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Ankahi Kahaniya : मैं इक राजा मेरी अपनी कहानी

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शिखर पर खड़े होने का मजा लूटने के बाद इक अनजाना डर हमेशा बेचैन किए रखता है, जहां से चढ़कर ऊंचाई पर पहुंचे, वापस लुढ़क कर नीचे गिरने का ऐसा अनुभव हुआ, जब राजधानी से आमंत्रण प्राप्त हुआ।

कथाकर शायद उनकी कही बात को भूल ही गया था कि अचानक शासक शंहशाह का संदेश मिला, शीघ्र चले आओ मेरी जीवनी लिखने का उचित समय आ गया है। कथाकार को हैरानी हुई कि ऐसे समय जब सरकार महत्वपूर्ण निर्णय लेकर कितने राज्यों की बागडोर पुराने महारथियों से लेकर नए नए चेहरे ढूंढ उनके सर ताज पहना रहे हैं। भविष्य की योजना को ध्यान में रखते हुए अपनी कथा की रूपरेखा बताने की फुर्सत भी कैसे हो सकती है कक्ष में बैठते ही किसी आकाशवाणी की तरह उनकी जानी पहचानी आवाज सुनाई दी। आपने आने में तनिक भी विलंब नहीं किया ये सराहनीय बात है फिर भी मेरी जीवनी कोई साधारण विषय नहीं है, आपको एक विश्वास अपने भीतर | जगाना जरूरी है कि मैं कोई लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित शासक ही नहीं, बल्कि जैसा मुझे शिखर तक पहुंचाने वाले करोड़ों प्रशंसक भक्त की तरह समझते और मानते हैं। मैं इस आधुनिक काल का पहला और आखिरी अवतार पुरुष खुद को भगवान घोषित करता हूँ। ये स्मरण | रखना अति आवश्यक है कि भगवान की जीवनी नहीं, कथा लिखी जाती है और भगवान चाहे जो भी करता रहे, उसकी सभी बातों को उचित ठहराने को तर्क गड़ने पड़ते हैं। जैसे एक मिसाल है श्री कृष्ण ने जामवंत से मणी पाने को युद्ध किया और उसको मार कर मणी ही नहीं हासिल की, बल्कि उसकी पुत्री को भी अपनी पत्नी बना लिया था। श्री कृष्ण जी को ऐसा अपने पर लगाए अपनी पत्नी के पिता के आरोप से मुक्त होने के कारण किया था, लेकिन उसको अपराध नहीं साबित किया। कथाकार ने इसको महान कार्य सिद्ध किया कि ऐसा कर जामवंत को उनके प्रभु राम के दर्शन करवाए थे। राम और कृष्ण अलग अलग होकर भी एक थे। क्योंकि दोनों ने खुद को विष्णु भगवान का अवतार घोषित किया था।

कथाकार ने कहा आपकी बात समझ भी ली और गांठ भी बांध ली है और अभी तक की आपकी सभी गतिविधियां मुझे मालूम है, लेकिन थोड़ी सी बातें हैं, जिनको लेकर मन में संशय बाकी है, बस उनकी चर्चा करना अनिवार्य है कक्ष में अंधेरा छा गया और सामने बड़े आकार के पर्दे पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की तरह साक्षात सरकार दिखाई दिए। कथाकार से सवाल पहले ही मंगवा लिए गए थे और जवाब भी पूरी तरह तैयार कर प्रकट हुए थे इसलिए फिर से भाषण शुरू कर दिया। आपकी दुविधा रानी को लेकर अनावश्यक है, मेरे लिए रानी एक काल्पनिक किरदार है, जब जहां आवश्यकता होती है, जिक्र करते हैं। अन्यथा उसका कोई महत्व राजनीति में नहीं होता है, मेरी रानी या रानियां बदलती रहती हैं, शतरंज के मोहरे की बात अलग होती है, लेकिन शकुनी के पासे की तरह जो उनके मृत पिता की रीढ़ की हड्डी से बने हुए थे और जैसा शकुनी का आदेश होता, उसी करवट पड़ते थे। आपने गीता में सुना होगा, श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हैं और अपने मुंह को खोलकर दिखलाते हैं कि ये सभी योद्धा मर कर मेरे मुख का ग्रास बने हुए हैं। तुमको इनका वध करना है और विजयी होकर शासन और शोहरत पानी है। हमारे दल में भी कोई मेरे बराबर कद का नहीं है और न ही कभी होने दिया जा सकता है। ऐसे तमाम नेताओं को पंख काट कर पिंजरे में बंद कर दिया है, जिनको जरा भी गलतफहमी थी कि जनता उनको चाहती है और सत्ता पर बिठा सकती है। सभी को साफ़ साफ़ संदेश और संकेत मिला है कि मुझे छोड़ अन्य किसी का कुछ भी महत्व नहीं है। जीत अर्थात मेरी विजयपताका फहरा रही है।

मेरी कथा में पत्नी संतान जैसा कुछ भी नहीं, क्योंकि ये सब | सांसारिक बंधन मोह में जकड़ते हैं, जबकि मेरा रिश्ता सत्ता सुंदरी से है, | जो हमेशा यौवन का वरदान पाए हुए है। संविधान से जिसको मैंने अपनी शैया के पाए से बांध लिया है। मेरी कथा की शुरुआत है, जिसका अंत कभी नहीं होगा क्योंकि मैं कभी मर नहीं सकता। मेरे बाद भी मैं खुद ही शासन करूंगा, ऐसा असंभव नामुमकिन कार्य जिसने मुमकिन किया, वो मैं सिर्फ और सिर्फ मैं ही हूं। मुझे पिछले या अगले की बात नहीं करनी है, केवल मेरी कथा सबसे अधिक फलदाई है। तभी उनको आकर पत्नी ने नींद से जगा दिया और कथाकार का खूबसूरत सपना अधूरा रह गया। पत्नी ने टीवी का चैनल बदलकर समाचार की जगह टीवी शो कर दिया था बिग बॉस कौन है, कौन बनेगा करोड़पति में उलझे लोग क्या जाने राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा।

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