देसूरी के पंजाब मोड़ पर गुरुवार को 60 लोगों से भरी हुई बस पंजाब मोड़ पर जाकर टकरा गई। इस घटना में 15 लोगों को हल्की चोट आई है। वहीं तीन लोग गंभीर घायल हुए हैं। जिन्हें देसूरी और चारभुजा हॉस्पिटल में उपचार के लिए ले जाया गया है। पास के टोल पर काम करने वाले अनिल बिश्नोई घटना की जानकारी मिलते ही वहां पहुंचे और घायलों को हॉस्पिटल पहुंचाया। वहीं दुर्घटना के बाद से चारभुजा और देसूरी पुलिस भी मौके पर पहुंची।
राजसमंद व पाली जिले की सरहद पर स्थित देसूरी नाल का पंजाब मोड़ पर आए दिन सडक़ हादसे हो रहे हैं और डेढ़ दशक में सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इसके बावजूद न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि गंभीर है और न ही शासन व प्रशासन द्वारा कोई ध्यान दिया जा रहा है। इसका खमियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है।
देसूरी नाल राजसमंद व पाली जिले की सीमावर्ती इलाका है, जहां वनक्षेत्र है। वन विभाग द्वारा सडक़ चौड़ी करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। इस कारण यहां न तो सडक़ का विस्तार हो पा रहा है और न ही दुर्घटनाओं पर रोकथाम लग पा रही है। इस गंभीर हालात को लेकर परिवहन, पुलिस व प्रशासन द्वारा संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को भेज दी गई है। फिर भी सरकार द्वारा देसूरी नाल के सुदृढ़ीकरण को लेकर कोई ठोस प्रयास नहीं हो पाए हैं। इस कारण आमजन में शासन, प्रशासन और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के प्रति भी आक्रोश है।
वैकल्पिक रास्ता भी नहीं
राजसमंद व पाली जिले की सरहद का यही एकमात्र सुगम व सही रास्ता है। बीच रास्ते में वन क्षेत्र है, जहां से ही सडक़ निकालने का एकमात्र विकल्प है। फिर भी इस समस्या का समाधान पिछले डेढ़ दशक से भी नहीं हो पाया है। बार बार हादसे हो रहे हैं, लेकिन सरकार स्तर पर इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।
देश का सबसे बड़ा हादसा भी इसी जगह
7 सितंबर 2007 को भी इसी जगह सबसे बड़ा सडक़ हादसा हुआ था, जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। राजसमंद जिले के सोनियाणा, भावा, महासतियों की मादड़ी, साकरोदा क्षेत्र के लोग जैसलमेर के रूणेचा में रामदेवरा के दर्शन के लिए जा रहे थे। ट्रेलर में पार्टेशन करके लोगों को बिठाया गया था। कहा जाता है कि वह देश का सबसे बड़ा सडक़ हादसा था, एक साथ सर्वाधिक मौत हुई थी।
क्या सरकार से ऊपर है वन विभाग
देसूरी नाल के उत्थान को लेकर शासन, प्रशासन स्तर पर कई बार बातें हुई, लेकिन सवाल उठता है कि क्या वन विभाग केन्द्र सरकार से भी ऊपर है। यहां आए दिन सडक़ हादसे हो रहे हैं और कई लोगों की जान जा रही है। फिर भी न तो पुलिस, प्रशासन गंभीर है और न ही और सरकार जिम्मेदार। विधायक सुरेंद्रसिंह राठौड़ और सांसद दीया कुमारी के साथ तमाम अधिकारी भी देसूरी नाल वन विभाग के अधीन होने का हवाला देकर टाल रहे हैं। इससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या वन विभाग केन्द्र सरकार से भी ऊपर है क्या। आखिर कब इसका समाधान होगा।