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Biggest Scam : जल जीवन मिशन में 900 करोड़ का घोटाला, फर्जी सर्टिफिकेटों का खेल

Jal Jeewan Mission Gotala https://jaivardhannews.com/biggest-scam-900-crore-in-jal-jeevan-mission/

Biggest Scam : जल जीवन मिशन में हुए 900 करोड़ के भ्रष्टाचार मामले में मुकेश पाठक नामक एक प्राइवेट ऑफिस सहायक का नाम सामने आया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले में पूर्व मंत्री महेश जोशी समेत 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और मुकेश पाठक इस मामले में जांच एजेंसी के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुए हैं।मुकेश पाठक से पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ कि उसने श्री गणपति ट्यूबवेल के मालिक महेश मित्तल और श्री श्याम ट्यूबवेल के मालिक पदमचंद जैन के लिए 15 लाख रुपये में इरकॉन इंटरनेशनल कम्पनी के नाम से फर्जी सर्टिफिकेट तैयार किए थे। इन फर्जी सर्टिफिकेटों का उपयोग इन कंपनियों द्वारा जल जीवन मिशन के ठेके हासिल करने में किया गया था। इतना ही नहीं, मुकेश पाठक ने ही जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के विभिन्न कार्यालयों से इन फर्जी प्रमाण पत्रों के संबंध में सत्यापन के ईमेल का जवाब भी दिया था।

एसीबी ने इस मामले में 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए बताया कि उन्होंने इस केस की जांच दो महीने पहले शुरू की थी। जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना था कि मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी द्वारा टेंडर लेने के लिए जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे, वे वैध हैं या नहीं। जांच के दौरान एसीबी को सूचना मिली कि महेश मित्तल नामक व्यक्ति ने अहमदाबाद के रहने वाले मुकेश पाठक से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए थे। इस सूचना के आधार पर एसीबी ने मुकेश पाठक से पूछताछ की। पूछताछ में मुकेश पाठक ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। पाठक ने बताया कि उसने महेश मित्तल के कहने पर फर्जी प्रमाण पत्र तैयार किए थे। इसके बदले में उसने महेश मित्तल से 15 लाख रुपये से अधिक की रकम ली थी। मुकेश पाठक ने इरकॉन इंटरनेशनल कम्पनी के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करके मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कम्पनी को दिए थे, जिससे इन कंपनियों ने जल जीवन मिशन के ठेके हासिल किए थे।

Jal Jeevan Mishan Ghotaala : फर्जी सर्टिफिकेट के ईमेलों का जवाब भी दिया

Jal Jeevan Mishan Ghotaala : एसीबी ने मुकेश पाठक के मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच कराई है, जिसमें यह बात सामने आई है कि उसने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के सभी कार्यालयों को फर्जी प्रमाण पत्रों के संबंध में भेजे गए ईमेलों का जवाब भी दिया था। यह खुलासा इस बात की पुष्टि करता है कि मुकेश पाठक इस पूरे घोटाले में सक्रिय रूप से शामिल था इसके अलावा, एसीबी ने मुकेश पाठक के भारतीय ओवरसीज बैंक के खाते की भी जांच की है। जांच में यह पता चला है कि महेश मित्तल ने मुकेश पाठक के खाते में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने के बदले में पैसे ट्रांसफर किए थे। यह सबूत इस बात का प्रमाण है कि मुकेश पाठक ने इस काम के लिए पैसे लिए थे। इन सभी सबूतों के आधार पर एसीबी ने इस मामले में आगे की जांच करने का फैसला किया और 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी। सरकार ने एसीबी की इस मांग को स्वीकार कर लिया है।

Biggest Froud in Rajasthan : शिकायतों के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई

Biggest Froud in Rajasthan : एसीबी की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में यह पता चला है कि मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्रों का उपयोग करके टेंडर हासिल करने की शिकायत पहले ही दर्ज कराई जा चुकी थी। 16 फरवरी 2023 को एक शिकायतकर्ता ने एसीएस पीएचईडी राजस्थान को मेल करके इस बात की जानकारी दी थी कि गणपति ट्यूबवेल कंपनी इरकॉन के फर्जी प्रमाण पत्रों का उपयोग करके पीएचईडी विभाग के टेंडरों में भाग ले रही है। इतना ही नहीं, वकील मनीष कलवानिया ने 16 मार्च और 20 मार्च को लीगल नोटिस जारी करके इस मामले में कार्रवाई की मांग की थी। यह नोटिस प्रमुख शासन सचिव पीएचईडी जयपुर सहित कई अन्य अधिकारियों को भेजा गया था। लेकिन इन सभी शिकायतों के बावजूद विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। एसीबी के महानिदेशक रवि प्रकाश ने बताया कि उनकी टीम ने इस मामले की गहनता से जांच की है। जांच में जो भी तथ्य सामने आए हैं, उन्हें एफआईआर में दर्ज कराया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी आरोपियों को पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

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What a Jal Jeevan Ghotala : रिश्वत देकर फर्जी सर्टिफिकेट मामले को दबाया

एसीबी की जांच में जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच में पाया गया है कि महेश मित्तल और मुकेश पाठक के बीच जून 2023 में कई बार मोबाइल पर बातचीत हुई थी। इन बातचीतों से यह स्पष्ट होता है कि दोनों मिलकर फर्जी प्रमाण पत्रों के माध्यम से जल जीवन मिशन के ठेके हासिल करने की साजिश रच रहे थे। जांच के अनुसार, महेश मित्तल मुकेश पाठक को दिल्ली स्थित इरकॉन के कार्यालय में जाकर अधिकारियों से सेटिंग करने और रिश्वत देकर फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले को दबाने के लिए कहता था। इतना ही नहीं, महेश मित्तल ने 9 जून 2023 को अपने मोबाइल फोन से मुकेश पाठक से किसी कर्मचारी की बात करवाई थी। इस कर्मचारी ने बताया कि 7 जून को इरकॉन से पीएचईडी को फर्जी प्रमाण पत्रों के संबंध में पत्र और मेल भेजे गए हैं। मुकेश पाठक भी महेश मित्तल को लगातार इस बात की जानकारी देता रहता था कि वह इरकॉन के अधिकारियों से संपर्क कर रहा है और फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, वह इसमें सफल नहीं हो पाया। इसके अलावा, दोनों के बीच विजय शंकर नाम के व्यक्ति के बारे में भी बातचीत हुई थी। जांच में यह बात सामने आई है कि विजय शंकर के नाम से भी फर्जी प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। 9 जून को महेश मित्तल और फर्म श्री श्याम ट्यूबवेल कम्पनी के प्रोपराइटर पदमचंद जैन के बीच भी इसी विषय पर बातचीत हुई थी। दोनों इरकॉन से आए फर्जी प्रमाण पत्रों के संबंध में आए मेल के बारे में चर्चा कर रहे थे। एसीबी की यह जांच इस बात का प्रमाण है कि महेश मित्तल, मुकेश पाठक और पदमचंद जैन मिलकर एक सुनियोजित तरीके से इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे।

Rajasthan News today : क्या है जल जीवन मिशन घोटाला

Rajasthan News today : जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी ने लगातार कार्रवाई करते हुए कई गिरफ्तारियां की हैं। 7 अगस्त, 2023 को एसीबी ने पीएचईडी इंजीनियर मायालाल सैनी, प्रदीप, ठेकेदार पदमचंद जैन, कंपनी के सुपरवाइजर मलकेत सिंह और दलाल प्रवीण कुमार को गिरफ्तार किया था। इन सभी को बहरोड़ से जयपुर के होटल पोलो विक्ट्री जाते हुए चौमूं पुलिया के पास घेरकर पकड़ा गया था। इनके पास से 2.90 लाख रुपये की रिश्वत की रकम बरामद हुई थी। इसके अलावा, कार में बैठे बहरोड़ एईएन राकेश चौहान की भूमिका भी सामने आने पर उसे भी गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला है कि पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने जल जीवन मिशन में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और आय प्रमाण पत्र लगाकर 900 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए थे। दोनों कंपनियों पर जयपुर रीजन प्रथम और द्वितीय के इंजीनियरों से मिलीभगत कर यह घोटाला करने का आरोप है। सितंबर 2023 में एसीबी ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर टेंडर हासिल करने के आरोप में श्याम ट्यूबवेल और गणपति ट्यूबवेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए ईडी भी अब इस मामले की जांच कर रही है।

इनके खिलाफ हुई FIR

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