एक दो साल क का बच्चा बीमार हुआ तो मां-बाप झाड़-फूंक कराते रहे। बच्चे की हिमोग्लोबिन 2 ग्राम ही रहा गया। बच्चे के शरीर पर सूजन थी। जान के खतरे के बावजूद राजसमंद के बड़ा भाणुजा के धन्ना गमेती और मीरा बाई अपने बच्चे को लेकर दो महीने तक मंदिरों, बाबाओं और भोपा से झाड़फूंक में उलझे रहे। बच्चे की तबियत ज्यादा बिगड़ी तो नाथद्वारा के सरकारी अस्पताल पहुंचे।
बच्चे की हालत नाजुक थी। तुरंत ब्लड की जरूरत थी। ब्लड बैंक से रक्त का प्रबंध नहीं हो सका तो नाथद्वारा उपजिला अस्पताल में मंगलवार को ओपीडी में तैनात डॉ, हितेंद्र जैन ने बच्चे की जान बचाने के लिए खुद ब्लड डोनेट किया। बच्चे में खून की बेहद कमी थी, डॉक्टर ने ब्लड बैंक को सूचना दी। ब्लड बैंक में उस वक्त खून का इंतजाम नहीं हो सकता तो डॉक्टर जैन ने खुद दो यूनिट ब्लड देकर बच्चे का इलाज शुरु किया।
बच्चे के माता पिता धन्ना गमेती और मीरा खेती बाड़ी और मजदूरी का काम करते हैं। बच्चा तीन-चार महीने से बीमार था। गरीबी और अंधविश्वास के चक्कर में दोनों बच्चे को लेकर 2 महीने से माता के मंदिर, समाधियों पर धोक दिलाते रहे, झोलाछाप से इलाज और झाड़-फूंक कराते रहे। इससे बच्चे की स्थिति ज्यादा खराब होती गई। सोमवार दोपहर को परिजन अस्पताल पहुंचे थे। आउटडोर में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ हितेंद्र जैन ने बच्चे की जांच की और उसे भर्ती करा दिया। डॉ. हितेंद्र ने बताया कि बच्चा काफी कमजोर है, उसका वजन कम है, हिमोग्लोबिन 2 ग्राम है। शरीर में पानी भरा है। प्रोटीन की भी कमी है। ऐसे में बच्चे को जान को खतरा था। उसे तुरंत ब्लड की जरूरत थी। सोमवार को परिजनों के ब्लड का इंतजाम करने को कहा था। मंगलवार सुबह बच्चे को देखने एमटीसी वार्ड पहुंचा तो पता चला कि ब्लड की व्यवस्था नहीं हुई।
डॉक्टर ने किया 120 ग्राम ब्लड डोनेट
बच्चे का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव था। संयोग से डॉक्टर जैन का ब्लड ग्रुप भी यही है। ऐसे में डॉक्टर ने बच्चे के लिए ब्लड डोनेट करने का फैसला किया। डॉक्टर ने ब्लड बैंक की टीम के सहयोग से 120 ग्राम ब्लड डोनेट किया। ब्लड बच्चे को चढ़ाया गया है। फिलहाल बच्चे की हालत स्थिर बताई जा रही है। बच्चे को करीब दो सप्ताह अस्पताल में भर्ती रख इलाज किया जाएगा। बच्चे के माता पिता सरकारी अस्पताल में इलाज से खुश हैं। उनका कहना है कि अब बच्चा बीमार हुआ तो झाड़फूंक कराने के बजाए सीधे अस्पताल आएंगे। डॉक्टर हितेंद्र जैन नाथद्वारा उपजिला अस्पताल में 2020 से हैं। वे उदयपुर के सलूम्बर के रहने वाले हैं