Lokmata Ahilyabai Holkar की त्रिशताब्दी वर्ष मनाने के लिए नाथद्वारा में 1 से 6 दिसंबर तक एक भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, धर्मसभाएं और शोभायात्राएं शामिल थीं। आयोजन के अंतिम दिन, 6 दिसंबर को, मेवाड़ के संतों के सानिध्य में एक विराट धर्मसभा का आयोजन किया गया। इस धर्मसभा में अहिल्याबाई होलकर के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला गया और लोगों से सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान देने का आह्वान किया गया। धर्मसभा के बाद, एक विशाल कलश यात्रा निकाली गई जो नगर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी। कलश यात्रा का जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। इससे पहले, 1 दिसंबर को अहिल्याबाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद दीपदान और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।
लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी वर्ष जयंती समारोह समिति का गुरुवार दोपहर नगर के रसाला चौक में विराट हिन्दू सम्मेलन हुआ और उसके बाद कलश शोभायात्रा निकाली गई, जो विभिन्न मार्गों से होती हुई वापस रसाला चौक पहुंची। कलश यात्रा में 3100 कलश लेकर महिलाएं चल रही थी। विराट हिन्दू सम्मेलन में महंत अवधेश चैतन्य महाराज ज्ञानानंद महाराज, उत्तम स्वामी, शिवानंद महाराज, मिराज समूह के चेयरमेन मदन पालीवाल, संघ के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम प्रचारिका भाग्यश्री मौजूद थे। हिंदू सम्मेलन में भाग्यश्री ने कहा कि आज शौर्य दिवस हैं। आज ही के दिन देश का कंलक हटाया और जहां 22 जनवरी को विराट राम मंदिर बन तैयार हो गया हैं। अहिल्याबाई होल्कर ने नाथद्वारा में एक अहिल्या कुंड बनाया और वहां एक शिवालय बनाया जहां आज भी पक्षियों के लिए दाना पानी मिलता हैं। अहिल्याबाई का पुण्य हैं। इसका परिणाम है कि आज नाथद्वारा अहिल्या मय हो गया है। Ahilyabai Holkar Mahotsav
Nathdwara News : राम ने एक अहिल्या का उद्धार किया, अहिल्या ने समाज का
Nathdwara News : विश्व के एक अहिल्या का भगवान राम ने उद्धार किया था। वहीं धर्म और धरा की रक्षा करते हुए अहिल्याबाई ने समाज का उद्धार किया था। अहिल्याबाई अपने प्रत्येक कार्य के लिए स्वंय जिम्मेदारी निभाती थी ताकि ईश्वर को जवाब दे सकें। अहिल्याबाई एक कुशल योद्धा थी और महिला नेतृत्व व स्त्री शिक्षा की सुविधा के साथ संपत्ति का संरक्षण किया। विधवा महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार दिया और बहू को बेटी समान मानने का भाव जागृत किया था। आज से तीन सौ साल पूर्व करीब 16 करोड़ की संपत्ति के विकास कार्य के साथ धर्मशालाएं बनवाई। वहीं मंच से बांसवाड़ा के उत्तम स्वामी ने कहा कि कलयुग में अहिल्याबाई का नाम इस लिए लिया जाता है कि सेवा ही धर्म मानते हुए विकास कार्य किए। ईश्वर प्राप्त करने के लिए समाज में सेवा धर्म का भाव जगाया। जैसे हनुमान, सुग्रीव, जटायू और जामवंत ने सेवा कर रामपद प्राप्त किया था। अहिल्याबाई ने 100 शिवालय व एक सेवालय निर्माण कर समान बताया। देश में संस्कारवान समाज के लिए मिस इंडिया की नहीं मिस अहिल्याबाई की आवश्यकता हैं। Hindhu Sammelan in Nathdwara
Rajsamand news today : 16 करोड़ का धन विकास में लगाया
Rajsamand news today : मिराज समूह के चेयरमेन मदन पालीवाल ने कहा कि समाज में स्व का भाव जागृत करना हैं। साथ आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम ने कहा कि अहिल्याबाई शिवभक्त होने से शिवयोगिनी से राजयोगिनी बनी थी। कुम्हेर भरतपुर युद्ध में सेना सहित पति की मौत हो गई और राजकाज संभाला 300 वर्ष पूर्व पुरुष प्रधान समाज में पितृसतात्मक समाज की धारणा को तथ्यहीन किया था। 16 करोड़ का धन था जिसे विकास कार्य में लगाया।