Child Fell in borewell : घर के आंगन में खेलते खेलते चार वर्षीय मासूम बच्चा खुले बोरवेल में गिर कर 160 फीट गहराई में पहुंच गया। घर के इकलौते चिराग को बचाने के लिए परिजन, ग्रामीणों के साथ पूरा प्रशासन भी जुट गया। करीब छह घंटे के प्रयासों के बाद बोरवेल में गिरे मासूम बो बाहर तो निकाल लिया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार का चिराग छीन लिया, बल्कि कई सवाल खड़े कर गया कि आखिर बोरवेल में गिरने की कई घटनाएं घट चुकी है, लेकिन तत्काल रेस्क्यू को लेकर प्रशासन के पास कोई संसाधन ही नहीं है और न ही कोई प्रॉपर प्लान। घटना के करीब एक घंटे बाद पुलिस, प्रशासन से जुड़े कई अधिकारी, कार्मिक पहुंच गए, मगर बच्चे को बोरवेल से निकालने के कोई संसाधन उनके पास नहीं थे। इससे आपदा प्रबंधन को लेकर प्रशासन कितना अलर्ट है, उसकी हकीकत भी खुलकर सामने आ गई।
Rajasthan Police : यह हादसा राजस्थान में बाड़मेर जिले के अर्जुन की ढाणी गांव में डालूराम के घर हुआ। बताया कि उनके घर के पास ही खेत पर नए बोरवेल खुदवाया और पुराने बोरवेल से मोटर नए बोरवेल में शिफ्ट करने का कार्य कर रहे थे। तभी बुधवार शाम करीब 4 बजे चार वर्षीय उनका पोता नरेश व दोहिती दोनों दौड़ते हुए साथ में आ गए। साथ ही नरेश आवाज लगाते हुए बोरवेल में जा गिरा। बोरवेल का गड्ढा करीब 165 फीट से ज्यादा गहरा था, मगर नरेश करीब 100 फीट की गहराई में जाकर अटक गया। बाद में कैमरा रस्सी से उतारकर देखा गया, तो वह दिखाई दिया। फिर उसे निकालने के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं थे। एक लोहे के चिमटे के सहारे निकालने के प्रयास किए गए, मगर बोरवेल में पानी भरा हुआ था। घटना के बाद बड़ी तादाद में ग्रामीण पहुंच गए और सूचना पर पुलिस के बाद प्रशासन के आला अधिकारी भी घटना स्थल पर पहुंच गए। बाड़मेर जिला मुख्यालय से भी आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्मिक अधिकारी पहुंच गए और कैमरा डालकर बोरवेल में बच्चे की मूवमेंट को देखने के प्रयास किए गए।
Rescue from borewell : रेस्क्यू में चौथे प्रयास में निकला शव
Rescue from borewell : घटना के बाद बच्चे को निकालने के लिए जब पुलिस व प्रशासन के प्रयास नाकाफी रहे, तभी देसी जुगाड़ तकनीक एक्सपर्ट मेड़ा (जालोर) निवासी माधाराम की टीम करीब साढ़े 6 बजे मौके पर पहुंची। टीम ने पहले कैमरा डालकर अंदर के हालात को देखा और फिर पीवीसी पाइप, रस्सी और तार से बच्चे का रेस्क्यू शुरू किया। पाइप में टी लगाकर रस्सी का फंदा बनाकर अंदर डाला लेकिन इस तकनीकी से सफलता हाथ नहीं लगी। बाद में मौके पर वेल्डिंग से चार टांग वाला लॉक सिस्टम बनाकर बोरवेल में उतारा, लेकिन यह जुगाड़ भी फेल रहा। बाद में माधाराम की टीम ने तीसरा जुगाड़ में दो टांग वाला लॉक सिस्टम बनाकर उतारा, जिसमें एक लंबी व दूसरी लंबी टांग रखी, ताकि एक टांग नीचे जाकर उसे धक्का दे सके और छोटी टांग सिर के नीचे पकड़ में आ सके। इस तरह चौथा जुगाड़ का प्रयास सफल रहा और रात करीब 10 बजे नरेश को बाहर निकाल लिया, मगर तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
Barmer Police : बोरवेल में पानी होने से मौत हो गई
Barmer Police : माधाराम ने बताया कि बोरवेल के अंदर पानी भरा हुआ था, जिसकी वजह से नरेश की मौत हो गई। अगर बोरवेल सुखा होता, तो संभवत: बोरवेल में फंसे बच्चे की मौत नहीं होती। बच्चा पानी के अंदर होने की वजह से बच्चे की मौत हो गई। हालांकि इससे पहले जालोर में भी इसी तरह 2 बच्चों को जिंदा बाहर निकाला जा चुका है।
Borewell Accident : मां व परिजन लगातार बिलखते रहे
Borewell Accident : नरेश के बोरवेल में गिरने के साथ उसकी मां व अन्य परिजन फफक फफक कर रो रहे थे। मां बार बार रोते हुए आवाज लगा रही थी कि उनके बेटे को कोई तो बोरवेल से बाहर निकाल दो। यह कहते कहते वह बेसुध भी हो गई। साथ ही पूरे घर में कोहराम मच गया। आस पड़ोस व गांव से कई लोग पहुंचे और बच्चे की मां के साथ अन्य परिजनों को दिलासा देते संभाला। पिता पंजाब में गाड़ी लेकर गए हुए थे। अन्य दोस्तों के मार्फत पिता बाड़मेर के लिए रवाना हुए है। मासूम के चाचा व दादा के आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे।
SDRF or NDRF : एसडीआरएफ टीम आने से पहले निकाला शव
SDRF or NDRF : बच्चे के बोरवेल में गिरने के बाद एसडीआरएफ की टीम साढ़े दस बजे बाद आई, तब तक बच्चे के शव को निकाल लिया था। हालांकि एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया था, मगर वह टीम मौके पर नहीं पहुंच सकी। बच्चे के निकल जाने की सूचना पर एनडीआरएफ की टीम रास्ते से ही वापस लौट गई। एसडीएम केशव कुमार मीणा ने बताया कि हमारा पहला प्रयास रहता है कि जब तक बाहर की टीमें आए, तब तक लोकल स्तर पर निकालने के प्रयास करें। एनडीआरएफ की टीम गुजरात के गांधीनगर से आती है।