राजस्थान में कोरोना तीसरी लहर की आशंका के बीच माइट या पिस्सू के काटने से फैलने वाली ‘स्क्रब टाइफस’ जैसी बीमारी के मामले मिल रहे हैं। प्रदेश का आंकड़ा 1100 के पार हो गया है। इनमें से 5 लोगों की मौत हो चुकी है। पहले नंबर पर उदयपुर और दूसरे नंबर पर जयपुर है।
ऐसे में बरसात के मौसम में अधिक अलर्ट रहना पड़ेगा। मौसमी बीमारियों के मामले बढ़ने पर अस्पतालों में मरीजों को बैड नहीं मिल रहे हैं। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पॉजिटिव पाए जाने पर संबंधित जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारी को स्प्रे एवं अन्य गतिविधि करने के लिए सूचना देते हैं। अब सवाल उठता है कि चिकित्सा विभाग कोरोना की तरह मौसमी बीमारियों की मौत के आंकड़े भी छिपाने में लगे हैं। इधर, स्वाइन फ्लू के भी 8 मामलों में जयपुर में 4, कोटा, राजसमंद, सवाईमाधोपुर और अलवर में एक-एक केस मिला है और डेंगू का आंकड़ा चार हजार के करीब पहुंच चुका है। प्रदेशभर में बीते 5 दिन में ही 900 से ज्यादा मरीज बढ़ गए हैं।
एसएमएस अस्पताल के मेडिसन के डॉ. पुनीत सक्सेना का कहना है कि स्क्रब टाइफस ओरेंशिया सुसुगेमोसी नामक बैक्टीरिया के कारण फैलती है। लोगों में यह संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से फैलता है। इसे बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक वेक्टर जनित बीमारी है। यह समय के साथ सेंट्रल नर्वस सिस्टम, कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम, गुर्दे, सांस से जुड़ी और गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को प्रभावित करता है। कई मामलों में मल्टी ऑर्गन फेल्योर से मरीज मौत के मुंह में चला जाता है।
‘स्क्रब टाइफस’ के ये हैं लक्षण और खतरे
दो हफ्ते के अंदर मरीज को तेज बुखार। सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व कमजोरी। आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित 40-50 फीसदी लोगों में कीड़े के काटने का निशान दिखता है। निशान गोल और ब्लैक मार्क होता है। आधे से अधिक लोगों में निशान दिखता भी नहीं है।
गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स की कमी । समय पर इलाज नहीं मिलने पर निमोनिया का रूप धारण कर लेता है।