Bhawana Jat https://jaivardhannews.com/rajsamands-spirit-will-play-in-tokyo-olympics/

टोक्यो ओलंपिक में रेसवॉकिंग में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही राजसमंद जिले की बेटी भावना जाट के खेल में कॅरियर बनाने के फैसले के पीछे की एक दिलचस्प कहानी है। रेलमगरा के काबरा गांव की भावना एक बार जिला स्तरीय खेल स्पद्र्धा में भाग लेने पहुंची, जहां सिर्फ रेसवॉकिंग में हिस्सा लेने के लिए जगह खाली थी। ऐसे में भावना उसी खेल में भाग लेने के बाद रेस वॉकर के रूप में कॅरियर की शुरुआत कर दी। भावना ६ अगस्त को टोक्यो ओलंपिक के फाइनल मुकाबले में भाग लेगी, जिसकी जीत को लेकर राजसमंद जिले में हवन अनुष्ठान हो रहे हैं, तो पूरा देश भी उसकी जीत की कामना कर रहा है।

साल 2009 में एक राष्ट्रीय स्तर के स्कूल स्पोट्र्स टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का फैसला लिया। राज्य की टीम का हिस्सा होने के लिए उन्हें पहले जि़ला स्तर की बाधा को पार करना था। उनके स्पोट्र्स टीचर उन्हें ट्रायल के लिए जिला स्तर की प्रतियोगिता में ले गए, वहां जाने के बाद उन्हें पता चला कि सिर्फ रेस वॉकिंग में एक जगह खाली बची हुई है। थोड़ा सोच विचार करने के बाद भावना ने रेस वॉकिंग में हिस्सा लेने का फैसला कर लिया। उसके बाद तेरह साल से लगातार रेस वॉकिंग की पे्रक्टीस करती रही। गांव में कच्ची सडक़ पर पे्रक्टीस करने वाली भावना अब हमारे भारत देश का प्रतिनिधित्व कर रही है।

यह है व्यक्तिगत परिचय

नाम : भावना जाट
जन्म : 1 मार्च 1996
पिता : शंकरलाल जाट, किसान
माता : नोसरदेवी, गृहिणी
निवासी : काबरा, तहसील रेलमगरा, जिला राजसमंद, राजस्थान
खेल : एथलीट, पैदल चाल का राष्ट्रीय रिकॉर्ड
नौकरी : 2017 को रेलवे में नौकरी टिकट निरीक्षक
पदक
रजत पदक : जूनियर नैशनल चैंपियनशिप
स्वर्ण पदक : अखिल भारतीय रेलवे खेल प्रतियोगिता 2019
स्वर्ण पदक : राष्ट्रीय चैम्पियनशिप 2020

गांव की सडक़ पर की प्रैक्टिस

भावना जाट के पिता शंकर लाल जाट एक गरीब किसान है जबकि उनकी मां नोसार देवी एक गृहिणी है। उनका परिवार दो एकड़ जमीन पर होने वाली खेती पर निर्भर है। भावना के पिता के लिए अपनी बेटी की ट्रेनिंग संबंधी ज़रूरतों को पूरा करना बहुत मुश्किल भरा काम था। पिता के लिए बेटी भावना को उच्च स्तरीय खेल का प्रशिक्षण देना एक स्वप्न मात्र था। क्योंकि न तो उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत थी और न ही वह खेलाने में सक्षम थे। भावना की प्रतिभा को देखते हुए जाट समाज के साथ जिले के कई लोग उसकी मदद को हाथ आगे बढ़ाए और उसके आगे खेलने का मार्ग प्रशस्त होता गया। प्रारंभ में गरीबी के चलते भावना ने तडक़े सुबह गांव की सडक़ पर पे्रक्टीस करती। भावना बताती हैं कि समाज के दबाव के बावजूद उनका परिवार उनके पीछे मज़बूती से खड़ा रहा। उनके बड़े भाई ने कॉलेज छोडक़र नौकरी करनी शुरू कर दी, ताकि वो भावना को रेस वॉकिंग का कॅरियर बनाने में मदद पहुंचा सके।

1 घंटा 36 मिनट में पहुंची 20 किमी.

भावना ने 2019 में ऑल इंडिया रेलवे प्रतियोगिता में 20 किलोमीटर की रेस वॉकिंग में गोल्ड मेडल जीता और 20 किलोमीटर की यह दूरी उन्होंने एक घंटे 36 मिनट व 17 सैकंड में पूरे किए थे। भावना ने रांची में 2020 में हुए नेशनल चैंपियनशिप में नया रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने 20 किलोमीटर की दूरी एक घंटे, 29 मिनट व 54 सैकंड में पूरा कर यह रिकॉर्ड बनाया। इस प्रदर्शन की वजह से वो टोक्यो ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई की।

आर्थिंग तंगी में पढ़ाई छोड़ी

परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते भावना को कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोडऩी पड़ी। फिर उसने रेलवे में टिकट निरीक्षक के पद पर आवेदन किया, तो उसका चयन हो गया। वर्तमान में हावड़ा में उसकी नौकरी है। आर्थिक तंगी के कारण ही रेलवे की नाैकरी ज्वाइन की, मगर आगे खेलने का उसका सपना बरकरार रहा। रेलवे से छुट‌‌टी लेने में भी उसे दिक्कत हुई, मगर हर परिस्थिति का सामना किया।

तंगी में भी साथ खड़ा रहा परिवार

जाट ने 2009 से शारीरिक शिक्षा के शिक्षक हीरालाल कुमावत से गंभीरता से प्रशिक्षण लेना शुरू किया। हालांकि प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी के साथ और भी कई चुनौतियाँ थीं। उनके गाँव के स्कूल में भी कोई अच्छा मैदान नहीं था, जिसकी वजह से उन्हें अपने गाँव के आसपास अभ्यास करने को विवश होना पड़ा और यह आसान नहीं था। उनके परिवार की आर्थिक तंगी एक और बड़ी बाधा थी। यहाँ तक कि उन्हें आर्थिक परेशानियों के कारण उन्हें बीच में ही अपने कॉलेज की पढ़ाई छोडऩी पड़ी थी। लेकिन वे कहती हैं कि परिवार ने उनके खेल के प्रशिक्षण का हर संभव समर्थन किया। उनके बड़े भाई को भी कॉलेज की पढ़ाई छोडऩी पड़ी थी लेकिन लेकिन भावना जाट की प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वह नौकरी करने लगे।