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Rajsamand Lake Water Level : इस वर्ष भी मानसून मेहरबान रहा, जिसके चलते राजसमंद झील का गेज 28.10 फीट तक पहुंचा और लबालब झील का मनोरम नजारा बन पड़ा है। झील ओवरफ्लो के मुहाने तक पहुंच गया, जो सुखद बात है। 57 दिन तक खारी फीडर से पानी झील में पहुंचा। खारी फीडर और गोमती नदी से पानी की अच्छी आवक होने के कारण झील का जलस्तर 28.10 फीट के करीब पहुंचा है। अब झील से सिंचाई का पानी छोड़ने की जल संसाधन विभाग द्वारा तैयारी की जा रही है, जो वाजिब भी है, लेकिन क्या व्यर्थ बहते पानी को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय या प्रबंध किए हैं या हर बार की तरह ही इस बार भी सिंचाई के नाम पर पानी की बर्बादी होती ही रहेगी। यह यक्ष सवाल हर किसी के जेहन में है। अक्सर हर बार झील से सिंचाई के लिए पानी छोड़ने के बाद बर्बादी से सब किसान, शहरवासी, महकमे के अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी वाकिफ है। सवाल यह है कि क्या इस बार व्यर्थ बहते पानी को रोकने के लिए कोई ठोस उपाय किए हैं या नहीं ?

Rajsamand Lake : राजसमंद झील में खारी फीडर और गोमती नदी से पानी से लगातार पानी की आवक रही, जिसके चलते 30 फीट भराव क्षमता वाली राजसमंद झील में अब तक 28.10 फीट तक पानी आया। 26 अक्टूबर शाम करीब पांच बजे खारी फीडर में नन्दसमंद से पानी बंद कर दिया। नन्दसमंद ओवरफ्लो होने के बाद 31 अक्टूबर को राजसमंद झील के लिए खारी फीडर में पानी खोला गया था, जो उसी दिन रात तक झील में पानी पहुंच गया। इसके पश्चात से लगातार झील में पानी की आवक बनी हुई थी। नंदसमंद में पानी की आवक कम होने पर 26 अक्टूबर शाम को खारी फीडर को बंद कर दिया गया। इसके कारण पिछले 57 दिनों से झील में खारी फीडर से हो रही पानी की आवक थम गई। उल्लेखनीय है कि 25 अगस्त को गोमती नदी का पानी राजसमंद झील में पहुंचा था। इस दौरान झील का जलस्तर 16.50 फीट था। इसके पश्चात खारी फीडर को खोलने से पहले झील का जलस्तर 31 अगस्त को झील का जलस्तर 17.40 फीट के करीब था, अब झील का जलस्तर 28.10 फीट है।

Rajsamand : सिंचाई नहर खोलने के साथ जल बचत का निर्णय भी हो

Rajsamand : राजसमंद झील से निकलने वाली बायीं नहर और दायीं नहर को कब खोला जाए इसका निर्णय मंगलवार को होने वाली जल वितरण समिति की बैठक में लिया जाएगा। सिंचाई विभाग का दावा है कि नहरों को खोलने की पूरी तैयारी है, जबकि आस-पास के गांवों से गुजर रही नहरों की स्थिति खराब है। इसके कारण पानी व्यर्थ बहने की उम्मीद जताई जा रही है। झील से बायीं और दायी नहर निकल रही है। इन्हें खोलने पर किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है। सिंचाई विभाग का दावा है कि नहरों की मनरेगा के माध्यम से और शहरी सीमा में नगर परिषद के माध्यम से सफाई कराई गई है। जबकि भाणा और एमडी गांव से गुजरने वाली नहरों की स्थिति खराब है। कचरे का ढेर लगा है तो ही कही नहर में मिट्टी भरी हुई है। इसके साथ ही कई जगह से नहर क्षतिग्रस्त भी है। इसके कारण फिर पानी व्यर्थ चहने से इंकार नहीं किया जा सकता है। नहरों को खोलने के लिए जल वितरण समिति की बैठक में नहरों को कितनी बार कब-कब खोलना है और झील का जलस्तर कितना रखा जाएगा, इस पर निर्णय लिया जाएगा। इस माह के अंत तक नहरों के खुलने की उम्मीद है।

55 साल से अधिक पुरानी सलूस और नहर

झील से वो नहरें निकल रही है। इसमें जलचक्की के निकट बनी नहर स्टेट टाइम की बनी है। इससे कुछ गांवों में ही पानी पहुंचता है। इरिगेशन पाल से निकलने वाली बायीं नहर और सलूस का 1966-67 में निर्माण हुआ था। ऐसे में पांच दशक से अधिक होने के कारण अब इनके नए सिरे से निर्माण की जरूरत है।

35 किलोमीटर दूर जाता है पानी

राजसमंव झील से निकलने वाली लेफ्ट कैनाल से फियावड़ी ग्राम पंचायत तक झील का पानी पहुंचता है। इसकी दूरी करीब 35 किलोमीटर है। एक बार नहर को खोलने पर बायीं नहर से 28 दिन और दायीं नहर से 32 दिन पानी दिया जाता है। बड़ी नहरों में कई जगह छोटी-छोटी नहरे भी बनी हुई है।

रेलवे के कारण नहीं होगी परेशानी

जिला मुख्यालय सहित आस-पास के गांवों में रेलवे ट्रैक बिछाए जाने का कार्य जारी है। इसके कारण कुछ स्थानों पर नहरों को शिफ्ट भी किया गया है। ऐसे में कई जगह निर्माण कार्य अधूरा बताया जा रहा है, जबकि सिंचाई विभाग का दावा है कि ऐसा नहीं है। ठेकेदार फर्म से पहले ही बात हो गई है। नहरों को खोलने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।

गत साल नहर खोलने में लगे थे 3 दिन

गत वर्ष 9 नवम्बर को जल वितरण समिति की बैठक में 16 नवम्बर को नहरें खोलने का निर्णय लिया था। दायीं नहर को खोल दिया गया, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते बायीं नहर को काफी मशक्कत के बाद 19 नवम्बर को इसे खोला जा सका था। जलचक्की के पास वाली नहर को खोलते ही नहर के अवरुद्ध होने के कारण जलचक्की से लेकर पुराने बस स्टैण्ड तक पानी- पानी भर गया था। इससे हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह गया था।

राजसमंद झील में पानी व सिंचाई : फैक्ट फाइल

  • 30 फीट भराव क्षमता है झील की
  • 28.10 फीट इस बार राजसमंद झील में आया पानी
  • 10,611 हेक्टेयर में राजसमंद- नाथद्वारा के 52 गांवों में होती सिंचाई
  • 700 एमसीएफटी पीएचईडी के लिए रखा जाता है रिजर्व
    15 से 16 लाख लीटर पानी प्रतिदिन शहर में होता सप्लाई
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