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Rajsamand : आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती शासन मुनि रविंद्र कुमार एवं मुनि अतुल कुमार कुंभलगढ़ के कोयल गांव से विहार कर गजपुर स्थित तेरापंथ भवन पहुंचे। गजपुर में धर्मसभा का आयोजन हुआ, जिसमें मुनि अतुल कुमार ने प्रवचनमाला में कहा मन की शांति पाने का सबसे बड़ा सूत्र-“जिंदगी में जो हो रहा है, उसे प्रेम व सहजता से स्वीकार करते जाएं।” मन की शांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। अगर हमारे सामने एक पलड़े पर दुनिया का वैभव हो और दूसरे पलड़े पर मन की शांति हो तो वैभव लेने की बेवकूफी कभी मत करना। क्योंकि मन की शांति से बढ़कर दुनिया का कोई वैभव नहीं होता।

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मुनि अतुल ने कहा कि सिकंदर के पास सब कुछ था, पर मन की शांति नहीं थी और महावीर के पास कुछ नहीं था, पर मन की शांति थी। परिणाम यह आया कि सिकंदर जीते-जी पूजा गया पर महावीर आज भी पूज्यनीय हैं। ऐसी नौकरी या व्यापार हो जिसमें रूपयों पैसों की आय तो बहुत हो पर रातों की नींद छीन ले व शांति से भोजन भी ना कर सके बाद में व्यक्ति धीरे-धीरे शारीरिक परेशानियों से ग्रस्त होकर दवाइयों के सहारे जिंदगी की गाड़ी चलाने लगे तो समझना वह सुखी नहीं है। बड़े बंगले में रहकर रोज घर में कलह होता हो इसके बजाय झोपड़े में रहने वाले यदि बिना कलह किए प्रेम व सुख-शांति से सूखी रोटी खाते हैं व चैन की नींद लेते हैं तो वह बंगले वालों से ज्यादा सुखी हैं। इसलिए यदि करोड़ों रुपया, बंगला, कार, सभी भौतिक सुख सुविधा हो लेकिन सुख की रोटी व चैन की नींद ना हो तो समझना कि वह करोड़पति होते हुए भी रोड़पति है। हम सबको मालूम है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो शोक सभा में मृत आदमी की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है, ना कि परिवार वाले, पैसा, बंगला, कार आदि के लिए। क्योंकि ये सब तो उसने जिंदगी भर कमाया पर मन की शांति ना कमा पाया। इसलिए हम ऐसा जीवन जीने का प्रयास करें कि जीते जी हम शांति की दौलत कमा सकें व मरणोपरांत भी पीछे लोगों को हमारी शांति की प्रार्थना ना करनी पड़े। मुनि रविंद्र कुमार ने मंगल पाठ सुनाया। तेयुप अध्यक्ष मुंबई हिम्मत सोलंकी ने स्वागत वक्तव्य दिया। तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष मनोहर लाल सोलंकी ने गीत से मुनिद्वय का स्वागत किया। प्रवचन एवं विहार सेवा में सायों का खेड़ा, कोयल सहित बड़ी तादाद में लोग उपस्थित रहे।