अरब सागर से उठा चक्रवाती तूफान बिपरजॉय गुजरा के तटीय इलाकों में पहुंचने वाला है। बताया गया कि 15 जून को तूफान गुजरात के मांडवी व करांची के बीच लैंडफॉल की संभावना है और गुजरात के कच्छ जिले के जाो पोर्ट से टकराने की संभावनार है। अब तक गुजरात क्षेत्र में तूफन से पहले प्रशासन व सेना द्वारा करीब 50 हजार लोगों को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया है। तूफान की रफ्तार 150 किमी. प्रति घंटा से हवा चल रही है। यूं कह सकते हैं कि तेज आंधी के साथ भारी बारिश होने का मौसम विभाग का पूर्वानुमान है, जिसे लेकर शासन, प्रशासन पहले से अलर्ट मोड पर है। तूफान के भयानक रूप को देखते हुए राजस्थान में भी प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। बताया गया कि बुधवार शाम तक पोरबंदर से 300 किलाेमीटर दूर था, मगर उससे आगे के इलाके में लगातार बारिश जारी है और बुधवार शाम 5.05 बजे गुजरात के कच्छ में भूकंप के झटके भी लगे, जिसकी तीव्रता 3.5 बताई गई है। अब तक करीब 9 लोगों की मौत होने की खबर है, जबकि कच्छ व सौराष्ट्र में समुद्र तट से 10 किलोमीटर की सीमा में 7 जिलो से करीब 50 हजार लोगों को सुरक्षित जगह शिफ्ट कर दिया है। मौसम विभाग ने पहले ही वहां पर रेड अलर्ट जारी कर रखा है और गुरुवार को कच्छ-सौराष्ट्र में आंधी तूफान के बीच भारी बारिश की चेतावनी है।
महाराष्ट्र के समुद्री तटों पर 120 लाइफ गार्ड तैनात
तूफान को लेकर मुंबई के समुद्र तट पर डूबने घटना को लेकर बीएमसी द्वारा 120 लाइफ गार्ड तैनात कर दिए हैं। सुरक्षित न होने पर नागरिक और पर्यटक समुद्र के पास न जाएं। बीएमसी कमिश्नर आईएस चहल की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। आम लोगों को पहले से अलर्ट कर दिया है कि वे समुद्र के पास न आए। साथ ही सतत निगरानी भी रखी जा रही है। इसके अलावा गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि गुूजरात के तटीय क्षेत्र असुरक्षित लोगों को लगातार शिफ्ट किया जा रहा है। साथ ही उनके उनके खाने, पीने, दवा की व्यवस्था की गई है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आर्मी की टीमें तैनात की गई हैं।
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तूफान के चलते बंद रहेगा अब द्वारकाधीश मंदिर
द्वारका के SDM पार्थ तलसानिया ने कहा कि तूफान के चलते द्वारकाधीश मंदिर को 15 जून को बंद करने का निर्णय लिया है। फिर अगर हालात ठीक होते हैं तो 16 जून को मंदिर खोल दिया जाएगा और अगर हालात नियंत्रित नहीं रहे तो मंदिर नहीं खुलेगा। गुजरात सरकार में मंत्री प्रफुल पंशेरिया ने कहा कि कच्छ जिला पूरा प्रभावित क्षेत्र है।
ये राज्य हो रहे हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार चक्रवाती तूफान बिपरजॉय की वजह से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, लक्षद्वीप, केरल, गोवा है। इसके अलावा राजस्थान पर भी इसका असर दिखाई देगा, मगर तब तक इसकी रफ्तार कम होने की संभावना है। IMD द्वारा राजस्थान को भी अलर्ट कर दिया है और बताया कि 16 जून को दोपहर तक तूफान राजस्थान में प्रवेश करेगा। 50-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। अगले 6-12 घंटे में यह चक्रवात कमजोर होगा। मौसम विभाग ने 16 तारीख को भारी बारिश की संभावना जताई है। 17 जून को भी भारी बारिश की संभावना रहेगी, लेकिन 18 जून को बारिश कम होने की संभावना है।
तूफान का नाम बिपरजॉय क्यों ?
इस बार जो तूफान आ रहा है, उसका नाम बिपरजॉय रखने के पीछे भी एक अलग कहानी है। तूफान तबाही के साथ ही नामों को लेकर भी चर्चा में रहता है। तूफान बिपरजॉय का अर्थ है कि डिजास्टर यानी ‘आपदा’। यह नाम बांग्लादेश द्वारा दिया है। दरअसल, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं उनके नाम बारी-बारी से इस इलाके के देश रखते हैं और उसी के तहत यह नाम रखा गया है। वर्ष 2004 से यही प्रक्रिया लगातार चलती आ रही है।
राजस्थान के इन जिलों में तूफान का असर
बिपरजॉय तूफान की बढ़ती रफ्तार के मध्यनजर मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है। इसके तहत राजस्थान के उदयपुर, राजसमंद, बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, जालोर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, अजमेर संभाग, भीलवाड़ा और टोंक शामिल हैं। यहां पर 50 से 60 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है। साथ ही इन जिलों में भारी बारिश होने की भी संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पहले से ही प्रशासन अलर्ट मोड पर है और लोगों को भी सावचेत किया जा रहा है।
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तूफान की वजह से मानसून हो गया कमजोर
मौसम विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बिपरजॉय तूफान के चलते इस बार मानसून अटक सा गया है। 18 से 21 जून के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो सकती है। मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने मीडिया को बताया कि तूफान ने अरब सागर के ऊपर भूमध्यरेखीय प्रवाह को बढ़ा कर दक्षिणी हिस्सों में मानसून को आगे बढ़ने में मदद की है। उन्होंने बताया कि तूफान अब मानसूनी प्रवाह से पूरी तरह से अलग हो गया है। अब मानसून के आगे बढ़ने में कोई रुकावट नहीं है। मानसून महाराष्ट्र के कोंकण तट तक आ चुका है। 17 जून को इसके मुंबई और पुणे पहुंचने की संभावना है। इसके बाद मानसून रफ्तार पकड़ेगा। फिलहाल जब तक तूफान रहेगा, तब तक मानसून के आगे बढ़ने की संभावना कम देखी जा रही है। साथ ही पूर्वोत्तर भारत में भारी से बहुत भारी बारिश के जारी रहने की संभावना है।
गुजरात नहीं भूल पाया 1999 का तूफान
गुजरात में बिपरजॉय तूफान ने एक बार फिर करीब 24 साल पुराने सुपर साइक्लोन की यादें दिला दी है, जिसके जख्म आज तक नहीं भर पाए हैं। 29 अक्टूबर 1999 सुबह 10.30 बजे तूफान ओडिशा के तटीय किनारों से टकराया था, तब हवा की तरफ्तार इतनी तेज थी कि पारदीप में मौसम विभाग का एनीमोमीटर भी हवा को रिकॉर्ड नहीं कर पाया था। करीब 36 घंटे तक 260 किमी की रफ्तार से हवा चली थी। उस वक्त उस तूफान से करीब 9 हजार 885 लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि अपुष्ट जानकारी में लोग कहते हैं कि 50 हजार से ज्यादा लोग मरे थे। इसके अलावा 3 लाख से ज्यादा मवेशी मरे और 16 लाख घर क्षमतिग्रस्त हो गए थे। इसके अलावा भी हमारे भारत देश में पिछले दो दशक में कई खतरनाक तूफान व चक्रवात आए, मगर उनमें मौतों का आंकड़ा 100 से कम ही रहा है।
1998 में भी भयानक तूफान, कपड़े की तरफ लटक गई थी लाशें
9 जून 1998 को गुजरात के कांडला पोर्ट में लोग अपने रूटीन कामों में लगे थे और अचानक 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली और अरब सागर में कम दबाव के चलते चक्रवात कांडला में लैंडफॉल हुआ था। तब करीब 1,485 की मौत हो गई थी और 1,700 लोग लापता हो गए थे। साथ ही 11 हजार पशुओं की मौत हुई थी। बताया गया कि कांडला से जब अचानक तूफान टकराया तो लोग बंदरगाह में पड़े कंटेनरों पर चढ़ गए, पर तूफान इन कंटेनरों को ही उड़ाकर समुद्र में ले गया। इस तरह पोर्ट पर ही सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। ऐसे में कई इमानतो पर कपड़ों की तरह लोगों की लाशें लटक गई थी, जो बहुत ही भयानक दृश्य था।