आन, बान व शान के लिए दुनिया के पे्ररणास्त्रोत महाराणा प्रताप जिस तरह जंगल में टाइगर से लड़ गए थे, ठीक उसी तरह रविवार को राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ क्षेत्र में एक 16 वर्षीय किशोर पैंथर से लड़ गया। पैंथर ने जब भैंस के बछड़े पर हमला किया, तो किशोर उसे बचाने पहुंच गया। इस पर पैंथर ने उस पर हमला कर दिया, लेकिन किशोर चीखे- चिल्ताते हुए पैंथर से मुकाबला करने लग गया। किशोर की चीख सुनकर गांव से कुछ लोग दौड़ आए, तो पैंथर जंगल की तरफ भाग खड़ा हुआ।

यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बल्कि राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ तहसील में मजेरा ग्राम पंचायत के चित्तौड़ा ढाणी के रहने वाले 16 वर्षीय दिनेश पुत्र मोहनराम गमेती के साथ सच्ची घटना है। किशोर के हाथ व पैर पर पैंथर के हमले व नाखून के निशान स्पष्ट दिख रहे हैं। वह जंगल में भैंस चरा रहा था, तभी अचानक पैंथर आ गया और भैंस के एक बछड़े पर हमला कर दिया। भैंस पर पैंथर का हमला होते ही वह बचाने के लिए तेज चीख की आवाज के साथ दौड़ पड़ा। इस पर पैंथर ने भैंस के बछड़े को छोड़ दिया और दिनेश पर हमला कर दिया। पैंथर नाखूनों से उसे नोचने लगा, लेकिन बच्चा उससे लड़ता रहा। उसकी चीख सुनकर गांव के कुछ लोग दौडक़र मौके पर पहुंचे, तब बच्चा पैंथर से मुकाबला कर रहा था। फिर उन्हें देखकर पैंथर बच्चे को छोडक़र जंगल की तरफ भाग गया। घटना के बाद ग्रामीणों ने घायल बच्चे को तत्काल अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका प्राथमिक उपचार किया गया। बच्चे की बहादूरी को देखकर व सुनकर हर कोई हैरान था और हर किसी व्यक्ति उसकी प्रशंसा की।

पैंथर को पकडऩे की उठाई मांग

मजेरा के चित्तौड़ा क्षेत्र में पैंथर के आंतक को लेकर ग्रामीण काफी परेशान हैं। क्षेत्र में पैंथर कई बकरियों, गाय व भैंसो का शिकार कर चुका है। ग्रामीणों ने वन विभाग से पिंजरा लगवाकर उसे पकड़वाने की मांग की है।

कुंभलगढ़ में 200 से ज्यादा पैंथर

वन विभाग रेंजर किशोर सिंह ने मीडिया को बताया कि कुंभलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य से सटे ग्रामीण क्षेत्र में दो सौ से ज्यादा पैंथर विचरण कर रहे हैं। कुंभलगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में और भी ज्यादा है।

पैंथर कई बार चुके हैं हमला

कुंभलगढ़, खमनोर क्षेत्र के गांवों में पिछले पांच सालों में कई लोगों पर हमले कर चुका है। गांवगुड़ा, गजपुर, समीचा, घोड़च क्षेत्र में तो पैंथर कुछ लोगों का शिकार भी कर चुका है। लगातार पैंथर की आबादी बढ़ रही है, जिससे आमजन परेशान है। ग्रामीणों का घर से निकलना ही मुश्किल होता जा रहा है।