एक समय था, तब शराब की दुकान चलाने के लिए हर कोई आवेदन करता है और चलाता था, लेकिन अब कोई शराब दुकान नहीं चलाना चाहता। पहले एक- एक दुकान चलाने के लिए हजारों आवेदन आ जाते थे, तो आबकारी विभाग को लॉटरी निकालनी पड़ती थी, मगर आज स्थिति जस्ट उलट है। इस बार राज्य सरकार ने शराब की दुकानों के नवीनीकरण का ऐलान किया, लेकिन अंतिम समयावधि तक 68 फीसदी दुकानदारों ने नवीनीकरण ही नहीं कराया, जो वर्षभर से शराब दुकान चला रहे थे, मगर अब नहीं चलाना चाहते। शराब दुकान नहीं चलाने के पीछे की कहानी जानेंगे, तो आप भी हैरान रह जाएंगे।
प्रदेश में सरकार और आबकारी नीति बनाने वाले जिम्मेदारों की जिद के चलते पिछले तीन साल से शराब ठेकेदारों को आबकारी नीति पसंद नहीं आ रही जिसके परिणाम से राजसमंद में 186 शराब की दुकानों के मुकाबले मात्र 60 दुकानें ही नवीनीकरण हो पाई हैं। जिला आबकारी विभाग को सरकार ने 205 करोड़ रुपए के राजस्व आय का लक्ष्य के मुकाबले मात्र 75 करोड़ रुपए ही कर पाया हैं। जिले की 126 दुकानों के लिए ठेकेदार नहीं मिलने के कारण 23 फरवरी तक तारीख आगे बढ़ाई हैं। नई आबकारी नीति फेल होने के बावजूद भी आबकारी विभाग इसे घसीट रहा हैं। 3 साल से लगातार घाटा खाने के बावजूद सरकार व जिम्मेदार विभाग इसमें बदलाव करने को तैयार नहीं हैं।
हालत यह है की अंतिम तारीख तक पूरे राज्य में मात्र 34 फीसदी दुकानें हीं उठ पाई है, सिर्फ तस्करी का स्वर्ग कहे जाने वाले सीमावर्ती जिले डूंगरपुर, बांसवाड़ा व जालौर में सर्वाधिक दुकान निकाल पाई है जबकि अन्य जगह अधिकारियों को हाथाजोड़ी करके जबरन बुलाकर ठेकेदारों को दुकान देनी पड़ रही हैं। इसके लिए आवेदन की तिथि 23 फरवरी तक बढ़ा दी गई हैं। आबकारी विभाग की पूरे राजस्थान में 7665 दुकान हैं इसमें से महज 2585 दुकान ही उठ पाई हैं। जानकार 50 प्रतिशत से कम नवीनीकरण होने से पॉलिसी को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस पॉलिसी के चलते लगातार 3 वर्षों से घाटा चल रहा है लक्ष्य की समाप्ति नहीं हो पा रही हैं।
जिला आबकारी अधिकारी लोकेश जोशी ने बताया कि जिले में अभी तक 60 दुकानों का नवीनीकरण हुआ है और 23 फरवरी तक समय हैं। ठेकेदारों से बातचीत करते हुए नवीनीकरण किया जाएगा।
दुकाने नहीं उठने के कारण
- एक्साइज ड्यूटी नहीं बढ़ाई, शराब वॉल्यूम का दबाव
- लगातार वार्षिक फीस बढ़ाने से हो रहा घाटा
- अन्य राज्यों में दुकान रात 10 बजे बंद, राजस्थान में 8 बजे बंद
- लगातार गारंटी बढ़ने से दुकानदार घाटा खाकर बेच रहे हैं शराब
- दुकानों के नवीनीकरण के बाद उठने वाली दुकानों के कम दर पर उठने से पहले लेने वालों को घाटा
- पुलिस प्रशासन व राजनेताओं की लगातार बढ़ रही दखल से परेशान दुकानदार