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ललिता राठौड़
राजसमंद

जिले में कोरोना से जिंदगी की जंग लड़ रहे 20 से 50 साल की आयु वाले लोगों के अधिक फेफड़े खराब हो रहे हैं। जबकि 12 साल की आयु वालों में यह संक्रमण नाम मात्र हैं। हालांकि 15 से 20 प्रतिशत मरीज ऐसे आ रहे हैं, जिनका सीटी स्कोर 16 या इससे अधिक आ रहा है। यह सबसे बड़ी चिंता है। कुछ दिन पहले तीन साल की एक बच्ची के फेफड़ों में हल्के संक्रमण की शिकायत सामने आई थी, लेकिन अब उसको भी कुछ दिनों में ही उपचार के बाद अस्पताल से घर भेजा जा चुका है।

लेकिन अब बीते कुछ दिनों से जिले के सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों में सीटी करवाने वालों की हाेड़ मची हुई है। कोरोना के मामूली संक्रमण वाला मरीज भी सीटी स्कैन कराने पर अड़ा हुआ है। जो शरीर के लिए काफी हार्मफुल बताई जा रही है। चिकित्सकों के अनुसार एक सिटी स्कैन करवाना मतलब 300 एक्स-रे करवाने के बराबर है।

मतलब साफ है इससे रेडियेशन का भी खतरा पैदा हो गया है, जो शरीर के लिए काफी घातक है। इसलिए जरूरी है कि चिकित्सक की सलाह के बगैर सीटी स्कैन नहीं करवाएं। बहुत जरूरी हो तभी सिटी स्कैन करवाएं। सूत्राें के अनुसार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते अचानक सीटी स्कैन करवाने वालों की तादाद बढ़ गई हैं। अब काेराेना के हल्के लक्षण वाले भी सीटी स्कैन करवाने की बोल रहे हैं।

पहले आरके अस्पताल में औसत 10 से 15 सीटी स्कैन हाेती थी, लेकिन अब हर दिन 70-80 सीटी स्कैन हो रही है। इससे भी ज्यादा निजी लैब पर सीटी स्कैन करवाने वालों की होड़ मची हुई है। इससे फायदा कुछ नहीं, नुकसान ज्यादा है। जिले में वर्तमान में करीब 200 से 250 सीटी स्कैन हाे रही है।

युवाओं में संक्रमण बढ़ रहा : एक से बीस साल वालों में संक्रमण कम, लेकिन इनसे बड़े गंभीर
आरके अस्पताल के डाॅ. संघर्ष जैन ने बताया कि काेराेना से अब युवाओं के भी फेफड़े खराब हो रहे हैं। हालत यह है कि 20 से 50 साल की उम्र वाले 40 से 50 प्रतिशत ऐसे लाेग हैं, जिनके फेफड़े ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं। जबकि 50 प्रतिशत में 50 साल व इससे ज्यादा की आयु वाले लोग हैं, जिनके फेफड़ों में संक्रमण हैं।

एक से 20 साल की उम्र वाले बच्चों एवं युवकों में संक्रमण बहुत कम देखने को मिल रहा है। वर्ष 2020 में कोरोना की पहली लहर में 50 से ज्यादा उम्र के लोगों के सर्वाधिक फेफड़ों में संक्रमण था, जिनकी संख्या करीब 70 से 80 प्रतिशत है। अब युवाओं में यह संक्रमण ज्यादा देखने को मिल रहा है।

ये है स्काेर की स्थिति

डाॅक्टराें के अनुसार एक से 9 सिटी स्कोर सेफ माना जाता हैं। वहीं 9 से 15 सीटी स्कोर होने पर उसे मध्यम या मॉडरेट जबकि इससे अधिक 16 से 25 सीट स्काेर होने पर बहुत खतरनाक स्थिति में माना जाता है। आरके अस्पताल में 20 से 25 सीट स्काेर वालों को भी उपचार के बाद रिकवर किया है। वे सकुशल अपने घर पहुंचे हैं। चिकित्सकाें के अनुसार 16 से 17 सिटी स्कोर वाले तो कई लोग हैं, जिनको रिकवर किया जा चुका है। 8 से 16 तक स्काेर वालों को मीडियम पर जीरो से 7 स्कोर तक को सुरक्षित माना जाता है।