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Girlfriend Turns Murderer : शादीशुदा होते हुए भी 26 वर्षीया सविता एक आदिवासी समुदाय के 28 वर्षीय तुलसीराम प्रजापति को दिल दे बैठी, मगर मन की बात कहने में हिचक हो रही थी। तभी तुलसीराम ने आगे से ही सविता के दिल की बात कह दी। इस तरह दोनों में दोस्ती के बाद जो उनके बीच रिश्ता बना, वह दुनिया की नजरों में अनैतिक कहलाने लगा। बावजूद वे दोनों एक दूजे पर जान छिड़कने लगे। फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि सविता ने अपने जान से प्यारे प्रेमी तुलसीराम का कत्ल करने से भी नहीं हिचकी। जब शादीशुदा सविता को उसके पति से नैतिक रूप से तन, बदन का सुख मिल रहा था, तो क्यों वह पहले गेर मर्द के प्यार के चक्कर में फंसी और फिर ऐसा खौफनाक कदम क्यों उठाया। कहानी शुरू करने से पहले आप हमारे यू ट्यूब चैनल क्राइम केरोसिन को सब्सक्राइब कर लीजिए, ताकि इसी तरह के अपराध को लेकर सतर्क करती प्रेरणास्पद कहानियां आपको नियमित मिलती रहें।

Woman Affaire : यह रियल क्राइम कहानी मध्यप्रदेश के सागर जिले में पिडरुआ गांव की। 12 जनवरी 2024 की सुबह इस गांव के तालाब में युवक का शव होने की सूचना पर ग्रामीणों को जमघट लग जाता है। लोगों की सूचना पर बहरोल पुलिस थाने से थाना प्रभारी सेवनराज पिल्लई भी मय जाब्ते के घटना स्थल पर पहुंच जाते हैं। फिर शव की पहचान पिडरूआ गांव के 28 वर्षीय तुलसीराम प्रजापति के रूप में हुई। उसकी हत्या किसने और क्यों की, यह बात कोई भी व्यक्ति नहीं समझ पा रहा था और पुलिस भी हैरान थी।

फिर बहरोल पुलिस टीम द्वारा शव का निरीक्षण किया और आस पास के क्षेत्र में गहन तहकीकात की गई। लोगों से भी आवश्यक जानकारी ली व गहन पूछताछ भी की गई कि क्या तुलसीराम प्रजापति की किसी के साथ दुश्मनी थी या कोई लेनदेन को लेकर उसे कोई परेशान तो नहीं कर रहा था। इसको लेकर पुलिस द्वारा प्रारंभिक मौका पर्चा रिपोर्ट तैयार करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया और पुलिस ने हत्या का प्रकरण दर्ज करते हुए सभी पहलुओं पर गहन जांच शुरू कर दी गई। एसडीओपी शिखा सोनी ने हत्याकांड की जांच के लिए विशेष पुलिस दल का गठन किया, जिसमें बहरोल थाना प्रभारी सेवनराज पिल्लई के साथ बरायथा थानेदार मकसूद खान, एएसआई नाथूराम दोहरे, हैड कांस्टेबल जयपाल सिंह, तूफान सिंह, वीरेंद्र कुर्मी, कांस्टेबल देवेंद्र रैकवार, नीरज पटेल, अमित शुक्ला, सौरभ रैकवार, महिला कांस्टेबल प्राची त्रिपाठी को शामिल किया गया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में ही तुलसीराम व सविता के बीच अवैध संबंध की बात सामने आई, तो पुलिस ने उसके बारे में पूरी डिटेल खंगालना शुरू किया।

Police investigation : प्रेमी की हत्या का राजफाश

Police investigation : तुलसीराम प्रजापति की हत्या को लेकर अवैध संबंध की बात सामने आने पर पुलिस द्वारा सविता को भी पूछताछ के लिए थाने में बुला लिया। जब पुलिस द्वारा पूछताछ की गई तो सविता बार बार गलत जवाब देकर पुलिस को गुमराह करती रही। बाद में जब पुलिस ने एक के बाद एक तीखी सवाल किए और चेताया कि अगर सच नहीं बोला, तो पुलिस को सच उगलवाने का दूसरा तरीका अपनाना होगा। इसके चलते पुलिस के तीखी सवालों के आगे सविता टूट गई और तुलसीराम प्रजापति की हत्या करना कबूल कर लिया। प्रेमी तुलसीराम प्रजापति की हत्या साजिश में सविता ने उसके भाई हल्के आदिवासी को भी शामिल किया, तो पुलिस ने उसे भी साईंखेड़ा गांव से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने दोनों भाई- बहन को न्यायालय में पेश किया, जहां से जेल भेज दिया। प्रेमी तुलसीराम की हत्या करने के कारणों को लेकर जब पुलिस ने पूछा तो बताया कि सविता के तुलसीराम से अवैध संबंध के चलते पुन्नूलाल व उसका परिवार काफी बदनाम हो रहा था। तुलसीराम जो कि अवैध संबंध के बाद शादी का दबाव बना रहा था, जिससे भी छुटकारा मिल जाएगा और परिवार की बदनामी भी नहीं होगी, लेकिन हत्या के बाद पुलिस ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया और उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया। इस तरह प्रेमी की हत्या कर न सिर्फ सविता ने खुद का परिवार उजाड़ दिया, बल्कि हत्या की वारदात में भाई हल्के आदिवासी को शामिल कर उसका परिवार भी बर्बाद कर दिया।

पिडरूआ गांव में 26 साल की सविता आदिवासी उसके पति पुन्नूलाल के साथ रह रही थी। वे विश्वकर्मा नामक व्यक्ति के 10 बीघा जमीन बंटाई पर लेकर खेती कर रहे थे और खेत पर ही टपरियां बनाकर गुजर बसर कर रहे थे और घर गृहस्थी अच्छे से चल रही थी, मगर पडोस के खेत का मालिक तुलसीराम प्रजापति भी कभी कभार सविता के पति पुन्नूलाल से खेती के गुर सीखने आया करता था। डेढ साल पहले तुलसीराम ने ओडिशा की एक युवती से शादी की, लेकिन वह उसके साथ कुछ समय बाद अचानक चली गई। सविता को देखकर तुलसीराम की नीयत खराब हो गई। उसकी चाहतभरी नजरें सविता के गदराए जिस्म पर टिक गईं और उसी क्षण सविता भी उसकी नजरों को भांप गई थी। तुलसीराम हट्टाकट्टा नौजवान था। सविता पहली नजर में ही उसकी आंखों के रास्ते दिल में उतर गई। सविता के पति से बातचीत करते वक्त उसकी नजरें अक्सर सविता के जिस्म पर टिक जाती थीं। सविता को भी तुलसीराम अच्छा लगा। उसकी प्यासी नजरों की चुभन उसकी देह को सुकून पहुंचाती थी। उधर अपनी लच्छेदार बातों से तुलसीराम ने सविता के पति से दोस्ती कर ली। तुलसीराम को जब भी मौका मिलता, वह सविता के सौंदर्य की तारीफ करने में लग जाता। सविता को भी तुलसीराम के मुंह से अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता था। वह पति की मौजूदगी में जब कभी भी उसे चाय पानी देने आती, मौका देख कर वह उसके हाथों को छू लेता। इसका सविता ने जब विरोध नहीं किया तो तुलसीराम और नजदीक आने लगा। धीरे धीरे उसकी सविता से होने वाली बातों का दायरा हदे पार करने लगा। एक दिन तुलसीराम ने सविता को दिल की बात कह दी और दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए, लेकिन सविता ने यह नहीं सोचा कि पति के साथ यह विश्वासघात कहां तक उचित है। जिस्म से जिस्म का रिश्ता कायम होने के बाद सविता व तुलसीराम बार बार बिना किसी हिचकिचाहट मिलने लगे और अवैध संबंध बनाने लगे। तुलसीराम को पता था कि सविता उसके पति से संतुष्ट नहीं है। जब भी पुन्नूलाल गांव से बाहर जाता, तो सविता फोन कर तुलसीराम को बुला लेती थी। अनैतिक संबंध को छिपाने की कोई कितनी भी कोशिश करें, मगर असलियत सबके सामने आ ही जाती है।

पति जल्दी लौट आया तो खुली पत्नी के अवैध संबंध की पोल

एक दिन सविता का पति पुन्नूलाल शहर जाने के लिए घर से जैसे ही निकला, वैसे ही सविता ने अपने प्रेमी तुलसीराम को फोन कर दिया। सविता जानती थी कि शहर से घर का सामान लेने के लिए गया पति शाम तक ही लौटेगा। इस दौरान वह जवान प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर लेगी। सविता का फोन आते ही तुलसीराम बाइक लेकर पहुंच गया सविता की टपरी पर। टपरेनुमा घर पर पहुंच गया। उसने आते ही सविता के गले में अपनी बाहों का हार डाल दिया, तभी सविता इठलाते हुए बोली अरे यह क्या कर रहे हो, तसल्ली तो रखो। कुआं जब सामने हो तो प्यासे व्यक्ति को कतई धैर्य नहीं होती। इतना कहते हुए तुलसीराम ने सविता का गाल चूम लिया। तुम्हारी इन नशीली बातों ने ही तो मुझे दीवाना बना रखा है। न दिन को चैन मिलता है और न रात को। सच कहूं तो जब मैं अपने पति के साथ होती हूं तो सिर्फ तुम्हारा चेहरा मेरे सामने रहता है। सविता भी इतना कहकर तुलसीराम के गालों को चूमने लगी। तुलसीराम से भी रहा नहीं गया वह सविता को बाहों में उठाकर चारपाई पर ले गया। इससे पहले कि दोनों कुछ कर पाते, दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। इस आवाज को सुनते ही दोनों के दिमाग से वासना का बुखार उतर गया। सविता ने जल्दी से अपने अस्त व्यस्त वस्त्रो को ठीक किया और दरवाजा खोलने लगी। जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने पति को देखकर वह घबरा गई। फिर वह बोली तुम तो शहर से सौदा लाने के लिए गए थे, इतनी जल्दी कैसे लौट आए। इस पर पति बोला क्यों, क्या मुझे अब अपने घर आने के लिए भी तुमसे परमिशन लेनी होगी। फिर पत्नी को धकेलते हुए जैसे ही वह घर की टपरी के अंदर गया, तो उसका माथा ठनक गया। इस पर तुलसीराम बोला- आप कब आए तो पुन्नूलाल बोला अभी आया हूं। इस पर सविता के हावभाव भी पुन्नूलाल को ठीक नहीं लगे तो उसने दोबारा सविता की तरफ देखा तो उसके बाल बिखरे हुए थे और उसकी बिंदिया हाथ पर चिपकी हुई थी। यह देखकर पुन्नूलाल को शक होना तय था। डर के मारे तुलसीराम भी उससे ठीक से नजरे नहीं मिला पा रहा था। सर्दी होने के बाद भी तुलसीराम पसीने से तरबतर हो गया। पुन्नूलाल कुछ कहता, उससे पहले ही तुलसीराम बाइक लेकर चलता बना। इस पर पुन्नूलाल ने सविता से पूछा कि वह यहां क्यों आया और तुम दोनों दरवाजा बंद कर क्या गुल खिला रहे थे। इस पर सविता बोली कि वह तो आपसे मिलने आया था और दरवाजा इसलिए बंद किया कि बिल्ली बहुत परेशान कर रही थी। इस पर पुन्नूलाल बोला कि मेरे आते ही तुम दोनों घबराए क्यों। इस पर सविता बोली कि मैं क्या जानू, यह तो तुम्हें ही पता होगा। इस तरह पुन्नूलाल को अब अपनी पत्नी पर ही भरोसा नहीं रहा।

Premi Murder : प्रेमी ने शादी का दबाव बनाया तो कर दी हत्या

Premi Murder : पुन्नूलाल ने उसकी पत्नी सविता को स्पष्ट शब्दों में चेता दिया कि भविष्य में तुलसीराम से मेलमिलाप न करें। पति की सख्ती के बावजूद सविता मौका मिलते ही तुलसीराम से मिलती रहती थी। सविता और उसके प्रेमी को चोरी छिपे मिलना अच्छा नहीं लगता था। उधर तुलसीराम चाहता था कि सविता जीवनभर उसके साथ रहे, लेकिन सविता के लिए यह संभव नहीं था। वैसे भी जब से पुन्नूलाल व गांव वालों को सविता और तुलसीराम प्रजापति के अवैध संबंधों का पता लगा था, तब से सविता घर टूटने के डर से तुलसीराम से छुटकारा पाना चाह रही थी, लेकिन समझाने के बावजूद तुलसीराम उसका पीछा नहीं छोड रहा था। इसके चलते सविता ने अपने छोटे भाई हल्के आदिवासी के साथ मिलकर अपने प्रेमी तुलसीराम को मौत के घाट उतारने की साजिश रच ली। इसके तहत 8 जनवरी 2024 को सविता अपने मायके साईंखेडा चली गई, जिससे किसी को उस पर शक न हो। वहां से 11 जनवरी दोपहर ससुराल पिडरुआ वापस लौट आई। उसी दिन शाम को उसने तुलसीराम को फोन कर मिलने के लिए मोतियाहार के जंगल में बुला लिया। प्रेमिका के बुलावे पर तुलसीराम तत्काल पहुंचा गया। तभी मौका मिलते ही सविता ने अपने मायके से साथ लाए चाकू का पूरी ताकत के साथ तुलसीराम के गले पर वार कर दिया। अपनी जान बचाने के लिए खून से लथपथ तुलसीराम ने वहां से बचकर भाग निकलने की कोशिश की तो सविता ने चाकू उसके पेट में घोंप दिया। पेट में चाकू घोंपे जाने से उसकी आंतें तक बाहर निकल आईं। कुछ देर छटपटाने के बाद ही उसके शरीर में हलचल बंद हो गई। इसके बाद सविता ने छोटे भाई हल्के आदिवासी की मदद से तुलसीराम की पहचान मिटाने के लिए उसके सिर को पत्थर से कुचल दिया। फिर उसके कपडे उतारकर जूते के साथ थैली में रखकर तालाब में फेंक दिए। लाश को ठिकाने लगाने के लिए सविता और उसका भाई हल्के कंधे पर रखकर हरा वाले तालाब के करीब ले गए. जहां बोरी में पत्थर भरकर रस्सी को उसकी कमर में बांध कर शव को तालाब में फेंक दिया।

Love Start Story : एक मुलाकात से बहक गए दोनों के मन

Love Start Story : शादीशुदा सविता और तुलसीराम की एक दिन की मुलाकात से दोनों के मन बकह गए। एक दिन दोपहर में तुलसीराम जब सविता की टपरिया में गया तो इत्तफाक से सविता उस वक्त अकेली चक्की से दलिया बनाने में मशगूल थी। उसका पति पुन्नूलाल कहीं गया हुआ था। इसी दौरान तुलसीराम को देखा तो उसने साड़ी के पल्लू से अपने आंचल को करीने से ढका। इस पर तुलसीराम ने उसका हाथ पकड़ कहा कि सविता, तुम यह आंचल क्यों ढंक रही हो ? ऊपर वाले ने तुम्हारी देह देखने के लिए बनाई है। मेरा बस चले तो तुम को कभी आंचल साड़ी के पल्लू से ढंकने ही न दूं। तुम्हें तो हमेशा शरारत सूझती रहती है, किसी दिन तुम्हें मेरे टपरिया में किसी ने देख लिया तो मेरी बदनामी हो जाएगी। ठीक है, आगे से जब भी तेरे से मिलने तेरी टपरिया में आऊंगा तो इस बात का खासतौर पर ध्यान रखूंगा। सविता मुस्कुराते हुए बोली कि अच्छा एक बात बताओ, कहीं तुम चिकनी चुपड़ी बातें करके मुझ पर डोरे डालने की कोशिश तो नहीं कर रहे ? लगता है, तुमने मेरे दिल की बात जान ली। मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं। अब तो जानेमन मेरी हालत ऐसी हो गई कि जब तक दिन में एक बार तुम्हें देख नहीं लेता, तब तक चैन नहीं मिलता है। बेचैनी महसूस होती रहती है, इसलिए किसी न किसी बहाने से यहां चला आता हूं। तुम्हारी चाहत कहीं मुझे पागल न कर दे। तुलसीराम प्रजापति की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि सविता बोली- पागल तो तुम हो चुके हो, तुमने कभी मेरी आंखों में झांक कर देखा है कि उनमें तुम्हारे लिए कितनी चाहत है। मुझे तो ऐसा लगता है कि दिल की भाषा को आंखों से पढ़ने में भी तुम अनाड़ी हो। सच कहा तुमने, लेकिन आज यह अनाड़ी तुम से बहुत कुछ सीखना चाहता है। क्या तुम मुझे सिखाना चाहोगी ? इतना कहकर तुलसीराम ने सविता के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया। सविता ने भी अपनी आंखें बंद करके अपना सिर तुलसीराम के सीने से टिका दिया। दोनों के जिस्म एक दूसरे से चिपके तो सर्दी के मौसम में भी उनके शरीर दहकने लगे। जब उनके जिस्म मिले तो हाथों ने भी हरकतें करनी शुरू कर दीं और कुछ ही देर में उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं। सविता के पति पुन्नूलाल के शरीर में वह बात नहीं थी, जो उसे तुलसीराम से मिली। इसलिए सविता भी तुलसीराम के प्रति आकर्षित हो गई थी। इस तरह दोनों के बीच अनैतिकता संबंधों का दौर शुरू हो गया।