श्री कृष्ण जन्मस्थान पर भगवान के जन्म अभिषेक का कार्यक्रम श्री गणेश, नवग्रह पूजन के साथ शुरू हुआ। इसके बाद 1008 कमल पुष्पों से ठाकुर जी का सहस्त्रचरन कर आवाहन किया गया। घड़ी की सुइयों ने जैसे ही 12 बजाए मध्य रात्रि का समय हुआ, पूरा मंदिर परिसर ढोल, नगाड़े, झांझ, मजीरे, मृदङ्ग और शंख की ध्वनि से गुंजायमान हो उठा। इस दौरान मंदिर से भगवान की छवि अभिषेक स्थल पर लाई गई।
जहां वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य रजत कमल पुष्प में विराजमान भगवान का स्वर्ण रजत निर्मित कामधेनु गाय के दूध से प्रथम अभिषेक किया गया। इसके पश्चात शंख के माध्यम से भगवान का दूध, दही, घी, बूरा और शहद से अभिषेक हुआ। भगवान के अभिषेक के बाद आरती की गई। भगवान के 5248 वें जन्मोत्सव पर उनके प्राकट्य होते ही पूरे बृज मंडल में बधाई शुरू हो गई। भक्त कहने लगे…नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की।
वहीं, इससे पहले विश्व के सबसे ऊंचे बनने जा रहे वृंदावन स्थित चंद्रोदय मंदिर के बाद बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण के प्राकट्य से पहले दर्शन को श्रद्धालु आतुर दिखाई दिखे। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भगवान का पवित्र नदियों के लाए गए जल से और फिर उसके बाद गाय के दूध, दही, घी, बूरा और शहद से अभिषेक किया गया। इस दौरान शंख, ढोल की ध्वनि से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।
क्यों लिया था जन्म श्रीकृष्ण ने बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में, अष्टमी तिथि को व रात्रि काल में
द्वापर युग में श्रीकृष्ण द्वारा बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में, अष्टमी तिथि को व रात्रिकाल अवतार लेने का प्रमुख कारण उनका चंद्रवंशी होना है। श्रीकृष्ण चंद्रवंशी हैं और चंद्रदेव उनके पूर्वज। बुध चंद्रमा का पुत्र है। इसी कारण चंद्रवंश में पुत्रवत जन्म लेने के लिए बुधवार को चुना। रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी व नक्षत्र है, इसी के कारण रोहिणी नक्षत्र में जन्मे। अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक है, कृष्ण शक्ति संपन्न, स्वमंभू व परब्रह्म हैं, इसलिए अष्टमी को अवतरित हुए। रात्रिकाल में जन्म लेने का कारण है कि चंद्रमा आकाश रात्रि में निकलता है। अपने पूर्वज की उपस्थिति में जन्म लेने कारण रात्रि में प्रादुर्भाव हुआ। पूर्वज चंद्रदेव की भी अभिलाषा थी कि श्री हरि विष्णु मेरे कुल में कृष्ण रूप में जन्म ले रहे हैं तो मैं इसका प्रत्यक्ष दर्शन कर सकूं। पौराणिक धर्म ग्रंथों में उल्लेख है कि कृष्ण अवतार के समय पृथ्वी से अंतरिक्ष तक समूचा वातावरण सकारात्मक हो गया था। प्रकृति, पशु पक्षी, देव, ऋषि, किन्नर आदि सभी हर्षित व प्रफुल्लित थे। यानी, चहुंओर सुरम्य वातावरण बन गया था। धर्मग्रंथों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि श्रीकृष्ण ने योजनाबद्ध रूप से पृथ्वी पर मथुरापुर में अवतार लिया।
शहर में करीब 750 होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस समेत करीब 10 हजार से ज्यादा फ्लैटों में सभी रूम फुल हैं। श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट के सचिव कपिल शर्मा का कहना है कि इस साल लाखों से ज्यादा लोगों के आने की उम्मीद है, क्योंकि कोरोना की वजह से पिछले साल जन्माष्टमी पर सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हुआ था। इसलिए अब राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आ रहे हैं।
कान्हा की नगरी में CM योगी बोले- 3 सालों से कर रहा था यहां आने का इंतजार
इससे दोपहर तीन बजे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के आयोजन में मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ भी पहली बार शामिल हुए। यहां राम लीला मैदान में आयोजित कृष्णोत्सव में मुख्यमंत्री ने सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी। CM ने भारत माता की जय के साथ कहा कि वे इस अवसर का तीन सालों से इंतजार कर रहे थे। साल 2019 में आगरा तक आ गया, लेकिन तभी सूचना मिली कि सुषमा स्वराज जी का निधन हो गया। साल 2020 में कोरोना था, स्थितियां गंभीर थीं। अब कोरोना नियंत्रण में है, मगर सावधानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि मैं वृंदावन बिहारी लाल से प्रार्थना करने आया हूं कि जैसे आपने अनेक राक्षसों का अंत किया था, वैसे ही कोरोना रूपी राक्षस का भी अंत करने की कृपा करें।
CM बोले- धरा पर धर्म की स्थापना के लिए कृष्ण का प्राकट्य हुआ
आगे CM ने कहा कि पहले आपके पर्व और त्योहार में बधाई देने के लिए मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक नहीं आते थे। भाजपा के प्रतिनिधियों को छोड़कर अन्य दलों के लोग दूर भागते थे। हिंदू पर्व और त्योहारों में कोई सहभागी नहीं बनता था। अलग से बंदिशें लगती थीं। CM योगी ने कहा कि धरा पर धर्म की स्थापना के लिए कृष्ण का प्राकट्य हुआ था। उन्होंने कहा कि देश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में परिवर्तन कर रहा हैं। आजादी के बाद पहली बार जब कोई राष्ट्रपति अयोध्या पहुंचे। नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने रामलला के दर्शन किए…यही परिवर्तन है।
7 तीर्थस्थलों पर शराब पर लगे रोक
बृज क्षेत्र में घोषित 7 तीर्थ स्थल वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल, बलदेव, गोवर्द्धन व महावन में संतों ने शराब बंद करने के लिए कहा है। मुख्यमंत्री ने प्रशासन से कहा कि वह ऐसी योजना बनाएं की इस काम को करने वाले उजड़ें भी न और उनका पुनर्स्थापन भी हो जाए। इस काम को करने वालों को दुग्ध उत्पादन से जोड़ें। फरवरी में वृंदावन में लगे वैष्णव कुंभ मेले के संपन्न होने पर संतों ने मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए उनको सम्मान पत्र दिया। संत फूलडोल दास महाराज ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह मथुरा से चुनाव लड़ें।