राजस्थान में कांग्रेस की तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार के 81 मंत्री-विधायकों द्वारा 25 सितंबर 2022 को दिए गए सामूहिक इस्तीफे के मामले में अब नया सियासी बम फूटा है। भाजपा नेता राजेन्द्र राठौड़ की पीआईएल पर चल रही सुनवाई के तहत शुक्रवार को मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश किया गया। इसमें कहा गया कि पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, टीकाराम जूली व ममता भूपेश सहित अन्य ने अपने इस्तीफे वापस लेने की अर्जियों में कहा कि उनके इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। इस्तीफों पर स्वैच्छिक तौर पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। कई मंत्री- विधायकों ने यह भी कहा कि उन्होंने स्पीकर के समक्ष व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर इस्तीफे नहीं दिए थे। मौजूदा स्पीकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर कोर्ट में उपस्थित हुए व प्रतीक माथुर ने जवाब पेश किया। विधायकों के इस्तीफे व उन्हें वापस लेने के प्रार्थना पत्र भी पेश किए। इनमें खुलासा हुआ कि उन्होंने इस्तीफा स्वैच्छिक तौर पर नहीं दिया जबकि विधानसभा अध्यक्ष से इस्तीफे अविलम्ब मंजूर करने का आग्रह किया गया था। मामले में जस्टिस पंकज भंडारी व भुवन गोयल की खंडपीठ ने स्पीकर का जवाब रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की सुनवाई 5 मार्च को तय की है।
घटना बहुत बड़ी, न जांच हुई, न प्रसंज्ञान लिया
मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष की ओर से कोर्ट में पेश जवाब में यह भी कहा कि विधायकों के इस्तीफे देने व उन्हें वापस लेने की घटना बहुत बड़ी है। उसकी जांच होनी चाहिए लेकिन तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष ने इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद इस पर प्रसंज्ञान नहीं लिया।
राजैन्द्र राठौड़ ने कहा -गहलोत का दबाव था
राठौड़ ने कहा कि इस्तीफा वापसी के प्रार्थना पत्रों में मनीषा पंवार, मंजू देवी, ममता भूपेश कृष्णा पूनिया, प्रीति शक्तावत, इंदिरा मीणा, शोभारानी कुशवाहा आदि महिला विधायकों ने खुद के लिए पुलिंग शब्द का उपयोग करते हुए लिखा कि इस्तीफा वापस लेता हूं। इससे साबित है कि इस्तीफे योजनाबद्ध तरीके से कांग्रेस आलाकमान को प्रभावित करने के लिए पूर्वं सीएम अशोक गहलोत के दबाव में दिलवाए गए। राठौड़ ने कहा कि टीकाराम जूली, शांति धारीवाल, महेश जोशी, अशोक चांदना, उदयलाल आंजना ने भी कहा कि उनके इस्तीफों पर स्वैच्छिक हस्ताक्षर नहीं थे। विधायकों का 110 दिन बाद यह कहना कि उनके त्याग पत्र स्वैच्छिक नहीं थे, तो यह सवाल उठता है कि उन्होंने किसके दबाव में इस्तीफे दिए थे।
कांग्रेस से ऊबे महेंद्रजीत
गहलोत सरकार में मंत्री रहे एवं बागीदौरा से मौजूदा विधायक महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने कांग्रेस छोड़ने के संकेत दिए हैं। दिल्ली में उन्होंने एक बयान में कहा- कांग्रेस की स्थिति सब देख रहे हैं। पार्टी में पहले जो विजन था, वह अब नहीं रहा। पार्टी कुछ लोगों से घिर गई है। 2013 में और अब मेरा नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए चला, बनाया नहीं पिछली गहलोत सरकार में भी मुझे 3 साल बाद मंत्री बनाया। इधर, मालवीय के भाजपा में जाने की अटकलों व वागड़ में नुकसान के मदेनजर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है। गहलोत ने विधायक अर्जुन बामनिया, नानालाल निनामा, रमीला खड़िया को जयपुर बुलाकर चर्चा की। माना जा रहा है कि निनामा भी मालवीय के साथ जा सकते हैं।
भाजपा को फायदा
कांग्रेस के आदिवासी चेहरे मालवीय को शामिल कर भाजपा एकसाथ कई निशाने साथ लेगी। उन्हें डूंगरपुर-बांसवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है। इसके बाद पंचायती राज चुनाव में भी भाजपा को लाभ मिल सकता है।