राजसमंद | अभी तक कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कहर से लोगों को राहत मिली भी नहीं है कि अब एक और खतरा म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण अथवा ब्लैक फंगस नामक बीमारी के रूप में खड़ा हो गया है, जिसे मानव जीवन के लिए कोरोना व कैंसर से भी घातक बताया जा रहा है ! अब तक देश के अनेक राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर, जयपुर, जिलो में इस बीमारी ने अपने पांव पसार लिए हैं ! ब्लैक फंगस विशेषकर कोरोना, डायबिटीज व स्टेरॉइड्स पर निर्भर रोगियों को तेजी से अपना शिकार बना रहा है ! ऐसे में हरियाणा सरकार ने तो ब्लैक फंगस को अधिसूचित रोग घोषित कर दिया है तथा अन्य राज्यों में भी चिकित्सा महकमे को अलर्ट कर दिया गया है ! ताकि इससे संक्रमित रोगियों का तुरंत पता लगते ही रोकथाम के उचित व त्वरित कदम उठाए जा सके !
क्या है “ब्लैक फंगस” रोग
यह ब्लैक फंगस बीमारी एक गंभीर, लेकिन दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है, जोकि मोल्ड के एक ग्रुप, जिसे माइक्रोमायसिटीज कहते हैं के कारण होता है ! यह फंगस हमारे चारों ओर मुक्त रूप में मौजूद होता है, लेकिन किसी व्यक्ति के शरीर के अंदर इन्फेक्शन को संभव बनाने के लिए, इसे किसी विशेष एनवायरमेंट की जरूरत होती है ! यह बीमारी कोरोना पीड़ित उन मरीजों को हो रही है, जिन्हें डायबिटीज है अथवा रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है ! यह संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा को इस कदर प्रभावित कर रही है कि मरीज की आंखों में मोमेंट बंद हो जाता है और आंखों की रोशनी भी खत्म कर देता है ! साथ ही मरीज के जबड़े और नाक की हड्डी तक को गला देता है ! दुर्लभ किस्म की यह बीमारी, मरीज की आंखों की रोशनी को खत्म करते हुए मस्तिष्क पर गहरा आघात डाल रही है और मौत का कारण बन रही है !
ब्लैक फंगस रोग के लक्षण
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद से जुड़े चिकित्सकों के अनुसार ब्लैक फंगस संक्रमण के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, पानी आना, लाल होना, धुंधलापन, दर्द होना, नाक का बंद होना, नाक में काले रंग का डिस्चार्ज होना, नाक बंद होना, सीने में दर्द, दांत व जबड़े में दर्द अथवा गिरना, किसी भी तरह की चेहरे पर सूजन आना, खासकर गालों के आसपास, देखने की क्षमता में कमी और अंत में मरीज के दिमाग में संक्रमण पहुंचकर, उसकी मानसिक स्थिति को खराब कर देता है !
कोरोना मरीजों को ब्लैक फंगस संक्रमण का खतरा ज्यादा
कोविड-19 वायरस ब्लैक फंगस को आसानी से फैलने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है ! कोरोना संक्रमित मरीजों अथवा संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीज, जिन के इलाज में स्टेरॉइड्स का प्रयोग ज्यादा हुआ है अथवा डायबिटीज बीमारी से ग्रसित रोगी है और जो स्टेरॉइड्स का सेवन लंबे समय से कर रहे हैं, उन रोगियों पर ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है ! चिकित्सकों के अनुसार, अगर आपका ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं रहता अथवा आप किसी गंभीर बीमारी के शिकार हैं या फिर लंबे समय से दवा ले रहे हैं अथवा आपने ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाया है तो आप सावधान हो जाइए, आपको ब्लैक फंगस बीमारी का खतरा ज्यादा है ! अगर आप धूल मिट्टी वाले इलाके में रहते हैं या ऐसा इलाका जहां निर्माण का काम चल रहा है, प्रदूषण ज्यादा है, इन इलाकों में यह फंगस ज्यादा पनपता है, जो सांसों के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करता है !कुछ ही दिनों अथवा घंटों में ही तेजी से फैलकर, आप की जीवन लीला को खत्म कर देता है !
ब्लैक फंगस की मृत्यु दर है बहुत अधिक….
यदि ब्लैक फंगस एक बार व्यक्ति के दिमाग तक पहुंच गया, तो इसका इलाज बहुत ही कठिन हो जाता है और फिर कोई इलाज कारगर नहीं होता या ब्लैक फंगस के उपचार की अवधि बढ़ जाती है ! यह फंगस कैंसर की तरह व्यवहार करता है, लेकिन कैंसर को जानलेवा प्रभाव पैदा करने में कम से कम कुछ महीनों का समय जरूर लगता है, जबकि इससे जान कुछ ही दिनों या कुछ ही घंटों में जा सकती है ! इस प्रकार ब्लैक फंगस एक जानलेवा इंफेक्शन है, जिसमें मृत्यु दर (50 से 70% तक) काफी ऊंची है !
ब्लैक फंगस बीमारी से निपटने का नहीं, सुरक्षित सिस्टम….
मौजूदा वक्त में के इस बीमारी से निपटने के लिए अभी तक चिकित्सा महकमे के पास कोई सुरक्षित सिस्टम नहीं है ! इसकी दवा की शॉर्टेज या कालाबाजारी होने की खबरें, अभी से सामने आने लगी है ! ऐसे में विशेषज्ञ बताते हैं कि मौजूदा हालात को देखते हुए सतर्कता ही ब्लैक फंगस से बचाव का एकमात्र कारगर उपाय है !
इनका कहना है
ब्लैक फंगस एक कवक जनित संक्रामक बीमारी है, जो पहले से ग्रसित रोगियों, विशेषकर कोरोना व डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा फैल रही है ! इसलिए शासन-प्रशासन को चाहिए कि कोरोना महामारी के साथ-साथ ब्लैक फंगस नामक बीमारी से निजात पाने के लिए, प्रत्येक जिला जिला मुख्यालय पर प्रथक से ब्लैक फंगस वार्ड, आउटडोर सुविधा व अन्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवानी चाहिए ! क्योंकि इसकी घातकता कैंसर व कोरोना से भी अधिक है !
कैलाश सामोता “रानीपुरा” विज्ञान शिक्षक, शाहपुरा, जयपुर