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कुंए की खदाई करती रेस्क्यू टीम

13 साल के बच्चा कुए में गिर गया। इसे बचाने के लिए 30 लोग जुटे लेकिन वो भी कुंए में गिर गए। पूरे गांव में चीख-पुकार से हाहाकार मच गया। पुलिस को फोन किया तो बोले हमें अभी आधार घंटा लगेगा। जब पुलिस पहुंची तो पहले बचाने की बजाय नाश्ते पानी में जुट गई। बच्चे के पिता ने सीएम हेल्पलाइन पर फोन कर कहा मदद करने आई पुलिस भुखी है खाने का कुछ भेज दीजिए।

यह मामला मध्य प्रदेश के विदिशा गांव का है। जहां 13 साल के रवि को बचाने गए 30 लोग भुरभुरी मिट्टी में बने कुएं में गिर गए। पूरे गांव में चीख-पुकार मची तो लोगों ने 100 डायल कर पुलिस को बुलाया। इतने बड़े हादसे के बावजूद पुलिसवालों का जवाब था- आने में अभी आधा घंटा लग जाएगा। बाद में कुछ पुलिस आए पर तुरंत लोगों को बचाने की जगह नाश्ते-पानी में जुट गए। जिस पिता का बेटा लापता हुआ था, वो ये सब देखकर हताश और दुखी हो गया। इसी हताशा में उसने सीएम हेल्पलाइन पर फोन कर कहा- साहब, ये बहुत भूखे हैं। इन्हें समोसा-पानी भिजवा दो।

‘गुरुवार को शाम के करीब 6:30 बजे होंगे। मेरे दो बेटे संजय और रवि कुएं पर पानी भरने गए थे। मैंने उन्हें टोका भी..अंधेरा हो गया है..अभी मत जाओ, अब सुबह जाना। लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी और कहा-पापा बस ले आते हैं। बड़े बेटे संजय ने अभी दो ड्रम उठाकर रखे ही थे कि रवि अचानक कुएं में गिर गया। संजय की जैसे जान निकल गई। वह घर पहुंचा और पापा, रवि कुएं में डूब गया है। फिर क्या था, जैसे मेरे पैरों के नीचे से जमीन चली गई हो। हम दोनों ने एक-दूसरे को संभाला और आसपास के लोगों को इकट्‌ठा किया। आधे घंटे में कई लोग जुट गए और हम कुएं के पास गए। यहां पहले से दो लोग रवि को बचाने के लिए कुएं में कूद गए थे। मैंने अंदर तैर रहे दोनों लोगों से कहा कि भाई, आधा घंटा हो गया है। अब मेरा बेटा तो गया। तुम लोग बाहर आ जाओ। इस दौरान कुएं के पास करीब 40 से 50 लोग खड़े थे। भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। शोर-शराबे के बीच अचानक जोर की आवाज आई और मेरे सामने कुएं के नजदीक खड़ी भीड़ मलबे समेत कुएं में समा गई। कुएं का छज्जा कमजोर था, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ। हम दूर थे तो बच गए।

पूरे गांव में चीख-पुकार मच गई थी। हमने पुलिस को फोन लगाया तो 2 घंटे बाद 2 पुलिसकर्मी आए, लेकिन लोगों को देखकर वह भी भाग गए। फिर हमने डायल 100 को फोन किया। पुलिस कर्मियों ने बताया कि वह अभी दूसरी जगह हैं, वहां तक पहुंचने में आधा घंटा लग जाएगा। मैंने कहा तब तक तो कुछ नहीं बचेगा।

फिर मैंने 181 पर फोन किया। यहां मुझे बताया गया कि एंबुलेंस भेज रहे हैं। मैंने कहा कि पहले सहायता भेजिए, जब लोग निकाले जाएंगे तब ही तो एंबुलेंस की जरूरत पड़ेगी। उसके बाद कुछ पुलिस वाले आए, लेकिन वे बचाने की जगह नाश्ता करने में लगे हुए थे। मैंने फिर से सीधे सीएम हेल्पलाइन के नंबर 181 पर कॉल किया और उनसे कहा- साहब! यह बहुत भूखे हैं, वहां से इन्हें समोसा-पानी भिजवा दीजिए। आप सीएम हैं, कुर्सी पर हैं। हम तो कुछ नहीं कर सकते। मैं बहुत दुखी था।

181 पर कॉल करने के बाद अमला हरकत में आया और उसके बाद जेसीबी मशीन लगाई गई। कुंए में बहुत पानी आता है, ऐसे में एक पंप से पानी निकालना नामुमकिन था, लेकिन प्रशासन उसी से रात भर अभियान चलाता रहा। मुझे पता है कि मेरा बच्चा जिंदा नहीं बचा होगा, लेकिन अगर यह किसी सीएम या अधिकारी का बच्चा होता तो पूरा प्रशासन जुट गया होता। यह एक गरीब का बच्चा है इसलिए हमें तो वहां पास भी नहीं जाने देते हैं और कुछ बताते नहीं हैं। बस कहते हैं- जाओ यहां से।

रेस्क्यू में इसलिए आई परेशानी
कुएं में गिरे लोगों को निकालने में काफी परेशानी आई। रात होने की वजह से रेस्क्यू अभियान सही तरीके से नहीं चल पाया। जेसीबी मशीन जब खुदाई करने लगी तो भुरभुरी जमीन होने की वजह से ऊपर की मिट्‌टी धंसक गई। इसलिए दोबारा खोदकर मिट़्टी हटानी पड़ी। भुरभुरी मिट्‌टी होने की वजह से ही रात में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान ट्रैक्टर भी पलट गया। जिसमें दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बचाव दल के 3 लोग मलबे में दब गए थे। इसके अलावा कुएं से निकाला गया पानी झीर से दोबारा आ गया, इसलिए भी दिक्कत हुई।

रेस्क्यू टीम के पांच सदस्य घायल
भोपाल में NDRF को सवा नौ बजे सूचना मिली थी। इसके बाद टीम गंजबासौदा रवाना हुई। हादसे के दौरान रेस्क्यू कर रहे NDRF और SDRF के 5 सदस्य घायल हुए हैं। ट्रैक्टर के मलबे में दब जाने से दो लोग घायल हो गए हैं। इसके अलावा रेस्क्यू के तीन सदस्य घायल हुए हैं। घायल लक्ष्मी नारायण, रमेश, मोहन, गोलू और शशिधर घायल हो गए। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।