इस बार मानसून की बेरुखी से खरीफ की 91 हजार 127 से अधिक हेक्टेयर में खड़ी फसल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। एक सप्ताह बारिश नहीं हाेने पर फसल सूख जाएगी। वहीं अभी कहीं कहीं फसल सूखने के कगार पर आ चुकी है। जिले में खरीफ सीजन की फसलों से किसानाें काे एक अरब 4 हजार करोड़ 17 लाख 9 हजार रुपए का टर्नओवर होने से सार्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। जिले में अब तक सामान्य से कम बारिश हुई। वहीं नंदसमंद, राजसमंद, बाघेरी का नाका, भराई, सांसेरा सहित बांध, तालाब, बावड़िया, नाड़िया तथा नदियां वर्षा जल के लिए तरस रहे हैं। तथा सूखे व रीते पड़े हैं। इससे खरीफ की फसलें मक्का, साेयाबीन, ग्वार, मूंग, मूंगफली पकने से पहले ही मुरझाकर दम तोड़ रही है।
जिलेभर में मानसून की बेरुखी के चलते, क्षेत्र की प्रमुख नदियों में बनास, गोमती, चंद्रभागा व खारी के उद्गम स्थल भी सूखे की चपेट में है। इन नदियों के प्रवाह क्षेत्र में आने वाले सभी छोटे-बड़े एनीकट, तालाब, बावड़ी, कुएं आदि वर्षा जल के अभाव में रीते पड़े हैं। इससे क्षेत्रवासियों के सामने कृषि-जल व पेयजल का संकट आ गया है। जिले में वर्षा जल संचय प्रबंधन के अभाव के चलते पेयजल एवं कृषि जल के लिए प्रमुख जल स्रोताें में पानी नहीं आने से आसपास के क्षेत्रों को जलापूर्ति करने वाली खारी नदी में भी पानी का प्रवाह नहीं रहा। इससे क्षेत्र की प्रमुख खरीफ की फसल मक्का अपनी परिपक्व अवस्था से पहले ही मुरझा कर मृतप्राय हो गई है।
किसान त्रिलोक भील ने बताया कि इस बार मानसून की बेरूखी से क्षेत्र के अधिकांश प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी की आवक कम रही। इससे खेतों को सिंचाई नहीं हो सकती। बर्बाद हो जाएगी। किसानों ने सरकार से लागत का दोगुना मुआवजा देने की मांग की।