Jaipur Fire Incident : जयपुर अग्निकांड में अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है। चौबीस घंटे बाद भी 5 लाशों की पहचान नहीं हो पाई है। बिना सिर, पैर की अधजली लाशें है, तो कुछ के केवल कंकाल रह गए हैं, जिनकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। एक शव, जिसके न सिर है न पैर। सिर्फ धड़, वह भी क्षत विक्षत। दूसरे शव के नाम पर सिर्फ हडि्डया कट्टे में बंधी है, जबकि तीसरे शव में शरीर के कुछ मांस के अवशेष मात्र है। इनमें एक शव रिटायर IAS के होने की आशंका है। इसके अलावा अस्पताल में उपचाररत घायलों में भी 7 की हालत नाजुक बनी हुई है। इस पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जांच के लिए जयपुर जिला कलक्टर ने छह सदस्यीय स्पेशल कमेटी गठित कर दी है। हादसे के हालात देख हर किसी की रूह कांप उठती है, मगर जिन लोगों को इस भयानक मंजर से आमना सामना हुआ, उस वक्त कैसे हालात बने होंगे। दुर्घटना में 5 लोग जो जिंदा जल गए थे, जबकि 9 लोगों की अस्पताल पहुंचने के बाद दम तोड़ा था। इसके अलावा 27 लोग अब भी अस्पताल में भर्ती है, जिनमें से 7 की हालत नाजुक बनी हुई है, जो अभी वेंटीलेटर पर है। हादसे में 25 लोग तो 75 प्रतिशत से ज्यादा झुलसे हैं। सवाई मानसिंह अस्पताल के मुर्दाघर में 5 क्षत विक्षत लाशें है, मगर उनकी पहचान नहीं हो पा रही है।
Jaipur Tanker Blast : जयपुर में 20 दिसंबर अल सुबह 5.44 बजे दिल्ली पब्लिक स्कूल के सामने भारत पेट्रोलियम का टैंकर अजमेर से जयपुर की तरफ जा रहा था, तभी हाइवे कट पर यू टर्न ले रहा था, तभी जयपुर से अजमेर की तरफ जा रहा ट्रक टकरा गया। यह टक्कर सिर्फ एक सड़क दुर्घटना नहीं रह गई, बल्कि राजधानी जयपुर शहर की एक बड़ी विपदा आ पड़ी। दुर्घटना के बाद सीएम भजनलाल शर्मा के साथ तमाम विभागीय अफसर, जनप्रतिनिधि भी राहत, बचाव व मदद के लिए दौड़ पड़े। तत्परता का नतीजा रहा कि हादसे में झुलसे लोगों को तत्परता से अस्पताल पहुंचाने के प्रयास किए और चौबीस घंटे की समयावधि में रास्ते को आमजन के लिए खोल दिया गया। फिलहाल अस्पताल में 27 लोग अभी उपचाररत है, जिनमें से 7 की हालत नाजुक है, जबकि 5 लाशों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है, जिसको लेकर पुलिस, प्रशासन मशक्कत में जुटा हुआ है। टैंकर चालक अब भी लापता है।
Jaipur Accident update : अब भी डरा व चौंका रहे दिल दहलाने वाले दृश्य
बिना सिर- पैर का शव, कट्टे में बंधी हडि्डया और मांस के कुछ अवशेष के रूप में लाशे रह गई है। अग्निकांड में कुछ इस तरह के हालात हो गए जिंदा जले लोगों के शरीर के। तभी तो कहते हैं कि ऐसे दर्द को बयां नहीं कर सकते हैं, बल्कि महसूस किया जा सकता है। इस हादसे का जिसका भी आमना सामना हुआ, उनका दिल पहाड़ जैसी पीड़ा लदा है। दर्द ऐसा था कि अस्पताल में डॉक्टर- नर्स का दिल भी पसीज गया और मदद को उठे हाथ भी कांप उठे। जिसने भी इस हादसे के बारे में सुना या देखा, हर कोई असहज हो गया। कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि अज्ञात 5 मृतक की लाशों में सेवानिवृत्त आइएएस के परिजन ने क्लेम किया है। पुलिस अब डीएनए मिलान करके पहचान करेगी।
jaipur accident story : जिन्दगी से खूब लड़ी जंग, फिर भी हार गए
jaipur accident story : दुर्घटना में गंभीर रूप से झुलसे राधेश्याम चौधरी भी कहानी भी हैरान करने वाली है। जिंदगी से बचने के जतन में राधेश्याम ने इतना झुलसने के बाद भी 800 मीटर तक दौड़ा और जलते कपड़ों को शरीर से उतार डाले। झुलने के बाद भी परिजनों को फोन कर दिया। लाख प्रयास के बावजूद जिंदगी की जंग हार गया। आरएसी कॉन्स्टेबल अनिता की पहचान उसके भाई ने पैर में लगी नेल पॉलिश व बिछियों से की। बाइक पर जा रहे रमेश का हेलमेट चेहरे से चिपक गया और आंखें जल गई। होंठ भी जल गए। इस तरह दर्द की कई अंतहीन कहानियां है, जो दिनभर दुर्घटना स्थल से लेकर अस्पताल तक चलती रही।
jaipur police : हादसे में लीक हुई 18 टन गैस
jaipur police : गेल इंडिया लिमिटेड के DGM (फायर एंड सेफ्टी) सुशांत कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि टक्कर से टैंकर के 5 नोजल टूट गए, जिससे करीब 18 टन (180 क्विंटल) गैस लीक हुई। इसी वजह से जोरदार धमाका हुआ और करीब 800 मीटर के दायरे में आग फैल गई। जिस जगह टैंकर में ब्लास्ट हुआ, उसे करीब 200 मीटर दूर एलपीजी से भरा एक और टैंकर था। गनीमत रही कि उसने आग नहीं पकड़ी, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। ्र
Why jaipur accident : उठे सवाल, आखिर दुर्घटना क्यों हुई
Why jaipur accident : जयपुर अग्निकांड के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर यह दुर्घटना क्यों हुई। तमाम एक्सपर्ट भी मौके पर पहुंचे और कागजी फॉर्मलिटी की, मगर भविष्य में ऐसा हादसा न हो, इसके लिए कोई ठोस कदम उठाने की सख्त जरूरत है। प्रथम दृष्टया हादसे की मुख्य वजह यू-टर्न की सामने आई। लंबे समय से यह समस्या है। 3 साल के इंतजार के बाद रिंग रोड तो शुरू कर दी, मगर 5 साल बाद भी क्लोअर लीफ नहीं बनाए। इसी खामी से टैंकर ने यू-टर्न लिया एवं केमिकल से भरे ट्रक ने उसे टक्कर मार दी और यह बड़ा हादसा घटित हुआ।
घायलों की हालत नाजुक, बढ़ सकता है मौत का आंकड़ा
जयपुर टैंकर हादसे में अब तक 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 घायल अब भी उपचाररत है और सात की हालत अब भी नाजुक है, जो वेंटीलेटर पर है। इस कारण मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है। एक यह सवाल भी है कि दुर्घटना में करीब 37 वाहन सूचीबद्ध हुए, जो आग की चपेट में आए, मगर उन वाहनो अलावा टैंकर से उठी आग ने आसपास की करीब 40 गाड़ियों को चपेट में ले लिया था। उन गाड़ियों में कितने लोग सवार थे? उनमें कितने गंभीर रूप से झुलसे? इन सवालों के जवाब भी सरकार और प्रशासन के पास नहीं हैं। तेजी से इन सवालों के जवाब तलाशने होंगे, वरना मौतों का ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
रोडवेज ओवरटेक के बाद ट्रक ने मारी थी टक्कर
जयपुर हादसे का एक प्रत्यक्षदर्शी रोडवेज बस का कंडक्टर हरविंदर सिंह शेखावत भी बना। शेखावत ने बताया कि भीलवाड़ा डिपो की रोडवेज बस को ओवरटेक करने के बाद ट्रक ने टैंकर को टक्कर मारी। चारों तरफ गैस कोहरे की तरह फैल गई। हमारी बस टैंकर व ट्रक की टक्कर से करीब 50 मीटर दूरी पर थी, जो गैस के चलते अचानक बंद हो गई। मैंने ड्राइवर दशरथ को चिल्लाकर कहा जल्दी स्टार्ट कर बस भगाओ, गैस फैल रही है, मगर बस स्टार्ट नहीं हुई। इस तरह तत्काल सवारियों को नीचे उतारा और वह भी चालक के साथ भागा। बस में चार सवारियां थी। एलपीजी गैस की वजह से 15 से ज्यादा चलते वाहन बीच सड़क में ही बंद हो गए। हमारे पीछे चल रहा एक ट्रक व कार भी इसी तरह बंद हुए, तो मैंने चिल्लाकर लोगों से कहा कि वे वाहन छोड़कर भाग जाए। इस तरह 10 से लोगों को बाहर निकाला।
हादसे की जांच के लिए कमेटी का किया गठन
जयपुर हादसे की विस्तृत जांच के लिए परिवहन विभाग द्वारा जयपुर जिला कलक्टर को छह सदस्यीय जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए और कलक्टर ने तत्काल कमेटी का गठन कर दिया। कमेटी में अतिरिक्त जिला कलक्टर, द्वितीय, सदस्य सचिव के रूप में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी जयपुर प्रथम, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पश्चिम, सार्वजनिक निर्माण के अधीक्षण अभियंता जयपुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर द्वितीय, एनएसएआइ जयपुर के परियोजना निदेशक को शामिल किया है। यह कमेटी करीब एक सप्ताह में जांच कर सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।
रोड सेफ्टी विशेषज्ञ बोली- हाइवे पर कट की जरूरत नहीं
हादसे के बाद रोड सेफ्टी विशेषज्ञ डॉ. प्रेरणा ने बताया कि जिस जगह हादसा हुआ है, वहां सबसे बड़ी मिस्टेक कट है। यह हाइवे इंजीनियरिंग की खामी है। हाइवे पर एकाएक कट नहीं बना सकते हैं और अगर बना है, तो वह गंभीर खामी और लापरवाही भी है। रिंग रोड पर ही कर्व बनाकर ट्रैफिक दूसरी ओर निकाला जा सकता था और चौराहे पर हाई मास्क लाइट नहीं लगी है। इस कारण दूर से पता नहीं चलता है कि आगे चौराहा आने वाला है। सर्दी में विजिबिलिटी कम होने से दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिए रेडियम, रिफ्लेक्टर, सिग्नल, मार्कर भी नहीं लगा रखें है। इस तरह रोड इंजीनियरिंग में गंभीर खामी सामने दिख रही है।