Vidhansabha Live : राजस्थान विधानसभा में पेयजल के मुद्दे पर नाथद्वारा विधायक विश्वराजसिंह मेवाड़ ने करीब छह मिनट का उद्बोधन दिया, तो पूरे सदन में सन्नाटा पसर गया। मेवाड़ ने पेयजल प्रबंधन के लिए प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ काे लेकर न सिर्फ प्रशासनिक सिस्टम पर सवाल उठाए, बल्कि नैतिकता में गिरावट के कारण पेयजल को लेकर उत्पन्न हो रहे संकट पर चिंता भी व्यक्त की। मेवाड़ ने पेयजल प्रबंध के लिए प्रकृति की अनदेखी व बर्बादी को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार का ध्यानाकर्षित किया। विधायक बोले नाथद्वारा शहर की दर्जनों बावड़ियों को पाटकर बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी कर दी, जबकि कुंभलगढ़ में पेड़ व पहाड़ काटकर होटल का बाजार विकसित कर रहे हैं। जब प्रकृति के साथ इस तरह की दुर्गति होगी, तो आने वाले समय में हालात कितने विकट हो जाएंगे, उसका तो अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता। विधायक बोले कि पेड़ व पहाड़ काटकर पानी के जो प्रबंध किए है, उस तरीके से पानी भले पर्याप्त मिल जाए, लेकिन प्रकृति पर जो धब्बा लगाया है वह धुलने वाला नहीं है। कुंभलगढ़ की बर्बादी को लेकर मीडिया में खबरें प्रमुखता से चली और अब नाथद्वारा विधायक ने कुंभलगढ़ में कटते पेड़ व पहाड़ की हकीकत को विधानसभा में उजागर करते हुए सरकार को ध्यान आकर्षित किया।

Nathdwara MLA ने राजस्थान विधानसभा में पेयजल के विषय पर कहा कि पेयजल हर व्यक्ति तक पहुंचाए, यह जनप्रतिनिधि व सरकार का नैतिक दायित्व है, लेकिन पेयजल का प्रबंध के लिए भी पर्यावरण, भूजल, प्रदूषण व प्रकृति के कायदों का ख्याल रखना अनिवार्य है। नई तकनीक में भी प्रकृति के कायदे दरकिनार नहीं किए जा सकते हैं। दक्षिण राजस्थान में पुराने जमाने की बात करें, तो पहले छोटे तालाब, बड़े तालाब व बावड़िया थी। हां पहले घर तक पानी पहुंचाने का प्रबंध नहीं था, मगर पानी पर्याप्त था। आज तकनीक खूब बढ़ी, मगर आज उसी क्षेत्र में पानी नहीं है। 75 सालों में खूब विकास हुआ, मगर प्रकृति के कायदों को नकारा गया। पुराने समय में पानी एकत्र करने के तरीके भी भूला दिए गए। पेयजल संकट के लिए कई हद तक बढ़ती जनसंख्या को दोष दिया जाता है, लेकिन यह अधूरा सच है। जब शहर बनने लगे, तब शहर में जो बावड़िया थी, जिसे पाटकर आज कई बहुमंजिला इमारते खड़ी हो गई।

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Vishavraj Mewar बोले- नाथद्वारा में पहले थी 30 बावड़ियां, आज कहां ?

Vishavraj Mewar : नाथद्वारा शहर की बात करें, तो वहां पहले 30 बावड़िया थी, जो आज नहीं है और है, तो भी कुड़ा कचराघर बन रह गई। उदयपुर शहर का भी जिक्र करते हुए बताया कि 100 से ज्यादा पुरानी बावड़िया थी, मगर आज विलुप्त होती दिख रही है। पिछले 75 से 100 साल में कोई बावड़िया बनाई ही नहीं है और बंद तो जरूर की है। विधायक ने कहा कि पिछले 75 व 100 सालों में कितने तालाब थे और आज कितने रह गए हैं और उनकी क्या दुर्दशा है। नाथद्वारा के नाथूवास तालाब में शहर की गंदगी भरी है और निकासी को बंद कर दिया गया। क्षतिग्रस्त पाल को मरम्मत की बजाय चुन दिया गया। अब ये तालाब है, जिसकी कोई निकासी नहीं है और गंदा पानी भरा जाता है और लोगों के घरों में भी यही गंदा पानी जा रहा है तथा जहां पानी का भराव क्षेत्र है, वहां पर लोग रहने लग गए। नाथद्वारा का दूसरा तालाब भी दूषित है और रेलमगरा के तालाब भी प्रदूषित है और खमनोर में तालाब है, मगर सदुपयोग नहीं हो रहा है। विधायक ने कहा कि उदयपुर को देखे तो उदयपुर जाना जाता है वेनिस ऑफ द ईस्ट, लेकिन जो वेनिस शहर की सुंदरता है, जो उदयपुर ज्यादा सुंदर था। वह सुंदरता तो हम कायम नहीं रख पाए लेकिन जो वेनिस का गंदा पानी है, वैसा गंदा पानी उदयपुर में जरूर ले आए। वे बोले कि जब से उदयपुर बसा है तो उदयपुर के पश्चिम क्षेत्र में कभी कोई निर्माण नहीं हुआ क्योंकि पानी की आवक उसी तरफ से होती है लेकिन पिछले दो-तीन दशक से वहां पर भी निर्माण होने लगा है। ग्रीन बेल्ट है, फोरेस्ट लैंड है साथ में होटल भी हैं।

Kumbhalgarh Forest : कुंभलगढ़ में पेड़ पहाड़ काट होटल बाजार की तैयारी

Kumbhalgarh Forest : विधायक विश्वराज ने प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुम्भलगढ़ एक आखिरी उदाहरण है कि जहां पेड़ और पहाड़ काटकर होटल बाजार बनाने की तैयारी पूरी तरह से हो रही है। अभी भी हमारे पास कई बावडियां हैं, कई तालाब हैं और अगर हम नए नहीं बना सकते हैं, मगर जो भी बने हुए हैं, उनमें सुधार करें तो अगर उस क्षेत्र में वहीं से पानी आये तो वह बेहतर है।

MLA Vishvaraj Singh ने दोहरे रूख से लोग अपने हक से वंचित क्यों ?

विधायक विश्वराज ने कहा कि पेड़, पहाड़ काटने व प्रकृति से खिलवाड़ को लेकर दोहरा रूख है। एक तरफ नरम रूख के चलते पेड़ पहाड़ काट होटल बाजार बना रहे हैं और दूसरा कड़ा रूख है, जिससे नाथद्वारा शहर के सुखाड़िया नगर में फोरेस्ट लैंड कहकर लोगों को अपने हक से वंचित रख रहे हैं। हमें खेद है कि पेयजल संकट के लिए उत्पन्न हुए हालात के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है।

विधायक बोले- अब भी सुधार की कई संभावनाएं

विधानसभा में एमएलए विश्वराज ने कहा कि अभी भी कई तालाब है, कई बावड़िया है और नई भी बनाई जा सकती है, जिन्हें सुधार करें और उसी क्षेत्र से ही वहां के लोगों को पानी मिले, तो बेहतर है। मीलों दूरी से पानी लाने का क्या फायदा और इतना खर्च भी क्यों? विधायक बोले कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग, वाटर कन्जर्वेशन, टैंक आदि तरीके अपना सकते है, लेकिन जिम्मेदारी से कार्य करें, तभी नैतिक स्तर और भूजल स्तर हमेशा ऊंचा ही रहेगा और भूजल ऊंचा रहेगा, तो पेयजल तो रहेगा ही।

मंत्री चौधरी ने कहा- कांग्रेस के समय हुई गड़बड़ियों की सजा मिली

विधानसभा में पेयजल की स्थिति पर चर्चा की गई। पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने प्रदेश में पेयजल किल्लत को लेकर विचार रखे। इसके बाद PHED मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कहा कि जल जीवन मिशन में कांग्रेस के समय में हुई गड़बड़ियों की सजा भाजपा को मिली और लोकसभा चुनाव में पार्टी 11 सीट हारी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व उनके साथी के सदस्य खुश हो रहे हैं कि उन्होंने 11 सीट जीत ली, जबकि इनके पापों की सजा जनता ने हमें दी है। जनता टो यही कहती है कि हमने आपको सत्ता सौंप दी, लेकिन कांग्रेस के समय में इतनी गड़बड़ियां हुई कि आगे काम करना हमारे लिए मुश्किल हुआ। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में काम की धीमी गति के कारण जल जीवन मिशन में आज प्रदेश 33वें स्थान पर है।