महिला द्वारा जीप चालक पर बलात्कार के आरोप लगाते हुए थाने में FIR दर्ज करवाई और न्यायालय के समक्ष धारा 164 के तहत भी यही बयान दिए। इस पर पुलिस ने आरोपी जीप चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मामला जिला एवं सेशन न्यायालय राजसमंद पहुंचा, जहां ट्रायल के दौरान महिला अपने बयानों से पलट गई और बलात्कार नहीं होने के बयान दिए। इस तरह झूठे केस में एक निर्दोष को जेल भिजवाने को गंभीरता से लेते हुए जिला एवं सेशन न्यायाधीश राघवेंद्र काछवाल ने प्रसंज्ञान लेते हुए महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दे दिए।
जिला एवं सेशन न्यायालय राजसमंद के लोक अभियोजक जयदेव कच्छावा ने बताया कि एक महिला ने भीम थाने में 25 जुलाई 2019 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया था कि 29 जून 2019 को वह उसके पति के साथ ननद के घर छापली गांव गई थी, जहां पर किसी बात को लेकर उसके पति व ननद के बीच झगड़ा हो गया। चूंकि रात हो चुकी थी, तो वापस घर जाने के लिए उसने उसकी बहन के जरिए नेनुसिंह को कॉल कर जीप लेकर बुलाया, ताकि वह उसे भीम क्षेत्र में घर छोड़ सके। इस पर नेनुसिंह जीप लेकर पहुंच गया। फिर वह घर के निकली, मगर उसका पति बहन के घर ही रूक गया, वह नहीं आया। इस पर महिला ही जीप में बैठ गई और नेनुसिंह को घर छोड़ने के लिए बोल दिया। रात में जीप कुछ किलोमीटर आगे निकली, उसके बाद उसे अकेली देखकर जीप चालक नेनुसिंह उससे छेड़छाड़ करने लगा। जब उसने विरोध किया तो आरोपी नेनुसिंह द्वारा जान से मारने की धमकी, जिससे वह काफी घबरा गई। फिर आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया।
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इस तरह भीम थाना पुलिस ने प्रकरण दर्ज करने के बाद महिला के देवगढ़ न्यायालय में धारा 164 के तहत बयान दर्ज करवाए। फिर आरोपी नेनुसिंह को गिरफ्तार कर पुलिस ने न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जेल हो गई। उसके बाद भीम पुलिस द्वारा आरोपी के खिलाफ जिला एवं सेशन न्यायालय राजसमंद में चार्जशीट पेश की, जहां सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला अपने बयान से पलट गई। महिला ने बताया कि उसके साथ कोई बलात्कार नहीं हुआ। न्यायालय में पीड़िता के सशपथ बयान लेखबद्ध किए, बताया कि नेनूसिंह ने उसके साथ कुछ भी नहीं किया था। उसके पति ने जेवर व पैसों की खातिर नेनुसिंह के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाया। इस तरह जिला एवं सेशन न्यायाधीश राघवेन्द्र काछवाल ने नेनुसिंह को बरी कर दिया, लेकिन बयान पक्षद्रोही होने पर महिला के खिलाफ अलग से अपराधिक प्रकरण दर्ज के आदेश दिए। महिला ने सत्य जानते हुए झूठे आरोप में धारा 344 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत यह प्रसंज्ञान लिया।
बयान पक्षद्रोही होने पर 3 वर्ष तक कैद का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 344 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति का दस या अधिक दिनों के लिए गलत तरीके से परिरोध करेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। दस या अधिक दिनों के लिए गलत तरीके से परिरोध। इस तरह महिला ने पहले बलात्कार के आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। फिर अदालत में ट्रायल चला और निर्दोष की गिरफ्तारी व जेल काटी। फिर महिला बयान पलट गई। इस तरह पुलिस व न्यायालय का समय भी जाया हुआ और निर्दोष को जेल में रहना पड़ा।
#Rajsamand के कॉलेज छात्र ने दी जान, सुसाइड नोट पढ़ पुलिस- परिजन भी चकित
कॉलेज के छात्र ने हॉस्टल में फंदा लगाकर जान दे दी। आत्महत्या से पहले उसने जो सुसाइड नोट लिखकर छोड़ा, उसे देखकर परिवार के सदस्य नहीं, बल्कि पुलिस भी हैरान रह गई। कॉलेज स्टूडेंट की मौत को लेकर कॉलेज से हॉस्टल से लेकर हर कोई हैरान रह गया। वह उसके परिवार का इकलौता बेटा था। घटनास्थल उदयपुर का है, मगर छात्र राजसमंद जिले का निवासी है। पूरी खबर देखने के लिए क्लिक करिए….