लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद
जंगल से आबादी में जंगली जीव जन्तु, जानवरों का आने की बात पुरानी हो चुकी है। क्योंकि अब तो शहरी इलाके में कई जगह पैंथर भी अपना स्थायी आवास बना चुके हैं। सुबह- शाम या रात में पैंथर कहीं न कहीं दिख ही जाता है और कई बार लोगों का आमना सामना होना भी अब आम बात हो गई है। ऐसे में आए दिन शहरी इलाके में पैंथर की दहाड़ भी सुनाई देती है। राजसमंद शहर व पेराफेरी इलाके में पैंथर की चहलकदमी, विचरण, चाल- चलन, अठखेलियां, आराम और शिकार करने के लाइव वीडियो और तस्वीरें देख एक बारगी हर किसी की रूह कांप उठती है। (Panther life) कुछ ऐसे ही पैंथर के रोमांचक, डरावने व लुभावने लाइव वीडियो मोरचणा के युवा व वाइल्ड लाइफ प्रेमी अरिवंद पालीवाल ने शूट किए, जबकि अमित बड़ोला ने लाइव तस्वीरें खींची, जिसे देख हर कोई अचंभित है, रोमांचित है और खुश है, मगर अनजाना डर भी सता रहा है। हालांकि जंगली जानवरों के विशेषज्ञ एवं वन विभाग राजसमंद के एसीएफ विनोद कुमार राय ने स्पष्ट सलाह देते हुए चेताया है कि पैंथर या कोई भी जंगली जानवर एकाएक कभी भी इंसानों पर हमला नहीं करते, लेकिन उसे अगर घेरने का प्रयास किया और कहीं एक जगह फंस गया, तो फिर वह खुद के बचाव के प्रयास में किसी भी व्यक्ति पर हमला कर सकता है, जो स्वाभाविक है। इसलिए अब शहरी क्षेत्र में पैंथर आ ही गया है, तो अब उसके अनुकूल परिस्थिति में जीना सीखना ही एकमात्र विकल्प है। (Panther amazing fact)
पैंथर कब करता है हमला, उसके स्वभाव को समझे
पैंथर अगर आबादी क्षेत्र में आने ही लग गए हैं, तो स्वाभाविक है कि हमें भी उसका स्वभाव समझना होगा, तभी हमेशा पैंथर से हम सुरक्षित रह सकेंगे और पैंथर भी सुरक्षित रह सकेगा। वन विभाग राजसमंद के एसीएफ विनोद राय ने बताया कि पैंथर कभी एकाएक इंसानों पर हमला नहीं करता, लेकिन अगर पैंथर किसी जगह फंस गया है और चौतरफा लोग या जाने का कोई रास्ता नहीं है, तो ऐसी स्थिति में लोगों पर हमला कर सकता है। यही उसका स्वभाव है। साथ ही अगर लोगों के द्वारा बार बार पैंथर पर पत्थर फेंकने या परेशान करने, भगाने के प्रयास करने से वह चिड़चिड़ा हो सकता है और ऐसी स्थिति में वह लोगों पर हमला कर सकता है। वरना कभी भी पैंथर लोगों पर एकाएक हमला नहीं करेगा और न ही कभी लोगों के रास्ते में आएगा, मगर जब कहीं भी पैंथर दिखाई दे, तो कभी भी उसका रास्ता नहीं काटे, वह अपने आप चला जाएगा। उसे छेड़ने का प्रयास करेंगे, तो वह उत्तेजित हो जाता है और क्रोधित होकर हमला कर सकता है।
नौचोकी पाल की पहाड़ी पर है पैंथर : Panther
राजसमंद शहर में महाराणा राजसिंह महल, मां अअन्नपूर्णा माता मंदिर की पहाड़ी पर पैंथर का बसेरा है, जहां पर आए दिन वह दिख जाता है। सुबह या अल सुबह वह अक्सर नौचोकी पाल के पास पानी पीने के लिए झील किनारे आता है। ऐसे कई बार लोगों से आमना सामना भी होता रहता है। हालांकि अभी तक कोई इंसानी नुकसान नहीं पहुंचाया है। नौचाेकी के पास झील में नाव के पास कई बार देखा गया है, तो अक्सर मामा भाणेज की दरगाह के नीचे की तरफ भी दिख ही जाता है। दिन के वक्त भी घनी झाड़ियों से अटी इसी पहाड़ी में बैठा रहता है। कई बार पहाड़ी पर बने मचान पर आकर भी बैठ जाता है, जिसकी तस्वीरें तो कई बार सामने आ चुकी है। खास तौर से वाइल्ड लाइफ प्रेमी अमित बड़ोला इसकी तस्वीरें खींच चुके हैं।
मोरचणा मार्बल डम्पिंग यार्ड में भी बसेरा
राजसमंद झील किनारे व राजसमंद शहर के पेराफेरी में आने वाले हाइवे किनारे मोरचणा गांव के मार्बल डम्पिंग यार्ड में भी पैंथर परिवार का बसेरा है। मार्बल डम्पिंग यार्ड में पत्थरों के बीच पैंथर रहते हैं, दिन में भी अक्सर दिखा देते हैं। मोरचणा क्षेत्र में करीब 8- 10 साल से पैंथर विचरण कर रहे हैं, जो कुछ मवेशियों का जरूर शिकार कर चुका है, मगर लोगों पर कभी हमला नहीं हुआ। मोरचणा के युवा व वाइल्ड लाइफ प्रेमी अरिवंद पालीवाल ने मार्बल डम्पिंग यार्ड में विचरण करते पैंथर की कई लाइव गतिविधियों को कैमरे में कैद कर लिया, जो अपने आप में काफी अनूठी है। युवा अरविंद ने पैंथर की चहलकदमी, उछलकूद, शिकार के लाइव वीडियो भी बनाए हैं, जिसे देख हर किसी की रूह कांप उठती है।
कोटड़ा व मालकोट के डम्पिंग यार्ड में पैंथर
देवगढ़ क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में भी पैंथरों का काफी विचरण होता है और खास तौर से ग्रेनाइट माइंस इलाका मालकोट, कोटड़ा क्षेत्र में भी आए दिन पैंथर दिख जाता है। रात के वक्त ग्रेनाइट की माइंसों में कार्य करने वाले श्रमिक काफी परेशान है। हालांकि अब तक वहां भी पैंथर ने कभी भी लोगों पर कोई हमला नहीं किया। हाल ही मार्च के अंतिम सप्ताह में माल कोट के पास ग्रेनाइट डम्पिंग यार्ड में पैंथर विचरण करते दिखाई दिया, जिसका लाइव वीडियो शारीरिक शिक्षक गोपीलाल और बरार लाखा गुड़ा निवासी दाऊ सिंह ने बनाए।
आगरिया गांव में भी पैंथर का बड़ा कुनबा
आमेट शहर से चार किमी. दूर स्थित आगरिया गांव के मार्बल डम्पिंग यार्ड में भी पैंथर का बड़ा कुनबा रहता है। आए दिन ग्रामीणों को दिखता है, तो रात के वक्त कई बार लोगों का सड़क पर पैंथरों से आमना सामना भी हो चुका है। हालांकि यहां भी अब तक कोई इंसानी हमला नहीं हुआ। आमेट के पवन वैष्णव ने बताया कि आगरिया क्षेत्र में कई वर्षों से पैंथर का विचरण है, मगर कोई इंसानी हमला नहीं हुआ, मगर कई बार लोगों को दिख चुका है। 30 मार्च 2023 की रात को एक कार चालक से सड़क पर अठखेलिया करते व विचरण करते एक साथ 5 पैंथरों का वीडियो बनाए, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए।
भारत में कितने हैं पैंथर
हमारे भारत देश में पैंथर को तेंदुआ भी कहते हैं। वन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार देशभर में 12 हजार 852 पैंथर है, जिनकी संख्या वर्ष 2014 में करीब 8 हजार ही थी। इस तरह पैंथर की तादाद भारत देश में काफी बढ़ रही है। बताया गया कि पैंथर की तादाद में पिछले चार सालों में 60 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से अब पैंथर शहरी आबादी क्षेत्र में भी आने लगे हैं।
पैंथर व तेंदुए एक ही समान
तेंदुआ व पैंथर लगभग एक ही जैसे होते हैं, मगर पैंथर के शरीर पर गोल धब्बे दिखाई देते हैं, जबकि तेंदुए के शरीर पर रोसेट शैली के आकार की आकृतियां मिलती है। तेंदुआ अक्सर अपने शिकार को लेकर पेड़ पर चढ़ जाते हैं। तेंदुए का सिर पैंथर के मुकाबले बड़ा व लंबा होता है तथा तेंदुआ गुर्राता व दहाड़ता अधिक है। इसके अलावा कद काठी व शारीरिक बनावट तो पैंथर व तेंदुआ की लगभग एक ही समान है। इसलिए पैंथर व तेंदुए को आम लोगों के लिए एकाएक पहचानना भी मुश्किल है।
पैंथर नहीं छोड़ता अपना इलाका
वन विशेषज्ञ एवं वन विभाग के एसीएफ विनोद कुमार राय ने बताया कि शहर- गांव के जंगली इलाके में पैंथर का परिक्षेत्र तय होता है। उस इलाके में कभी कोई दूसरा पैंथर नहीं आता है और कुछ इलाके में पैंथर कुनबे के रूप में भी रहते हैं। अगर किसी एक क्षेत्र में पहले से पैंथर है और वह किसी दूसरी जगह चला गया अथवा वन विभाग द्वारा पकड़कर अन्य जंगल में छोड़ दिया जाता है, तो फिर उस जगह पर दूसरी जगह का पैंथर अपने आप ही आ जाता है। ऐसे में नया पैंथर जब भी उस इलाके में आएगा, तो उसे वहां के रास्तों का पता नहीं रहता है और आबादी क्षेत्र को समझने में भी वक्त लगता है और ऐसी स्थिति में वक्त बेवक्त लोगों से आमना सामना होना भी स्वाभाविक है एवं उस स्थिति में लोगों पर हमला भी हो सकता है।
Panther के रोचक तथ्य : Panther Facts In Hindi
- पैंथर बिना डॉट्स के तेंदुए है। इसमें पीले या गहरे भूरे रंग का फर और पन्ना आंखे होती है।
- पैंथर भी बिल्ली परिवार से जुड़ा बताते हैं। काली या गहरे रंग की फर वाली बड़ी बिल्ली की तरह ही होेते हैं।
- पैंथर बहुत ही तेज गति से दौड़ता है।
- वयस्क जानवर की लंबाई 7-8 फीट होती है और वजन 100-250 पाउंड के बीच होता है।
- पैंथर को अमेरिका में काले जगुआर, एशिया व अफ्रीका में काला तेंदुआ और उत्तरी अमेरिका में काले कौगर के रूप में जानते हैं।
- पैंथर मांसाहारी हैं, जो पक्षी और सरीसृपों से लेकर बड़े स्तनधारी जानवरों का शिकार कर खाते हैं।
- पैंथर तेज दहाड़ता है और दौड़ने भी काफी तेज गति रहती है।
- पैंथर एकांत जानवर है, जो केवल संभोग के समय ही साथ मिलते या दिखाई देते हैं।
- गर्भावस्था के तीन माह बाद 2-4 बच्चों को मादा पैंथर जन्म देती है और खुद देखभाल भी करती हैं।
- पैंथर पेड़ पर चढ़ना काफी जल्दी सीख जाते हैं।
- पैंथर के नवजात शावक की आंखें बंद रहती है और हल्के फर से ढकी रहती है।
- शावक के 2-3 माह की उम्र के बाद पैंथर मां के साथ शिकार करना सीखते हैं और 9 माह तक शिकार कर लेते हैं।
- पैंथर दांत मजबूत होते हैं तो पैर के नाखुन भी नुकीले व मजबूत होते हैं, जिससे शिकार करता है।
- पैंथर विचरण घने जंगल की बजाय आबादी की पेराफेरी इलाके में ज्यादा रहता है।
- कोई भी पैंथर 20 फीट तक छलांग आसानी से लगा लेता है।
- पैंथर की दृष्टि, सुनने की क्षमता व सुंगने की क्षमता भी काफी बेहतर होती है।
- पैंथर अक्सर जंगल में 12 साल और जू में 20 साल तक जीवित रहता है।
ब्लैक पैंथर प्रजाति विलुप्त होने लगी : Panther amazing fact
भारत में ज्यादातर पैंथर सामान्य चीते जैसे ही है और इनकी ही सर्वाधिक संख्या भी है। इसके अलावा ब्लैक पैंथर भी भारत में मौजूदा है, मगर उनकी प्रजाति विलुप्त होने लगी है। भारत देश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान, काबिनी वन्यजीव अभ्यारण्य, डंडेली वन्यजीव अभ्यारण्य, भद्रा वन्यजीव अभ्यारण्य, तडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, मानस राष्ट्रीय उद्यान व नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान में ब्लैक पैंथर है। यहां पहले कई बार ब्लैक पैंथर देखे गए हैं, मगर अब कम दिखाई देते हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी ब्लैक पैंथर दिखाई दिया।