धालुओं के लिए कई जगह खाने व नाश्ते का भी मुफ्त इंतजाम किया जा रहा है। इसके तहत अयोध्या में राम पथ, भक्ति पथ व जन्मभूमि पथ क्षेत्र की धर्मशालाओं में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को मुफ्त में खाना मिलेगा। इसके लिए श्रद्धालुओं को अपना आधार कार्ड दिखाना पड़ेगा। इसके अलावा पिज्जा हट, डोमिनोज, ऑरा फूड, एवरग्रीन रेस्टोरेंट, रामप्रस्थ सरीखे कई रेस्टोरेंट की चेन भी रामलला मंदिर के आसपास हैं। सबसे ज्यादा श्रद्धालु 84 कोसी परिक्रमा मार्ग से रामलला के दर्शन करने पहुंचेंगे। इसलिए यहां शराब की दुकानें बंद रखी जाएंगी। यहां आमजन की सुविधा के लिए नाश्ता व भोजन फ्री में उपलब्ध करवाने के लिए प्रबंध किए गए हैं।
वाराणसी से अयोध्या तक हेलिकॉप्टर सुविधा फरवरी से मिलेगी
अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद क्रूज बोट और हेलिकॉप्टर चलाने की भी तैयारी है। हालांकि अभी इनके लिए इंतजार करना होगा। पर्यटन अधिकारी राजेंद्र प्रताप यादव ने मीडिया केा बताया कि वाराणसी से अयोध्या तक हेलिकॉप्टर की कनेक्टिविटी के लिए कई कंपनियों से बात चल रही है। सरयू नदी में क्रूज बोट चलाने का प्रोजेक्ट फिलहाल होल्ड है। गुप्तार घाट पर जटायु क्रूज की रिपेयरिंग और सजावट का काम चल रहा है। जल्द ही अलकनंदा क्रूज के साथ ही जटायु क्रूज को भी सरयू में उतारा जाएगा।
अयोध्या की 10 खास जगह, जिसे देखना ही चाहिए
- कनक भवन : मान्यता है कि राम व सीता के स्वयंवर के बाद रानी कैकेयी ने इसे सीता को भेंट किया था। सीता के साथ राम यहां 6 महीने तक रुके थे। कनक भवन के आंगन में हमेशा भजन-कीर्तन होता रहता है। यहां राम और सीता एक साथ विराजते हैं। दोनों मूर्तियों का मुकुट सोने का है।
- हनुमान गढ़ी मंदिर : यह अयोध्या का सबसे ऊंचा मंदिर हैं। यहां तक पहुंचने के लिए 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। हनुमान गढ़ी में श्रीराम की प्रतिमा के साथ हनुमान और उनकी मां अंजनी की मूर्ति लगी है। मान्यता है कि हनुमान जी की अनुमति मिलने के बाद रामलला के दर्शन के लिए जा सकते हैं। रामनवमी और हनुमान जयंती पर इस मंदिर में 5 लाख से ज्यादा लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
- दशरथ महल : भक्ति पथ व जन्मभूमि पथ दोनों रास्ते जहां खत्म होते हैं, वहीं पर दशरथ महल है। इसी महल में रामलला व उनके 3 भाइयों का बचपन बीता था। दशरथ महल में राम-सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां लगी हैं।
- नागेश्वरनाथ मंदिर : सरयू नदी के घाट पर नागेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण श्रीराम के पुत्र कुश ने कराया था। मान्यता है कि कुश सरयू में नहा रहे थे, तभी उनका कंगन नदी में खो गया। एक नागकन्या को उनका कंगन मिला, जिससे कुश को प्रेम हो गया। नागकन्या शिवभक्त थी, इसलिए कुश ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। अयोध्या का ये इकलौता मंदिर है, जो 1500 साल, यानी राजा विक्रमादित्य के वक्त से है।
- त्रेता के ठाकुर : इसे कालेराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इसी जगह भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू के राजा ने मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में मध्यप्रदेश के इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने जीर्णोद्धार कराया। यहां स्थापित काले पत्थरों की मूर्तियां राजा विक्रमादित्य के समय की हैं।
- मणि पर्वत : लंका में राम और रावण का युद्ध चल रहा था, तो लक्ष्मण घायल हो गए थे। लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी का पर्वत लेकर लंका जा रहे थे। अयोध्या से गुजरते समय पर्वत का एक हिस्सा यहीं गिर गया। पर्वत के उसी हिस्से से 65 फीट ऊंची पहाड़ी बन गई। इसे ही मणि पर्वत कहा जाता है।
- छोटी देवकाली मंदिर : श्रीराम से स्वयंवर करके सीता जनकपुर से अयोध्या आईं, तो अपने साथ देवी गिरिजा की मूर्ति भी लाई थीं। राजा दशरथ ने उस मूर्ति की स्थापना के लिए ये मंदिर बनवाया था। देवी गिरिजा की मूर्ति की स्थापना के बाद माता सीता रोज यहां पूजा करती थीं। अब इस मंदिर को देवी देवकाली के नाम से जानते हैं।
- गुप्तार घाट : सरयू किनारे भगवान श्रीराम ने इसी घाट पर जल समाधि ली थी। राजा दर्शन सिंह ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ये घाट बनवाया था। घाट पर राम जानकी का मंदिर, पुराना चरण पादुका मंदिर, नरसिंह मंदिर और हनुमान मंदिर है।
- बिड़ला मंदिर : अयोध्या-फैजाबाद मार्ग पर बिड़ला मंदिर है। रामलला के मंदिर का मुख्य रास्ता भी इसी मंदिर के सामने से निकलता है। लाल और पीले रंग में बिड़ला मंदिर का निर्माण नागर शैली में हुआ है। यहां राम-सीता के साथ लक्ष्मण की मूर्ति लगी है। मंदिर से सटी बिड़ला धर्मशाला है, जो 1965 में बनी थी। इस धर्मशाला में 55 कमरे हैं।
- तुलसी स्मारक : तुलसी स्मारक भवन संत गोस्वामी तुलसीदास को समर्पित है। यहां रोज सम्मेलन और धार्मिक प्रवचन होते हैं। अयोध्या शोध संस्थान भी यहीं है, जहां तुलसीदास की रचनाएं मौजूद हैं। यहां रोज रामलीला और रामायण का मंचन होता है।