Abhijit Gangopadhyay https://jaivardhannews.com/abhijit-gangopadhyay-resign-by-high-court-judge/

उच्च न्यायालय कलकत्ता के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय अपने पद से इस्तीफा देंगे। इसके पीछे संभावना जताई जा रही है कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। जस्टिस गंगोपाध्याय अगस्त 2024 में सेवानिवृत होने वाले हैं, मगर 3 मार्च को बताया था कि वे 5 मार्च को इस्तीफा दे देंगे। साथ ही उनके किसी राजनीति दल से जुड़कर चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है। जस्टिस ने एक इंटरव्यू में कहा कि मेरी आत्मा मुझसे कह रही है कि जज के रूप में मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया। मैं वामपंथी दलों, कांग्रेस या भाजपा में से किसी में भी शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ सकता हूं। मैं 5 मार्च को राष्ट्रपति, CJI व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को इस्तीफा भेज दूंगा।

Calcutta High Court judge Justice Abhijit Gangopadhyay द्वारा अचानक इस्तीफा की खबर के बाद कलकत्ता की राजनीति भी गरमा गई है। न्यायाधीश गंगोपाध्याय बंगाल के सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक व कार्मिकों की भर्ती में अनियमितता के आरोप सहित प्रदेश के 14 मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने का आदेश दे चुके हैं। इस कारण सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के निशाने पर हमेशा रहे हैं। न्यायाधीश ने बताया कि इस्तीफा भेजने के बाद दोपहर डेढ़ बजे मास्टरदा (सूर्य सेन) की प्रतिमा के नीचे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का कारण भी बताएंगे और भविष्य की योजना को भी साझा करेंगे। इस्तीफा देने की घोषणा में पद से हटने के बाद किस राजनीतिक दल से जुड़ना है, उसका खुलासा करने की बात भी कही। वैसे राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि भाजपा के टिकट पर Abhijit Gangopadhyay चुनाव लड़ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय न्यायाधशी अभिजीत गंगोपाध्याय पश्चिम बंगाल में शिक्षा संबंधी मुद्दों पर फैसलों को लेकर काफी राजनीतिक बहस में रहे। चर्चा यह भी है कि उन्हें भाजपा द्वारा पश्चिम बंगाल के तमलुक संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतारा जा सकता है, जिस सीट का प्रतिनिधित्व कभी सुवेंदु अधिकारी करते थे और अब उनके भाई दिब्येंदु अधिकारी करते हैं।

2018 से न्यायाधीश है गंगापाध्याय

उच्च न्यायालय में वकालत करने वाले न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय 2 मई, 2018 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कलकत्ता उच्च न्यायालय में शामिल हुए। उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार 30 जुलाई, 2020 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। तब से कलकत्ता हाईकोर्ट में कार्यरत है और शिक्षा, श्रम सहित अनयिमितताओं को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले भी दिए, जिससे वे काफी चर्चाओं में बने रहे।

न्यायाधीश ने इस तरह की इस्तीफे की घोषणा

  • “मैं कलकत्ता उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के पद से इस्तीफा दे रहा हूं… यह मेरी अंतरात्मा की आवाज है। अब, मुझे बड़े लोगों और बड़े क्षेत्र में जाना चाहिए। अदालत में, एक न्यायाधीश आने वाले मामलों को देखता है अगर कोई व्यक्ति केस दायर करता है तो उनके सामने। लेकिन हमारे देश में और हमारे राज्य पश्चिम बंगाल में भी बड़ी संख्या में बहुत असहाय लोग हैं।”
  • न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय का मानना था कि राजनीति में प्रवेश करने से “उन लोगों को उनके लिए कार्य करने का मौका मिल सकता है जो उन असहाय लोगों के सम्मान में कदम उठाना चाहते हैं”।
  • उन्होंने कहा कि वह पिछले दो वर्षों से शिक्षा से संबंधित मुद्दों से निपट रहे थे और “एक बड़े भ्रष्टाचार की खोज और खुलासा किया गया था”।
  • “इस सरकार के शिक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में महत्वपूर्ण लोग अब जेल में बंद हैं या मुकदमे में हैं। इसके बाद, मैं अब श्रम मामले उठा रहा हूं। नियोक्ताओं द्वारा भविष्य निधि ग्रेच्युटी के संबंध में भी बड़े घोटाले हुए हैं। मेरे पास है उन संबंध में कुछ आदेश भी पारित किए। लेकिन श्रम मामलों, श्रम कानून के इन मामलों को करने में मैं असफल रहा हूं, वह यह है कि मुझे लगा है कि इस कर्तव्य में मेरा काम, मेरा काम खत्म हो गया है।

जस्टिस गंगोपाध्याय के प्रति सुप्रीमकोर्ट की नाराजगी भी

गत वर्ष जब शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित लंबित मामले के बारे में एक समाचार चैनल को साक्षात्कार देने के बाद न्यायधीश गंगोपाध्याय को सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपने का आदेश दिया। इंटरव्यू को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की थी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया, मतलब वे न्याय नहीं दे रहे थे

Calcutta High Court में जज के पद से इस्तीफा देने के बाद शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने बड़ी तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया दी है। राउत ने कहा कि “यदि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश इस्तीफा देते हैं और एक विशेष राजनीतिक दल में शामिल होते हैं, तो इसका मतलब है कि वे न्याय नहीं दे रहे थे।” , लेकिन पार्टी के लिए काम कर रहा हूं।” उनकी पार्टी सहयोगी प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की और भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से इस पर ध्यान देने का आग्रह किया। “उच्च न्यायालय के एक सेवारत न्यायाधीश ने इस्तीफा देने, भाजपा में शामिल होने और लोकसभा के लिए उनके टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कोई कूलिंग ऑफ पीरियड नहीं, यहां तक कि तटस्थ साबित करने की कोशिश करने का कोई प्रयास नहीं, लेकिन हां स्व-संचालित राजनीतिक हितों की पूर्ति पर कम से कम स्पष्टता .क्या सीजेआई, कॉलेजियम इस पर ध्यान देंगे?” उसने सोमवार को एक्स पर लिखा।

इस्तीफे को लेकर न्यायाधीश ने क्या कहा, देखिए

न्यायाधीश बोले- राज्य बेहद बुरे दौर से गुजर रहा

एएनआई को दिए इंटरव्यू में जस्टिस ने कहा कि ”राज्य बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है. यहां चोरी और लूट का राज चल रहा है. एक बंगाली होने के नाते मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता। मुझे नहीं लगता कि राज्य के वर्तमान शासक लोगों के लिए कोई अच्छा काम कर सकते हैं।” इस तरह स्पष्ट है कि वे राजनीति के जरिए अपना अगला सफर तय करेंगे।

उनके पिता भी रह चुके फेमस एडवोकेट

न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय का जन्म 1962 में कोलकाता में हुआ था। गंगोपाध्याय ने कोलकाता में एक बंगाली माध्यम स्कूल मित्र संस्थान में पढ़ाई की। फिर हाजरा लॉ कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। कॉलेज में पढ़ते समय उनकी रुचि थिएटर में हुई और बंगाली रंगमंच से जुड़ गए। वह अमित्रा चंदा के सदस्य बने व कई नाटकों में अभिनय किया। उन्होंने आखिरी बार 1986 में एक प्ले किया था। उनके पिता भी बंगाल के फेमस अधिवक्ता थे।

अधिवक्ताओं में भी हो गया था विवाद

अगस्त 2022 में शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय व हाई कोर्ट के अधिवक्ताओं के एक गर्व के बीच बहस हो गई थी। तब मामला हाथापाई तक पहुंच गया था। न्यायाधीश ने अदालत रूम में पत्रकारों को सुनवाई रेकॉर्ड करने की अनुमति भी दी। साथ ही न्यायाधीश द्वारा एक अधिवक्ता को गिरफ्तार भी करवा दिया था, जिससे भी काफी दिनों तक उनके व अधिवक्ताओं के एक वर्ग के बीच लंबी खींचतान रही थी।