लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद
Desuri Nal Accident : राजसमंद व पाली जिले की सरहद पर देसूरी की नाल में पंजाब मोड़ पर रविवार सुबह बस पलटने के बाद आग लग गई। हादसे के बाद घायल बच्चों की चीख, पुकार सुनकर हर किसी दिल दहल उठा। राहगीरों ने अपने वाहन खड़े कर हाथोंहाथ बस में फंसे बच्चो को निकालने में जुट गए। राहगीरों के एक समूह ने बस में लगी आग को बुझाया, तो कुछ युवाओं ने बस के ऊपर चढ़कर उसमें फंसे घायल व चोटिल छात्र छात्राओं को रेस्क्यू कर बाहर निकाला। खिड़की में हाथ व सिर बाहर होने से दो चचेरे बहनों व एक अन्य छात्र की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। क्षत विक्षत शव को बाहर निकाले, तो उसे देखकर हर किसी की रूह कांप उठी। भीषण सड़क हादसे में बस चालक सहित आधा दर्जन शिक्षक भी घायल है, जिनका भी आरके जिला चिकित्सालय में उपचार जारी है। देश में सबसे बड़ा सड़क हादसा भी इसी देसूरी नाल में 7 सितंबर 2007 को हुआ था, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। उसके बाद करीब डेढ़ दशक बाद भी न तो वह सड़क चौड़ी हुई और न ही ओवरब्रिज के प्लान धरातल पर उतर आए। इसको लेकर आक्रोशित लोगों ने चारभुजा में अस्पताल के बाहर रोड जाम कर दिया। बाद में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाइश के बाद तीनों छात्रों के शव के पोस्टमार्टम करवाए गए।
चारभुजा थाना प्रभारी गोवर्धनसिंंह ने बताया कि आमेट ब्लॉक में राछेटी पंचायत के माणकदेह स्थित राजकीय महात्मा गांधी राजकीय उचच माध्यमिक स्कूल से 62 छात्र छात्रा, 6 शिक्षक परशुराम महादेव व दो अन्य स्थलों पर पिकनिक के लिए निकले। सुबह 7 बजे स्कूल से बस रवाना हुई, जो चारभुजा होकर देसूरी नाल का ढलान उतर रही थी, तभी बस अचानक बेकाबू हो गई, जिससे चालक ने सुझबुझ से बस को सामने चट्टान से टकरा दी, जिससे बस बीच सड़क में पलट गई और कुछ हिस्सा करीब 60 फीट गहरी खाई की तरफ लटक गया। गनीमत रहा कि बस की रफ्तार तेज नहीं थी, वरना बस उस खाई में पलटी, तो कई बच्चों की मौत हो जाती। बीच सड़क पलटने से रास्ता अवरुद्ध हो गया और मार्ग दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतार लग गई, मगर उसमें सवार लोग उतरकर आए और तत्काल बस में फंसे घायल बच्चों को सबसे पहले बाहर निकाला। फिर तीन बच्चों के शव निकाले गए, जिनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि वे बस की खिड़की से हाथ व मुंह बाहर रखकर बैठे होंगे, जिससे रोड व बस के बीच सिर आने से मौत हो गई। एक छात्र का हाथ कट गया। इस तरह तीन बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो तीन अन्य गंभीर घायल बताए जा रहे हैं। इसके अलावा बस चालक के भी सीने में गहरी चोट आई है, जबकि बस में 6 शिक्षक भी सवार थे, जो भी चोटिल हो गए। सभी छात्र व छात्राएं राछेटी, माणक देह, चावंड खेड़ा, गुमानजी का गुड़ा, डांगिया, किशनपुरा आदि गांवों के है। हादसे की सूचना मिलते ही सभी गांवों से परिजन चारभुजा पहुंच गए, जहां पर ज्यादातर बच्चों को सकुशल पाकर राहत की सांस ली, जबकि कई छात्रों को आरके जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया था, जिससे परिजन भी वहां पहुंचे। इस तरह परिजन भी बदहवास की हालत में रोते, बिलखते व सुबकते रहे। साथ ही इस हादसे को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे थे।
School Bus Accident Rajsamand : विधायक, कलक्टर- एसपी भी मौके पर
School Bus Accident Rajsamand : हादसे के बाद कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्रसिंंह राठौड़ के साथ जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा व जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी भी तत्काल मौके पर पहुंच गए। चारभुजा अस्पताल में घायलों के इलाज की स्थिति देखने के बाद घटना स्थल पर पहुंचे, जहां मौके का अवलोकन करने के साथ ही दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए पुलिस, परिवहन व पीडब्लूडी अधिकारियों को खास निर्देश दिए हैं। फिर विधायक के साथ कलक्टर व एसपी सीधे आरके जिला चिकित्सालय पहुंचे, जहां घायल बच्चों के इलाज की जानकारी लेते हुए परिजनों से मिले। विधायक ने परिजनों को धैर्य बनाए रखने की बात कहते हुए हादसे को लेकर चिंता व्यक्त की।
Three Student Death : दो चचेरी बहनों सहित तीन छात्राओं की मौत
Three Student Death : दुर्घटना में माणकदेह, राछेटी निवासी ललिता (14) पुत्री प्रकाश नट, उसकी चचेरी बहन आरती (12) पुत्री मीठालाल नट और चावंड खेड़ा निवासी प्रीति (14) पुत्री नरेंद्रसिंह रावणा राजपूत की मौके पर ही मौत हो गई। बताया कि प्रीति का सिर बाहर था, जिससे के नीचे दबने से कुचला गया। इस कारण उसकी पहचान भी नहीं हो पाई थी। बाद में शिक्षक व परिजनों ने मौके पर आकर पहचान की।
Road Accident in Rajsamand : देश का सबसे बड़ा सड़क हादसा भी यही हुआ
Road Accident in Rajsamand : 7 सितंबर 2007 को देसूरी नाल के इसी पंजाब मोड़ पर देश का सबसे बड़ा सड़क हादसा हो चुका है, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। तब ट्रोले में 120 लोग सवार थे, जो रामदेवरा दर्शन के लिए जा रहे थे। तब प्रदेश व देश की कई जांच एजेंसियां राजसमंद पहुंची और एक्सपर्ट ने इस देसूरी नाल ढलान को डेंजर जोन मानते हुए तत्काल सड़क के चौड़ाईकरण अथवा ओवरब्रिज बनाने की सलाह दी थी। इसके बावजूद करीब 18 साल पूरे होने के है, लेकिन अभी तक इस सड़क का सुधार नहीं हो पाया।
Rajsamand news today : रोड जाम कर लोगों जताया आक्रोश
Rajsamand news today : सड़क हादसे के बाद परिजनों के साथ क्षेत्रीय लोग आक्रोशित हो गए। इस कारण चारभुजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर एकत्रित लोगों ने हाइवे जाम कर दिया। लोगों का कहना था कि देसूरी नाल में रोजाना हादसे हो रहे हैं, लेकिन रोकथाम को लेकर कोई भी ठोस प्रयास क्यों नहीं हो रहे हैं। लोगों का कहना था कि अधिकारी व जनप्रतिनिधि बार बार कहते हैं कि सड़क चौड़ाईकरण के लिए वन विभाग से स्वीकृति नहीं मिली है, लेकिन क्या वन विभाग सरकार से ऊपर है क्या। बाद में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की समझाइश के बाद लोग शांत हुए और तीनाें छात्रों के पोस्टमार्टम करवाए गए। इस तरह दिनभर चारभुजा में हालात तनावपूर्ण बने रहे। दिनभर चारभुजा अस्पताल व घटना स्थल देसूरी नाल में विशेष पुलिस जाब्ता तैनात रहा।
बिना अनुमति छात्रों का शैक्षिणक भ्रमण
महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल माणकदेह, आमेट से 62 छात्र छात्राओं का शैक्षणिक भ्रमण भी बिना शिक्षा विभाग की अनुमति के होना सामने आया है। स्कूल प्रबंधन द्वारा प्रत्येक अभिभावक से 300- 300 रुपए संग्रहित करके शैक्षिक भ्रमण के लिए बस किराए की और उसके बाद परशुराम महादेव मंदिर सहित तीन अन्य पिकनिक स्थल पर भ्रमण के लिए निकले। परिजनों ने मौखिक सहमति देते हुए 300-300 रुपए दिए, लेकिन न तो परिजनों ने लिखित सहमति दी और न ही शिक्षा विभाग ने शैक्षिक भ्रमण की अनुमति स्कूल प्रबंधन को दी गई। मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी मुकुट बिहारी शर्मा ने बताया कि बिना अनुमति शैक्षणिक भ्रमण की बात सामने आई है और प्रकरण की पूरी जांच के लिए सीबीईओ आमेट को निर्देश दिए हैं।
हादसा चिंताजनक, रोकने के प्रयास करेंगे
देसूरी नाल का हादसा चिंताजनक है। यह हादसा कैसे हुआ, इसकी जांच की जा रही है। तीन बच्चियों की मौत भी दुर्भाग्यपूर्ण है। देसूरी नाल में संकेतक लगाने के साथ ही भविष्य इस तरह के हादसे न हो, इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
बाल मुकुंद असावा, जिला कलक्टर, राजसमंद
बिना अनुमति शैक्षिक भ्रमण, करेंगे कार्रवाई
महात्मा गांधी विद्यालय के छात्र छात्राओं को बिना शिक्षा विभाग की अनुमति के शैक्षिक भ्रमण रखा है। हादसा दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पूरे प्रकरण की विभाग द्वारा जांच करवाई जाएगी और जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
मुकुट बिहारी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, राजसमंद
हादसे के बाद दिनभर के हालात
- सुबह 10 बजे : देसूरी नाल में स्कूली छात्रों से भरी बस अनियंत्रित होकर पलटी।
- 10.15 बजे : बस में सवार 62 छात्र-छात्राएं व 6 शिक्षक को निकाला तो तीन छात्राओं के मौत का पता चला
- 11 बजे : तक सभी घायल व शव को पहुंचाया चारभुजा अस्पताल, गंभीर घायल ले गए जिला अस्पताल
- 11.10 बजे : परिवहन उप निरीक्षक रोहित सिंह मय टीम के पहुंचे घटना स्थल पर
- 11.15 बजे : जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा, एसपी मनीष त्रिपाठी भी पहुंचे चारभुजा
- 10.45 बजे : कुंभलगढ़ विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़ पहुंचे चारभुजा अस्पताल, बच्चों व परिजनो से मिले
- 12.00 बजे : मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी मुकुटबिहारी शर्मा पहुंचे मौके पर
- 12.20 बजे : विधायक, कलक्टर व एसपी पहुंचे जिला चिकित्सालय, घायलों से मिले
- 1.25 बजे : चारभुजा अस्पताल के बाहर आक्रोशित परिजन व ग्रामीणों ने रोड किया जाम
- 2.00 बजे : आक्रोशित लोगों ने भाजपा जिलाध्यक्ष मानसिंह बारहठ व जिला प्रमुख रतनीदेवी चौधरी के पति माधव चौधरी को सुनाई खरी खोटी
- 2.20 बजे : लोगों द्वारा रास्ता जाम करने पर पुलिस ने वाहनों को वैकल्पिक रास्तों से निकाला
- 3.15 बजे : चारभुजा अस्पताल में तीनों शव के हुए पोस्टमार्टम
- 4.30 बजे : तीनों शव को पुलिस जाब्ते के साथ पैतृक गांव के लिए किया रवाना
देसूरी नाल में 14 घातक मौत के मोड़
राजसमंद व पाली जिले की सीमा पर स्थित देसूरी नाल में 14 विकट व घातक मोड़ है, जिसे परिवहन व पीडब्लूडी के अभियंताओं ने डेंजर जोन घोषित कर रखा है। नाल में 14 अंधे मोड़ है, जिसकी वजह से ज्यादातर हादसे हो रहे हैं और कुछ जगह विकट ढलान भी है। इनमें से 11 डेंजर जोन राजसमंद जिले की सीमा में है, जबकि 3 पाली जिले की सीमा में आते हैं। अंधे व तीखे मोड़ होने के कारण वाहन चालकों को कुछ दिखाई नहीं देता और ज्यादातर हादसे हो रहे हैं। इस स्टेट हाइवे की चौड़ाई भी 28 फीट की बजाय सिर्फ 16 फीट ही है। इस कारण दुर्घटनाएं हो रही है।
वर्ष 2019 में हुआ था सर्वे, कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी
वर्ष 2019 में राजसमंद जिला प्रशासन द्वारा परिवहन, पीडब्लूडी, एनएचएआई की संयुक्त टीम का गठन किया था। फिर पूरी सड़क का निरीक्षण करते हुए डीपीआर भी तैयार की गई और सरकार भेजी गई, लेकिन उसके बाद आगे न तो सरकार द्वारा गंभीरता से लिया गया और न ही देसूरी नाल सड़क के सुधार को लेकर कोई प्रयास हो पाए। कहने को तो देसूरी की नाल सड़क स्टेट हाईवे है, लेकिन इसकी चौड़ाई को देखकर ऐसा लगता है कि अभी गांव की सड़क हो। कानूनी पेचिदगियों के चलते देसूरी नाल में सड़क की चौड़ाई नहीं हो पाई, जबकि टोल वसूली लगातार जारी है।
ये भी पढ़ें : School Bus Accident : राजसमंद में बड़ा सड़क हादसा, 60 स्कूली बच्चों की बस पलटी, 3 की मौत
हाईकोर्ट ने भी लगाई थी फटकार
देसूरी नाल में बढ़ते सड़क हादसो को लेकर पाली व राजसमंद जिले के लोगों ने देसूरी नाल संघर्ष समिति का गठन किया। फिर देसूरी नाल में बढ़ते सड़क हादसो को लेकर हाईकोर्ट जोधपुर में रिट भी दायर की गई। इस पर हाईकोर्ट द्वारा जिला कलक्टर राजसमंद, पाली जिला कलक्टर, परिवहन अधिकारी एवं एनएचएआई अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किए थे। मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन फिर भी प्रशासन, राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा देसूरी नाल की सड़क चौड़ी करने अथवा एलिवेटेड रोड को लेकर अभी तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
सरकारों ने नहीं सुनी हमारी बात
देसूरी नाल हादसे आए दिन हो रहे हैं। देश का सबसे बड़ा हादसा भी देसूरी नाल के इसी पंजाब मोड़ पर 7 सितंबर 2007 को हुआ था। इसके लिए संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय परिवहन मंत्री नीतिन गडकरी तक को ज्ञापन दिए। इसके बावजूद सरकारों ने कोई सुनवाई नहीं की। इस कारण इस तरह रोजाना हादसे हो रहे हैं। जब भी अफसर व जनप्रतिनिधियों से मिलते हैं, तो वे वन विभाग की स्वीकृति नहीं मिलने की बात कहते हैं, जबकि मेरा सवाल है कि क्या वन विभाग सरकारों से ऊपर है क्या। अगर जनप्रतिनिधि और सरकार चाहे, तो इन जनहित के मुद्दे का समाधान हो सकता है।
भंवरसिंह मारवाड़, अध्यक्ष देसूरी नाल संघर्ष समिति राजसमंद व पाली
बस में 62 बच्चे और 6 शिक्षक थे सवार
- महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल माणकदेह के 62 छात्र छात्राएं और 6 शिक्षक सवार थे। इनमें आठवीं क्लास के 26 बच्चे आरती वैष्णव, भावेश गुर्जर, भोजाराम गुर्जर, धर्म सिंह, दुर्गेश गुर्जर, गौरी कुमारी, हंसराज ढोली, कानाराम, कनका कुमारी गुर्जर, कांता कुमारी, किशन गुर्जर, कृष्णा गुर्जर, ललिता नट, लक्ष्मी कुमारी साल्वी, ममता नट, ममता साल्वी, मूलाराम साल्वी, राकेश प्रजापत, रमेश प्रजापत, वर्षा कंवर, रिंकू गुर्जर, भानु कंवर, सीता गुर्जर, वंदना प्रजापत, विकास साल्वी और युवराज सिंह थे।
- सातवीं क्लास के 19 बच्चे बंशीलाल, भावेश गुर्जर, भावेश साल्वी, दीपक रैगर, धर्मचंद गुर्जर, दिनेश, गीता गुर्जर, जेठू गुर्जर, कन्हैयालाल, कर्ण गुर्जर, कृष्णा साल्वी, लोकेश कुमार, मदनलाल, निर्भयराज सिंह, पूनम गुर्जर, राहुल नाथ, उर्मिला नट, विक्रम नाथ और विनोद कुमार सवार थे।
- छठी क्लास के 17 बच्चे आरती नट, अनिता नट, भावना साल्वी, फाल्गुनी साल्वी, हरीश साल्वी, ज्योति सेन, कृष्णा गुर्जर, लादूलाल, लक्ष्मी बलाई, लक्ष्मी गुर्जर, मुकेश नाथ, प्रीति कंवर, पुष्पा प्रजापत, रमेश साल्वी, रविना बलाई, सोनू और सूरज सिंह सांखला सवार थे।
हादसे में ये हुए घायल
रोते बिलखते बच्चे बोले- पापा को बुलाओ
जिस जगह हादसा हुआ वहां पर बस 60 फीट गहरी खाई के मुहाने पर पलटी थी। वहां से गुजर रहे लोगों ने वाहन रोके और बिना देर किए मदद के लिए आगे बढ़े। बच्चों को वहां से लाने के लिए रोडवेज बस का इंतजाम किया गया। अधिक घायल बच्चों को एक महिला टीचर के साथ एंबुलेंस से हॉस्पिटल भेजा गया। सहमे हुए बच्चों को सड़क किनारे खड़ा कर संभाला गया। बच्चे बुरी तरह घबराए हुए थे। एक बच्चा पापा-पापा कहते हुए रोने लगा तो वहां रुके एक राहगीर ने दिलासा दी- आ रहे हैं पापा, जल्दी आ रहे हैं। बच्चों की संख्या ज्यादा थी इसलिए उन्हें बस से निकालने में समय लगा। इस दौरान वहां जुटे लोग बार-बार बच्चों से पूछते रहे कि कहां चोट लगी है।
बस पर चढ़ घायल व शवों को निकाला
बस से एक लड़की को निकाला गया, जो लहूलुहान हो गई थी। उसे दो लोग एंबुलेंस में लाए। इसके बाद बस पर चढ़े चार लोगों ने एक बच्ची को लहूलुहान हालत में बस के अंदर से खींचा। नीचे खड़े पुलिसकर्मियों और लोगों ने उसे पकड़ा और एंबुलेंस में पहुंचाया। कुछ लोगों ने कहा- अभी जिंदा है। एक व्यक्ति ने एंबुलेंस ड्राइवर से कहा- तीन बॉडी बस से निकाल दी है। दूसरे से कहा तीन नहीं चार है। एक बच्ची गंभीर घायल थी, जिसकी सांसें चल रही थीं। एंबुलेंस में भी बच्चे रो रहे थे। पुलिस वालों ने एक महिला टीचर को उनके साथ बैठाया। कहा- मैडम तुम्हारे साथ जा रही है।
हादसे के बाद पिता बेसुध, सड़क पर टिफिन व बैग बिखरे
हादसे में एक और बच्ची प्रीति की भी मौत हो गई। प्रीति छठी क्लास की स्टूडेंट थी। पिता पिंटू सिंह को जब पता चला कि इस हादसे में उनकी बेटी की मौत हो गई तो बेसुध हो गए। हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी के बाहर खड़े होकर बार-बार अपनी बेटी को पुकार रहे थे। पास में मौजूद उनके रिश्तेदार उन्हें संभाल रहे थे। पिंटू सिंह बार-बार ये ही पुकार रहे थे…मेरी बेटी एक बार आजा…। इधर, इस हादसे में एक वर्षा नाम की स्टूडेंट घायल है। वह ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर ही बैठी थी। वर्षा ने बताया कि कंडक्टर गेट के पास वाली सीट पर बैठा था। जैसे ही उसे पता चला कि बस पलटने वाली है तो वह चलती बस में से कूद गया। हादसा इतना दर्दनाक था कि जिन तीन बच्चों की मौत हुई उनके चेहरे तक पहचान में नहीं आ रहे थे। घायल बच्चों ने तीन की पहचान करवाई। हादसे वाली जगह पर बच्चों के स्कूल बैग खून से सने हुए और बिखरे हुए पड़े थे। जगह-जगह बच्चों के टूटे हुए टिफिन थे।
आज फिर लील गया तीन बच्चों की जिंदगी
आज फिर वही देसूरी की नाल का पंजाब मोड़ तीन बच्चों की जिन्दगी लील गया। अब शासन, प्रशासन फिर एकजुट होकर जनता को गुमराह करने के लिए ऐलान करेगा कि अब नहीं होगी कोई दुर्घटना। क्योंकि हमने कर दिया है ऐलान के इस मौत के मोड को अब सीधा कर दिया जाएगा। ऐलान, ऐलान, ऐलान कितनी बार हो गया है यह ऐलान, पार्टीयां आई, चाटुकार आए, चमचों ने नेताजी की जय जय कार के गीत गाए, लेकिन दर्द वही का वही। पहले वाला जख्म उन परिवार वालों को रोज नासूर की तरह दर्द देकर गहरी नींद में भी डरा कर जगा देता हैं,आज उन मां-बाप पर पहाड़ टूट गया जिनकी जिंदगी ही इस हादसे का शिकार हो गई। अब फिर तैयारी है मजमा जमाने की, माइक लगाने की, फिर नया ऐलान होगा और नेताजी की जय जयकार से आसमान गुज उठेगा। कुछ समय बाद फिर एक हादसा होगा कुछ लोग मरेंगे फिर ऐसा ही तमाशा होगा। फिर नेताजी की जय जयकार होगी। मरने वाले मरते रहेंगे, लेकिन नेताजी की जय जयकार कभी नहीं रुकेगी।
राहुल दीक्षित, चितंक व साहित्यकार, काव्य गोष्ठी मंच कांकरोली