चायपत्ती में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। ऐसे में चोट या किसी जख्म पर चाय बनाने के बाद बची चायपत्ती का लेप लगाना फायदेमंद रहता है। उबली हुई चायपत्ती को पहले अच्छी तरह धो लें। फिर इसे चोट पर लगाने से घाव जल्दी भर जाएगा। इसके अलावा आप चाहें तो चायपत्ती को धोकर दोबारा उबाल लें, इस पानी से घाव धोना भी फायदेमंद होता है।
- चायपत्ती का पानी एक बेहतरीन कंडिशनर होता है, चायपत्ती को धोकर दोबारा उबाल लें। इस पानी से बालों को धोएं, इससे बाल चमकदार और सॉफ्ट हो जाएंगे।
- चायपत्ती को दोबारा धोकर सुखा लें। काबुली चने बनाते समय इस चायपत्ती का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे चने की रंगत निखर जाएगी, इस्तेमाल करने का तरीका है कि, जब भी काबुली चने बनाएं उसके पूर्व उन्हें गलाते समय ही थोड़ी-सी उक्त पत्ती भी डाल दें। 1/2 घंटे बाद निकाल कर चनों को उपयोग में लें।
- चायपत्ती को धोकर दोबारा उबाल लें, इस पानी को एक स्प्रे-बॉटल में भरकर फर्नीचर की सफाई करें, इससे फर्नीचर चमक उठेंगे।
- चाय बनने के बाद बची हुई चायपत्ती को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें, इस चायपत्ती का इस्तेमाल खाद के रूप में भी किया जा सकता है।
- ऐंसे और भी कई बताये गए एवं माने हुए सुप्रसिद् व रोजमर्रा जीवन में काम आने वाले कारगर नुस्ख़े पढ़ें और लाभ प्राप्त करें।
डॉ. तत्सवितु व्यास
सु-जोक थेरेपिस्ट एक्यूप्रेशर
एवं प्राकृतिक सलाहकार