राजसमंद शहर में स्थित गांधी सेवा सदन परिसर में जिला प्रशासन एवं गांधी सेवा सदन के तत्वावधान में महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया गया। सवा दस बजे जिला प्रमुख रतनीदेवी चौधरी, जिला कलक्टर डॉ. भंवरलाल, अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेन्द्रसिंह, गांधी सेवा सदन के मंत्री डॉ. महेंद्र कर्णावट के साथ गांधी सेवा सदन के पदाधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों व शहरवासियों द्वारा सुत की माला पहनाकर व पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने लहर लहर लहराए तिरंगा…, अरे घास री रोटी ही…, भारत मां का मान बढ़ाने, रघुपति राघव राजाराम… रामधुन का गायन किया गया। अंत में सभी ने एक मिनट मौन रखकर शहीदों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सीता सालवी ने मधुर गीत पेश किया, जबकि मोनिका डांगी के साथ छात्राओं ने मनमोहक भक्ति गीत प्रस्तुत किए। अमान ने कुरान का पाठ किया।
कार्यक्रम में ये थे मौजूद
कार्यक्रम में शिक्षाविद चतुर कोठारी, कार्यकारी अध्यक्ष ललित बड़ोला, उपाध्यक्ष मधुसूदन व्यास, गणपत धर्मावत, अफजल
खां अफजल, कालू शाह, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी रविंद्र कुमार तोमर, राजेंद्र गग्गड़, समग्र शिक्षा परियोजना निदेशक घनश्याम गौड़, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी शिवकुमार व्यास, जिला रसद अधिकारी संदीप माथुर, विद्युत निगम एक्सईएन एमके रेगर, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग उप निदेशक हिम्मतमल कीर, समाज कल्याण अधिकारी जयप्रकाश चारण के साथ काशीराम पालीवाल, प्रधानाचार्य शिव कुमार जादौन, भैरूसिंह राठौड़, संगीतकार विजय कंडारा, राजकुमार दक, दिनेश श्रीमाली, एडवोकेट रामलाल जाट आदि मौजूद थे।
कलक्टर ने किया गांधी दर्शन संग्रहालय का अवलोकन
शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद जिला कलक्टर डॉ. भंवरलाल व एडीएम राजेंद्र सिंह ने गांधी सेवा सदन परिसर में स्थित गांधी दर्शन संग्रहालय का अवलोकन किया, जिसमें संविधान, गांधीजी के साहित्य, स्वतंत्रता आंदोलन की तस्वीरें व स्वतंत्रता आंदोलन में राजसमंद से सहभागी बने स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जाना। उसके बाद स्वतंत्रता सेनानी देवेंद्र कर्णावट के कक्ष का अवलोकन किया और उनके जीवन प्रसंगों के बारे में डॉ. महेंद्र कर्णावट व दिनेश श्रीमाली द्वारा जानकारी दी गई।
महात्मा गांधी का जन्म
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था व एक धार्मिक महिला थी । ब्रिटिश हुकूमत में इनके पिता पोरबंदर और राजकोट के दीवान थे। महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और यह अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे थे। गांधी जी का सीधा-सरल जीवन इनकी मां से प्रेरित था। गांधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ, उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा, जिसके कारण वह सत्य और अहिंसा में अटूट विश्वास करते थे और आजीवन उसका अनुसरण भी किया।
गांधी जी की शिक्षा
गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद इनके पिता का राजकोट ट्रांसफर हो जाने की वजह से उन्होंने राजकोट से अपनी बची हुई शिक्षा पूरी की। साल 1887 में राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश प्राप्त किया, लेकिन घर से दूर रहने के कारण वह अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाएं और अस्वस्थ होकर पोरबंदर वापस लौट गए। 4 सितम्बर 1888 को इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुए। गांधीजी ने लंदन में लंदन वेजीटेरियन सोसायटी की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। गांधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसाइटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका में लेख लिखने लगे।
गांधी जी का वैवाहिक जीवन
गांधी जी का विवाह सन् 1883 में मात्र 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा जी से हुआ था। कस्तूरबा गांधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे । शादी से पहले तक कस्तूरबा पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं। गांधी जी ने उन्हें लिखना- पढ़ना सिखाया। साल 1885 में गांधी जी की पहली संतान ने जन्म लिया, लेकिन कुछ समय बाद ही निधन हो गया था।
महात्मा गांधी की मृत्यु
30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने बिरला हाउस में गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। गांधी जी को तीन गोलियां मारी गयी थी, अंतिम समय उनके मुख से ‘हे राम’ शब्द निकले थे उनकी मृत्यु के बाद नई दिल्ली के राजघाट पर उनका समाधि स्थल बनाया गया है महात्मा गांधी 79 साल की उम्र में वे सभी देशवासियों को अलविदा कहकर चले गये।