Fasal Bima Update : किसानों के लिए राहत भरी खबर है। प्राकृतिक आपदा, बाढ़-सुखाड़ या अन्य मौसमी घटनाओं से फसलों को हुए नुकसान का सटीक आकलन अब सैटेलाइट आधारित तकनीक से किया जाएगा। केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि बीमा कंपनियां यदि क्षतिपूर्ति देने में देरी करती हैं, तो उन्हें किसानों को 12% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करना होगा। इस कदम से किसानों को समय पर और पारदर्शी तरीके से फसल बीमा का लाभ मिलेगा।
Fasal Bima in 12% interest : फसल बीमा योजना: 2016 में हुई थी शुरुआत
Fasal Bima in 12% interest : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत 2016 में केंद्र सरकार ने किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करने के लिए की थी। इस योजना के तहत अब तक ₹1.70 लाख करोड़ से अधिक के दावों का निपटारा किया जा चुका है। यह योजना केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर संचालित करती हैं।
हालांकि, बीमा राशि के भुगतान में देरी और प्रक्रियागत अड़चनों की कई शिकायतें सामने आ रही थीं। इन्हीं समस्याओं को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं।
अब सैटेलाइट आधारित होगा फसल नुकसान का आकलन
पहले क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट्स (CCE) के माध्यम से फसल नुकसान का आकलन किया जाता था। इसमें किसानों के खेतों का भौतिक निरीक्षण किया जाता था, जिसमें समय और संसाधन दोनों की खपत अधिक होती थी। लेकिन अब केंद्र सरकार ने सैटेलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक अपनाने का निर्णय लिया है।
- रिमोट सेंसिंग तकनीक से किसानों के खेतों की वास्तविक स्थिति का आकलन सटीक और तेज़ी से किया जाएगा।
- इसके लिए साइट पर जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और समयबद्ध होगी।
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : समस्या: बीमा भुगतान में देरी के कारण
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : फसल बीमा योजना के तहत कई राज्यों में बीमा भुगतान में देरी की शिकायतें सामने आईं। इसके पीछे मुख्य कारण थे:
- राज्य सरकारों की देरी: कुछ राज्य अपने हिस्से का प्रीमियम समय पर जमा नहीं कर रहे थे।
- उपज का गलत विवरण: फसल उत्पादन के आंकड़े सटीक नहीं दिए जा रहे थे।
- कंपनियों और राज्यों के बीच तालमेल की कमी: बीमा कंपनियों और राज्य सरकारों के बीच मतभेद के कारण दावे लंबित हो रहे थे।
- किसानों के खातों की जानकारी का अभाव: पात्र किसानों के खातों में सही जानकारी नहीं होने के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा था।
- प्रक्रिया की जटिलता: राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर डेटा की अपूर्ण प्रविष्टि और किसानों के प्रीमियम को बीमा कंपनियों तक समय पर न भेजना।
PMFBY New Update : केंद्र सरकार ने उठाए बड़े कदम
PMFBY New Update : बीमा दावों को समय पर निपटाने के लिए केंद्र सरकार ने कई सुधार लागू किए हैं:
- राज्यों से प्रीमियम अलग किया गया: केंद्र ने अपना प्रीमियम राज्यों से अलग कर लिया, ताकि बीमा राशि समय पर जारी हो सके।
- 30 दिनों में दावे का निपटारा अनिवार्य: राज्य सरकारों से फसल नुकसान का अंतिम ब्योरा प्राप्त होने के बाद बीमा कंपनियों को 30 दिनों के भीतर क्षतिपूर्ति का भुगतान करना होगा।
- 12% ब्याज का प्रावधान: तय समय सीमा के बाद भुगतान में देरी होने पर कंपनियों को 12% वार्षिक ब्याज देना होगा।
- डिजीक्लेम प्लेटफॉर्म: राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर डिजीक्लेम प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में भुगतान हस्तांतरित किया जाएगा।
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किसानों के लिए आसान प्रीमियम दरें
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को केवल न्यूनतम प्रीमियम देना होता है:
- खरीफ फसलों के लिए: 2%
- रबी फसलों के लिए: 1.5%
- वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए: 5%
बाकी प्रीमियम का भुगतान केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर करती हैं।
शिकायत निवारण के लिए नया पोर्टल और हेल्पलाइन
किसानों की शिकायतों को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने कृषि रक्षक पोर्टल और टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14447 शुरू किया है।
- किसान अपनी शिकायतों को ट्रैक कर सकते हैं।
- उन्हें तय समय सीमा में समाधान प्रदान किया जाएगा।
किसानों के लिए ये बदलाव क्यों महत्वपूर्ण हैं?
केंद्र सरकार द्वारा किए गए इन सुधारों से किसानों को समय पर फसल बीमा का लाभ मिलेगा।
- आसान और पारदर्शी प्रक्रिया: सैटेलाइट तकनीक और डिजीक्लेम प्लेटफॉर्म से प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और तेज़ होगी।
- समय पर भुगतान: अब कंपनियां निर्धारित समय सीमा में क्षतिपूर्ति का भुगतान करेंगी।
- आर्थिक सुरक्षा: 12% ब्याज के प्रावधान से कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा, जिससे किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किए गए ये सुधार किसानों के लिए एक बड़ी राहत हैं। प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों के नुकसान की स्थिति में अब उन्हें समय पर और सटीक मुआवजा मिलेगा। सैटेलाइट आधारित आकलन और डिजीक्लेम जैसे प्लेटफॉर्म किसानों के जीवन को सरल और सुरक्षित बनाएंगे। केंद्र सरकार का यह कदम किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।