गुजरात के तटीय क्षेत्र में बढ़ता बिपरजॉय तूफान लगातार घातक होता जा रहा है। अब यह तूफान सौराष्ट्र-कच्छ की तरफ आगे बढ़ रहा है और गुरुवार रात 8 बजे तक कच्छ के जखाे पोर्ट से टकराने की संभावना है। तेज हवा और बारिश के साथ आंधी के कारण हालात विकट बने हुए हैं। मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने मीडिया को बताया था कि दोपहर 2.30 बजे तक बिपरजॉय तूफान जखो से 140 किलोमीटर और द्वारका से 190 किमी. की दूर है। हवा की रफ्तार 125 से 135 किमी प्रति घंटे बताई जा रही है।
मौसम विभाग के अनुसार अगले 3 घंटे में गुजरात के द्वारका, जामनगर, पोरबंदर, मोरबी, राजकोट, जूनागढ़, अमरेली, भावनगर गिर सोमनाथ व कच्छ जिले में 5-15 मिमी/घंटा की रफ्तार से बारिश एवं 40KMPH की रफ्तार से हवा चल सकती है। गुजरात के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, लक्षद्वीप, केरल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय में इसका असर देखा जा रहा है। अभी भारी व विकट हालात बने हुए हैं।
अब तक 75 हजार लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया
मौसम विभाग के अनुसार तूफान के चलते गुजरात तट व प्रभावित क्षेत्र में आठ जिलों से करीब 75 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। इसके अलावा लगातार रेस्क्यू अभियान जारी है और पुलिस, प्रशासन, सेना, पुलिस के जवान जुटे हुए हैं। रक्षामंत्री राजनाथसिंह भी पूरी मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
6 जून को उठा था चक्रवात बिपरजॉय
हमारे भारत देश में 6 जून को अरब सागर से उठे शक्तिशाली चक्रवात बिपरजॉय को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। क्योंकि बिपरजॉय चक्रवात भारत की तरफ तेज गति से बढ़ रहा है। इस चक्रवात से काफी मात्रा में जनहानि होने की संभावना है। 16 जून को ये चक्रवात नॉर्थ गुजरात से सटे राजस्थान के इलाकों की तरफ बढ़ेगा, लेकिन तब तक चक्रवात की गति में कमी आने की संभावना है। फिर भी अधिकतम 65 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चलने की आशंका है। ऐसे में राजस्थान में प्रवेश करते वक्त उदयपुर, राजसमंद सहित पूरे मेवाड़ में भी तबाही मच सकती है। इसलिए आमजन को पहले से सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। मौसम विभाग द्वारा लगातार आमजन को सतर्कता बरतने का अलर्ट जारी कर रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र बंदरगाह के कई इलाके खाली करवा दिए हैं, जबकि 16 जून को प्रस्ताविक कई ट्रेनों का आवागमन भी निरस्त कर दिया है। बताया जा रहा है कि 12 घंटे में इसकी रफ्तार 167 किमी/प्रति घंटे से घटकर 157 किमी/घंटे हुई है। संभावना है कि 15 जून को जब ये गुजरात के तट से टकराएगा, तब 150 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी।
बिजपरजॉय तुफान ने गुजरात के तट से टकराने से पहले ही खतरनाक रूप ले चुका है। तेज हवाओं के साथ बारिश भी हो रही है। इस तुफान से लगभग 100 ट्रेन प्रभावित हुई हैं और तटीय इलाकों को करीब 10 किलोमीटर तक खाली करा लिया गया है।
चक्रवात की गंभीर स्थिति को देखते हुए लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया जा रहा है। मौसम विभाग के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय मोहपात्रा ने बताया कि तूफान की वजह से महाराष्ट्र के देवभूमि द्वारका, कच्छ, पोरबंदर, जामनगर और वलसाड में तेज गति से हवाओं की रफ्तार बढ़ रही है।
अब तक 67 ट्रेनों का आवागमन किया निरस्त
पश्चिम रेलवे ने चक्रवात संभावित क्षेत्रों में 67 ट्रेन को 16 जून तक रद्द कर दिया गया है, और रेलवे ने निर्देश दिए हैं कि सौराष्ट्र के ओखा, पोरबंदर और जामनगर से चलने वाली 25 ट्रेन को अब राजकोट, सुरेंद्रनगर और अहमदाबाद से चलाई जाएगी। अरब सागर से 6 जून को उठे इस चक्रवात का असर 10 दिनों तक रहने का अनुमान है। यह हाल के दिनों में अब तक का सबसे लंबे समय तक रहने वाला तूफान है। समुद्र के ऊपर एक चक्रवाती तूफान जितने अधिक समय तक रहता है, उसके खतरनाक होने की संभावना उतनी ही अधिक बढ़ जाती है। बताया जा रहा है कि 14-15 जून को गुजरात के कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जामनगर, मोरबी, जूनागढ़ और राजकोट समेत कई जिले चक्रवात की चपेट में आएंगे।
बड़े खतरे और नुकसान की आशंका
इस तूफान के विकराल रूप को देखते हुए कई जगह बड़ी तबाही मचने की आशंका है। छप्पर-झोपड़ी वाले घर पूरी तरह तबाह हो सकते हैं। कच्चे घर व पक्के मकानों को नुकसान हो सकता है और बिजली के खंभे और कम्युनिकेशन टावर्स झुक सकते हैं या पूरी तरह उखड़ सकते हैं। कच्ची और पक्की सड़कें क्षतिग्रस्त हो सकती है। रेलवे परिवहन, बिजली के तारों और सिग्ननलिंग सिस्टम में बाधा आ सकती है।
तूफान को लेकर खास इंतजाम, CM अलर्ट
गुजरात में चक्रवात को लेकर SDRF की 10 टीमें तैनात हो गई हैं जिसमें NDRF की 12 टीमें तैनात हैं और 3 एडिशनल टीमों को स्टैंडबाय पर रखा गया है। मछुआरों को समुद्र में जाने पर पुरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। 21 हजार से अधिक नावों को रोका जा चुका है। इसके अलावा फिशरीज, हेल्थ और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट की टीमें भी तैनात रहेंगी। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एडवांस प्लानिंग और डिजास्टर मैनेजमेंट कर जिम्मेदारी सीनियर मिनिस्टर्स को सौंपी है। इनमें ऋषिकेश पटेल को कच्छ जिले की, कुंवरजी बावलिया को पोरबंदर की, मुलु भाई बेरा को जामनगर की, हर्ष सांघवी को देवभूमि द्वारका की, जगदीश विश्वकर्मा को जूनागढ़ जिले की और पुरुषोत्तम सोलंकी को गिर सोमनाथ जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है। तथा इन मंत्रियों को जल्द से जल्द ग्राउंड तक पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। तथा 15 जून से पहले ही 6 जिलों में शेल्टर होम बना लिए जाएंगे व समुद्र तट से 5 से 10 किलोमीटर के इलाके में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने बुलाई आपात बैठक, दिए खास निर्देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 12 जून को एक इमरजेंसी मीटिंग की थी। इसमें गृह मंत्रालय, NDRF और सेना के अधिकारी मौजूद रहे। गृह मंत्री अमित शाह भी आपदा प्रबंधन विभाग के साथ आवश्यक तैयारी में जुटे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तूफान मुख्य रूप से नॉर्थ गुजरात और साउथ राजस्थान को प्रभावित करेगा। इससे जुड़े आसपास के इलाकों में तेज हवा और बारिश हो सकती हैं। बाकी देश पर इसका कोई खास असर नहीं होगा।
- नॉर्थ ईस्टः अगले तीन दिन ज्यादातर राज्यों में भारी बारिश का अनुमान है।
- पूर्वी भारत : पश्चिम बंगाल व सिक्किम में भी तीन दिन अत्यधिक भारी बारिश का अनुमान है।
- उत्तर पश्चिम भारतः हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान के कुछ इलाकों में तूफान का खतरा है।
- पश्चिमी भारतः गोवा, महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भारी बारिश हो सकती है, जबकि गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ इलाके में काफी असर दिख सकता है।
- दक्षिणी भारतः केरल और कर्नाटक में भारी बारिश जारी रह सकती है।
तूफान के कारण मौसम में कई बदलाव
अचानक बिपरजॉय तूफान के कारण अब राजस्थान के साथ पूरे देश में मानसून को लेकर कई बदलाव होने की संभावना है। तूफान के चलते मानसून के और एडवांस यानी तेज होने की संभावना है। इससे इन इलाकों में मानसून तेजी से पहुंच सकता है। इन इलाकों में प्री-मानसून एक्टिविटी बढ़ेगी और 15 जून के बाद बारिश होने की संभावना है।
तूफान है क्या और क्यों आते हैं
चक्रवात एक गोलाकार तूफान होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं। जब ये चक्रवात जमीन पर पहुंचते हैं, तो अपने साथ भारी बारिश और तेज हवा लेकर आते हैं। ये हवा उनके रास्ते में आने वाले पेड़ों, गाड़ियों और कई बार तो घरों को भी तबाह कर देते हैं। समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम होने की वजह से ऊपर उठती है। इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर यानी वायु दाब कम हो जाता है। इस खाली जगह को भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा वहां पहुंचती है। इसके बाद ये नई हवा भी गर्म और नम होकर ऊपर उठती है।
तूफानों का नामकरण कैसे होता है
एक बड़ी ही अजीब बात है कि जब कोई बड़ा चक्रवात या तूफान आता है, तो मौसम विशेषज्ञ उसका नाम कैसे रख लेते हैं। उसका भी तो कोई आधार होता होगा। चलिए जानते हैं। तूफान का नाम ‘बिपरजॉय’ क्या रखा। यह शब्द बांग्ला भाषा का है, जिसका अर्थ होता है ‘आपदा’। इस खतरनाक होते तूफान को बिपरजॉय नाम बांग्लादेश द्वारा दिया गया है। 2000 से विश्व मौसम संगठन यानी WMO और यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमिशन फॉर द एशिया पैसिफिक यानी ESCAP ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के तूफानों के नामकरण का मेथड शुरू किया। वर्तमान में साइक्लोन के नाम रखने का काम दुनिया भर में मौजूद छह विशेष मौसम केंद्र यानी रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर्स यानी RSMCS और पांच चक्रवाती चेतावनी केंद्र यानी ट्रॉपिकल साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स यानी TCWCS करते हैं। RSMSC और TCWCS चक्रवात और तूफानों को लेकर अलर्ट जारी करने और नामकरण में भूमिका निभाते हैं। IMD हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर इलाके में आने वाले साइक्लोन के नाम रखने और इस इलाके के 13 अन्य देशों को अलर्ट करने का काम करता है। हिंद महासागर के इलाकों में आने वाले साइक्लोन के नाम रखने के फॉर्मूले पर 2004 में सहमति बनी थी। पहले इसमें आठ देश-भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे, 2018 में इसमें ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन भी शामिल हुए, जिन्हें मिलाकर इनकी संख्या 13 हो गई।
महाराष्ट्र के समुद्री तटों पर 120 लाइफ गार्ड तैनात
तूफान को लेकर मुंबई के समुद्र तट पर डूबने घटना को लेकर बीएमसी द्वारा 120 लाइफ गार्ड तैनात कर दिए हैं। सुरक्षित न होने पर नागरिक और पर्यटक समुद्र के पास न जाएं। बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। आम लोगों को पहले से अलर्ट कर दिया है कि वे समुद्र के पास न आए। साथ ही सतत निगरानी भी रखी जा रही है। इसके अलावा गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि गुूजरात के तटीय क्षेत्र असुरक्षित लोगों को लगातार शिफ्ट किया जा रहा है। साथ ही उनके उनके खाने, पीने, दवा की व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आर्मी की टीमें तैनात की गई हैं।
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तूफान के चलते बंद रहेगा अब द्वारकाधीश मंदिर
द्वारका के SDM पार्थ तलसानिया ने कहा कि तूफान के चलते द्वारकाधीश मंदिर को 15 जून को बंद करने का निर्णय लिया है। फिर अगर हालात ठीक होते हैं तो 16 जून को मंदिर खोल दिया जाएगा और अगर हालात नियंत्रित नहीं रहे तो मंदिर नहीं खुलेगा। गुजरात सरकार में मंत्री प्रफुल पंशेरिया ने कहा कि कच्छ जिला पूरा प्रभावित क्षेत्र है।
ये राज्य हो रहे हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, लक्षद्वीप, केरल, गोवा है। इसके अलावा राजस्थान पर भी इसका असर दिखाई देगा, मगर तब तक इसकी रफ्तार कम होने की संभावना है। IMD द्वारा राजस्थान को भी अलर्ट कर दिया है और बताया कि 16 जून को दोपहर तक तूफान राजस्थान में प्रवेश करेगा। 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। अगले 6-12 घंटे में यह चक्रवात कमजोर होगा। मौसम विभाग ने 16 तारीख को भारी बारिश की संभावना जताई है। 17 जून को भी भारी बारिश की संभावना रहेगी, लेकिन 18 जून को बारिश कम होने की संभावना है।
तूफान का नाम बिपरजॉय क्यों ?
इस बार जो तूफान आ रहा है, उसका नाम बिपरजॉय रखने के पीछे भी एक अलग कहानी है। तूफान तबाही के साथ ही नामों को लेकर भी चर्चा में रहता है। तूफान बिपरजॉय का अर्थ है कि डिजास्टर यानी ‘आपदा’। यह नाम बांग्लादेश द्वारा दिया है। दरअसल, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं उनके नाम बारी-बारी से इस इलाके के देश रखते हैं और उसी के तहत यह नाम रखा गया है। वर्ष 2004 से यही प्रक्रिया लगातार चलती आ रही है।
राजस्थान के इन जिलों में तूफान का असर
बिपरजॉय तूफान की बढ़ती रफ्तार के मध्यनजर मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है। इसके तहत राजस्थान के उदयपुर, राजसमंद, बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, जालोर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, अजमेर संभाग, भीलवाड़ा और टोंक शामिल हैं। यहां पर 50 से 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है। साथ ही इन जिलों में भारी बारिश होने की भी संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पहले से ही प्रशासन अलर्ट मोड पर है और लोगों को भी सावचेत किया जा रहा है।
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तूफान की वजह से मानसून हो गया कमजोर
मौसम विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बिपरजॉय तूफान के चलते इस बार मानसून अटक सा गया है। 18 से 21 जून के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो सकती है। मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने मीडिया को बताया कि तूफान ने अरब सागर के ऊपर भूमध्यरेखीय प्रवाह को बढ़ा कर दक्षिणी हिस्सों में मानसून को आगे बढ़ने में मदद की है। उन्होंने बताया कि तूफान अब मानसूनी प्रवाह से पूरी तरह से अलग हो गया है। अब मानसून के आगे बढ़ने में कोई रुकावट नहीं है। मानसून महाराष्ट्र के कोंकण तट तक आ चुका है। 17 जून को इसके मुंबई और पुणे पहुंचने की संभावना है। इसके बाद मानसून रफ्तार पकड़ेगा। फिलहाल जब तक तूफान रहेगा, तब तक मानसून के आगे बढ़ने की संभावना कम देखी जा रही है। साथ ही पूर्वोत्तर भारत में भारी से बहुत भारी बारिश के जारी रहने की संभावना है।
गुजरात नहीं भूल पाया 1999 का तूफान
गुजरात में बिपरजॉय तूफान ने एक बार फिर करीब 24 साल पुराने सुपर साइक्लोन की यादें दिला दी है, जिसके जख्म आज तक नहीं भर पाए हैं। 29 अक्टूबर 1999 सुबह 10.30 बजे तूफान ओडिशा के तटीय किनारों से टकराया था, तब हवा की तरफ्तार इतनी तेज थी कि पारदीप में मौसम विभाग का एनीमोमीटर भी हवा को रिकॉर्ड नहीं कर पाया था। करीब 36 घंटे तक 260 किमी की रफ्तार से हवा चली थी। उस वक्त उस तूफान से करीब 9 हजार 885 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि अपुष्ट जानकारी में लोग कहते हैं कि 50 हजार से ज्यादा लोग मरे थे। इसके अलावा 3 लाख से ज्यादा मवेशी मरे और 16 लाख घर क्षमतिग्रस्त हो गए थे। इसके अलावा भी हमारे भारत देश में पिछले दो दशक में कई खतरनाक तूफान व चक्रवात आए, मगर उनमें मौतों का आंकड़ा 100 से कम ही रहा है।
1998 में भी भयानक तूफान, कपड़े की तरफ लटक गई थी लाशें
9 जून 1998 को गुजरात के कांडला पोर्ट में लोग अपने रूटीन कामों में लगे थे और अचानक 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली और अरब सागर में कम दबाव के चलते चक्रवात कांडला में लैंडफॉल हुआ था। तब करीब 1,485 की मौत हो गई थी और 1,700 लोग लापता हो गए थे। साथ ही 11 हजार पशुओं की मौत हुई थी। बताया गया कि कांडला से जब अचानक तूफान टकराया तो लोग बंदरगाह में पड़े कंटेनरों पर चढ़ गए, पर तूफान इन कंटेनरों को ही उड़ाकर समुद्र में ले गया। इस तरह पोर्ट पर ही सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में कई इमानतो पर कपड़ों की तरह लोगों की लाशें लटक गई थी, जो बहुत ही भयानक दृश्य था।