मनख जात रो काई केवणो । भोमका ठाडी पड़ी तो केई जीव जनावर आया। नाना नाना ऊं लगाइन मोटा मोटा तक । पाणी में माछळियां आई तो धरती पे डाकी डाकी जीव आया। हाथी तो वणारे आगे कठेईस नी लागे । अस्या जीवां ने डाइनासोर नाम दीदो । अणा जीवां बी लाखों वरसां तक आपणो जमारो हदारियो पछे वे बी अळोप वेई गिया।
अबे फोटू में देखो वणाने के सनीमा में। एक सनीमो आयो हो जुरासिक पारक । वणीरो हीरो केवे जो वोई हो डायनासोर। कतराई जीव आया न परा गिया । हंगला केड़े आयो यो नामिक भरियो मनख।अणी तो आवताईन कळाकारी करणी सरू कीदी। पेली रा जनावर मूंडा मूंड मारता हा पण यो धोका ऊं मोरा पाछे मारवा ढूको । ईस्वर बी अणी री खोपड़ी में नामिक वत्तो दिमाग काई देई दीदो, यो तो कंडेई गणती में नी गणे। दूजा जीवा ऊं दवेस राखे जतरे तो ठीक है, पण अंडे तो मनख रो जायो बी नी खटीरो बळे ।
आज री टेम में पेली ऊं मनख मनख रे मलवा रा सांसा, वणी ऊपरे यो मारकूट रो खेल । मनख वना मनख नी रेई सके तो मनख ईस मनख ने रांदी रो क्यूं । या वात हमज में नी आई री है। मनखां री भीड़ है पण हेरो तो आपणो कोईस नी। या दनिया असी काई वेई गी । देवरा वाले मनखां ने उतमधड़ा करवा हारू वणाया काई ? वणी तो वणाया के सबी हेळ मेळ ऊं रेवो । कणी रे दक आवे तो वणीने झेलो देवो । नामिक मनखा चारो राखो । पण यो काई हाळाबोळ वेई गियो म्हारा ईस्वर। पाणी पैंताल में मनख, भोमका पे मनख, वाइरा में मनख, ठेठ आकास पे मनख । दूजा गरहां पेबी मनख। कदी चांद बावजी पे पलोट काटी रियो है तो कदी मंगळ पे ठकाणो हेरी रियो है । यो कठे जाइन ढबेला कणीनेई गतागम कोइनी । अणीरो एक इस धरम है- रिपयो । हर काम में दूजा री गाबड़ी मरोड़णी न रिपया कड़ावणा। अणी यो नवो मनखाचारो वणाई लीदो। और तो और भगवान ऊं कळा करवा में बी पाछे नी है यो करम खोड़लो। मन्दर रा देवता ने बी हूंक देवे के म्हारो यो काम हल्ले लागी जाई तो अतरा रिपया रो परसाद अरोगाऊंला । परसाद बी योईस खावे । भगवान तो है वासना रा भूखा । परेम ऊं भेंट चढ़ावो तो नामिक में राजी दूजूं कळाकारी में तो वे बी हंगळा ने पाछे मेले ।
हंगळी वातां रो सार यो के मनख रो जायो मनखपणा ने भी भूले, जतरेईस हाऊ । मदर इंडिया सनीमा रो एक गाणो हो. नी मैं भगवान हूं, नी मैं सैतान हूं, दुनिया जो चावे हमजे, मूं तो इंसासन हूं। मन में योईस भाव उपजणो चावे । आज मलक पे इन्सानां री घणी कमी वेई गी है। बारणाऊं तो कठूं लावां । चालो आपणा मन में ई हेरां, बैठो वेला कणीन कणी खूणा में । हेरियां तो लादेलाइस माइलो इन्सान।
डॉ. गोपाल राजगोपाल वरिष्ठ साहित्यकार एवं
आचार्य सामुदायिक स्वास्थ्य विभाग, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर