Big Sex Scandal : राजस्थान के अजमेर जिले में 32 साल पहले 100 छात्राओं से गैंगरेप के 6 आरोपियों को दोषी करार देते हुए जिला एवं सेशन न्यायालय अजमेर द्वारा 20 अगस्त को सुनाए फैसले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साथ ही 5-5 लाख रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया। जुर्माना भी लगाया है। इस जघन्य सेक्स स्कैंडल में आरोपियों को सजा दिलाने में दो छात्राएं आखिरी तक डटी रही। इस गैंगरेप मामले में फिल्म भी बन चुकी है।
Ajmer Sex Scandal : न्यायालय द्वारा गैंगरेप आरोप में नफीस चिश्ती (54), नसीम उर्फ टार्जन (55), सलीम चिश्ती (55), इकबाल भाटी (52), सोहिल गनी (53), सैयद जमीर हुसैन (60) को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनाते वक्त सभी 6 दोषी न्यायालय में मौजूद थे और एक आरोपी इकबाल भाटी को एम्बुलेंस से दिल्ली से अजमेर लाया गया था। स्कैंडल के वक्त इन सभी की उम्र 20 से 28 साल थी। साल 1992 में 100 से ज्यादा कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप और उनकी न्यूड फोटो सर्कुलेट होने पर तहलका मच गया था। कई छात्राओं ने बदनामी के डर से सुसाइड कर लिया था। तत्कालीन सरकार ने यह केस सीआईडी-सीबी को सौंपा था। मामले में 18 आरोपी थे और 4 आरोपी सजा भुगत चुके हैं। इस मामले में चार आरोपी हाईकोर्ट से दोषमुक्त हो गए थे, जबकि एक आरोपी ने 30 साल पहले ही सुसाइड कर लिया था। दो आरोपियों पर लड़के से कुकर्म का केस चला और एक आरोपी सजा भुगत चुका है तथा एक आरोपी पर केस चल रहा है। एक आरोपी फरार है और 6 आरोपियों पर अब फैसला आया है। इस ब्लैकमेल कांड पर एक फिल्म भी बन चुकी है। इस केस में 104 लोगों ने गवाही दी, 3 पीड़िताएं अपने बयान पर आखिर तक डटी रहीं। कोर्ट ने 208 पेज का फैसला सुनाया है। उल्लेखनीय है कि आरोपियों को सजा दिलाने के लिए 245 पेज के सबूत कोर्ट में पेश किए। इनमें दो पीड़िताओं के बयान, दो पीड़ित युवकों के बयान। फाॅर्म हाउस जहां घटना हुई, वहां का नक्शा। पीड़िताओं के शोषण के फोटो, वीडियो। फाॅर्म हाउस से बरामद चद्दर आदि शामिल थे। आरोपियों ने एक डायरी बना रखी थी। इस डायरी में उन्होंने कई लड़कियों के नाम-पते और लैंडलाइन नंबर लिखे हुए थे। यह वो लड़कियां थीं, जिनको उन्होंने ब्लैकमेल करके शोषण किया था। यह डायरी भी आरोपी के फाॅर्म हाउस से बरामद हुई थी। इस डायरी को भी उन्होंने 245 पेज के सबूतों में शामिल किया था।
Court Decision : गैंगरेप के कुल 18 आरोपी, 9 को पहले ही सजा
Court Decision : देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल के चार आरोपियों को उम्रकैद हुई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल की सजा में बदल दिया, जिसमें इशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्लाह पुत्तन इलाहबादी, शम्सुद्दीन उर्फ माराडोना आदि शामिल है। इन्हें 2003 में सजा हुई थी और अभी ये सब रिहा हो चुके हैं। इसी तरह परवेज अंसारी, महेश लुधानी, हरीश तोलानी, कैलाश सोनी को भी लोअर कोर्ट ने 1998 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इन्हें दोषमुक्त कर दिया था। वहीं, नौवें आरोपी फारुख चिश्ती को लोअर कोर्ट ने 2007 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2013 में उसे भुगती हुई सजा पर ही हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया था। इस तरह नौ आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी थी। इसके अलावा पुरुषोत्तम उर्फ बबली 1994 में केस चलने के दौरान सुसाइड कर चुका है। वह जमानत पर बाहर आया था। जहूर चिश्ती पर कुकर्म का केस चला, उसे 1997 में रिहा कर दिया गया। अब सोहेल गनी, नफीश चिश्ती, जमीर हुसैन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, नसीम उर्फ टारजन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, जबकि एक आरोपी अलमास महाराज अब भी फरार है। इसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है, मगर आरोपी का कोई अता पता नहीं है।
Gang Rape Big Case : 6 दोषी कई वर्षों से जेल में है बंद
Gang Rape Big Case : न्यायालय द्वारा जिन 6 दोषियों को सजा सुनाई, उनमें से सलीम चिश्ती 8 साल, नसीम उर्फ टारजन साढ़े 3 साल, नफीस चिश्ती पौने 8 साल, सोहेल गनी डेढ़ साल, इकबाल भाटी साढ़े 3 साल की सजा ऑलरेडी काट चुके हैं। वहीं जमीन हुसैन एंटीसिपेटरी बेल पर था। इनके वकील अजय वर्मा ने बताया कि अब वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इकबाल भाटी के लिए पैरोल मांगी गई थी, जो जज ने खारिज कर दी है। अब जेल प्रशासन ही अजमेर के JLN में इकबाल का इलाज कराएगा।
Porn Video Viral : अश्लील फोटो आई तो 6 छात्राओं ने की आत्महत्या
Porn Video Viral : छात्राओं के अश्लील तस्वीरों की रील बनाने के लिए आरोपियों ने लैब में दी थी। न्यूड तस्वीरें देख लैब के कर्मचारियों की नीयत बिगड़ गई। फिर अश्लील तस्वीरों की फोटो कॉपी बाजार में आ गई। मास्टर प्रिंट कुछ लोगों के पास ही थे, लेकिन इनकी जेरोक्स कॉपी शहर में सर्कुलेट होने लगी। ये फोटो, जिसके भी हाथ में लगी, उसने लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इस कारण कॉलेज की 6 लड़कियों ने सुसाइड कर लिया।
दोषियों को सजा होने में देरी के पीछे की कहानी
- वर्ष 2003 तक केस के 7 आरोपी नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस वाइस प्रेसिडेंट), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेटरी), इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज और नसीम उर्फ टारजन मामले में फरार चल रहे थे। सातों ने पुलिस की लापरवाही का फायदा उठाया। आरोपियों को अच्छे से पता था कि हर आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस नई चार्जशीट पेश करेगी और कोर्ट में अलग से ट्रायल चलेगा। इसे ध्यान में रखते हुए नफीस चिश्ती, अनवर चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन और नसीम उर्फ टारजन ने लंबे अंतराल के बाद पुलिस के सामने सरेंडर किया।
- साल 2003 में नफीस चिश्ती और नसीम उर्फ टारजन को अलग-अलग इलाहाबाद और दिल्ली के धौला कुआं इलाके से पकड़ा गया। 2004 में दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश होने के बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू हुआ। साल 2005 तक मामले में 52 गवाहों के बयान भी हो गए थे, लेकिन तभी इसी मामले में एक और आरोपी इकबाल भाटी को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया। इस गिरफ्तारी के बाद नफीस चिश्ती और नसीम का ट्रायल रोक दिया गया।
- इकबाल भाटी की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में एक और चार्जशीट पेश की गई। अब नफीस चिश्ती, नसीम और इकबाल भाटी के खिलाफ नए सिरे से ट्रायल शुरू किया गया है। उन्हीं गवाहों को फिर से कोर्ट में बुलाया गया, जिनके बयान पहले भी हो चुके थे। इस बार कोर्ट में 20 गवाहों के बयान हुए।
- साल 2012 में आरोपी सलीम चिश्ती भी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वहीं जमीर हुसैन भी अग्रिम जमानत मिलने के बाद विदेश से यहां आया था। साल 2001 में वह अमेरिका की नागरिकता हासिल कर चुका था।
- एक बार फिर ट्रायल रोक दिया गया। सलीम चिश्ती और जमीर हुसैन के खिलाफ नई चार्जशीट पेश की गई। इसके बाद नफीस चिश्ती, नसीम, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती और जमीर हुसैन के खिलाफ नए सिरे से ट्रायल स्टार्ट हुआ। गवाहों को फिर कोर्ट में बुलाया गया। इस बार 69 गवाहों ने कोर्ट में बयान दिए।
- ट्रायल चल ही रहा था कि साल 2018 में एक और आरोपी सोहैल गनी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। एक बार फिर ट्रायल रोक दिया गया। मामले की एक और नई चार्जशीट पेश हुई और फिर से ट्रायल शुरू हुआ।
- आखिरकार अब 104 गवाहों के बयानों के बाद साल 2024 के जुलाई महीने में इस मामले में अंतिम बहस पूरी हुई और 20 अगस्त को 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
Rajasthan Police : पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
Rajasthan Police : गैंगरेप के मामले में आरोपियों की अलग अलग गिरफ्तारी व अलग अलग चार्जशीट पेश करने को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हुए। पहली चार्जशीट 8 आरोपियों के खिलाफ और इसके बाद 4 अलग-अलग चार्जशीट 4 आरोपियों के खिलाफ थीं। इसके बाद भी पुलिस ने 6 अन्य आरोपियों के खिलाफ 4 और चार्जशीट पेश की। जानकारों के मुताबिक यहीं पुलिस ने सबसे बड़ी गलती कर दी, जिस वजह से 32 साल बाद भी केस में इंसाफ नहीं हो पाया है। पुलिस को हर बार नए आरोपी की गिरफ्तारी के बाद नई चार्जशीट पेश करनी पड़ी। पहले से चले ट्रायल को रोक कर दोबारा से नए सिरे से ट्रायल चलाया गया। इसके चलते पीड़िताओं और गवाहों को भी कोर्ट में एक ही बयान के लिए बार-बार आना पड़ा।
2 छात्राएं आखिर तक न्याय के लिए मजबूती से लड़ी
100 छात्राओं से गैंगरेप के बाद 2 छात्राएं न्यायालय में आखिरी तक मजबूती से डटी व अड़ी रही। चार्जशीट पेश करने में रही इसी खामी के चलते फरार आरोपी अल्मास महाराज को पुलिस जब भी गिरफ्तार करेगी तो एक बार फिर ट्रायल चलेगा और सभी गवाहों को एक बार फिर कोर्ट में बयानों के लिए बुलवाया जाएगा। यही कारण है कि आरोपियों के खिलाफ खड़ी होने वाली अधिकांश पीड़िताएं अब तक कोर्ट में कमजोर पड़ गई हैं। महज दो पीड़िताएं ही अब तक इन आरोपियों के खिलाफ अपने न्याय के लिए मजबूती से लड़ रही हैं।
32 साल पुरानी फोटो से कैसे तलाश रही पुलिस
गैंगरेप मामले में एक आरोपी अल्मास महाराज अब भी फरार है। कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया, जिसके कथित तौर पर यूएसए में होने की बात सामने आई थी। अजमेर में अपने घर-परिवार वालों से संपर्क में बताया जा रहा है। उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस इश्यू कर रखा है। पुलिस के पास अल्मास महाराज की कोई नई और लेटेस्ट फोटो तक नहीं है। आज भी 32 साल पुरानी फोटो के सहारे पुलिस उसकी तलाश कर रही है। इससे पुलिस की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है।
न्यायालयों में इस तरह चलता रहा यह केस
- चार आरोपियों के इस केस से हटने के बाद मामले में 8 आरोपियों कैलाश सोनी, हरीश तोलानी, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, महेश लुधानी, अनवर चिश्ती और शम्सू उर्फ माराडोना के खिलाफ ट्रायल चला।
- आखिरकार लंबे ट्रायल के बाद पहला जजमेंट 18 मई 1998 को आया। तत्कालीन जिला जज कन्हैयालाल व्यास ने इन 8 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
- फैसला आने तक नफीस चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन, अल्मास महाराज और नसीम उर्फ टारजन फरार थे। वहीं फारुख चिश्ती मानसिक रोग के कारण ट्रायल से बचा हुआ था।
- हाईकोर्ट ने 4 आरोपियों को किया बरी, 4 की सजा सुप्रीम कोर्ट से हुई कम
इस केस में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 8 आरोपियों ने डीजे कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। - साल 2001 में कोर्ट ने 4 आरोपियों महेश लुधानी, कैलाश सोनी, हरीश तोलानी और परवेज अंसारी को बरी कर दिया। बाकी 4 आरोपियों इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, अनवर चिश्ती और शम्सू उर्फ माराडोना की सजा बरकरार रखी।
- इन 4 आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सजा उम्रकैद से घटाते हुए 10 साल की कर दी। तब तक ये आरोपी 10 साल की सजा काट चुके थे और जेल से छूट गए।
- मुख्य आरोपी फारुख चिश्ती मानसिक बीमारी का हवाला देकर कोर्ट ट्रायल से बच रहा था। हालत ठीक होने पर 2007 में तत्कालीन एडीजे फास्ट ट्रैक महावीर प्रसाद शर्मा ने उसे भी उम्रकैद सुनाई।
- इसके खिलाफ फारुख चिश्ती हाईकोर्ट पहुंचा। जहां कोर्ट ने फारुख को अब तक भुगती गई जेल की सजा को पर्याप्त मानते हुए छोड़ दिया। इस फैसले के आने तक वह करीब 11 साल से ज्यादा जेल में रहा था।