मध्यप्रदेश के हरदा जिला मुख्यालय का मगरधा रोड मंगलवार को दो शक्तिशाली धमाकों से दहल उठा। अवैध पटाखा फैक्ट्री में सुबह 11:20 से 11:27 के बीच 7 मिनट में हुए । जिससे यहां काम कर रहे मजदूरों के चिथड़े उड़ गए। इनके शव आसपास के खेतों में मिले। इसके बाद फैक्ट्री आग का गोला बन गई । पटाखा फैक्ट्री सोमेश फायर वर्क्स में ब्लास्ट हुआ। फैक्ट्री में बने 32 बड़े कम्पार्टमेंट में जमा बारूद से एक के बाद एक धमाके होने लगे। इन धमाकों से लगी आग ने आसपास की बस्ती को चपेट में ले लिया।आसपास के मकानों की दीवारें ढह गई, दरवाजे गिर टूट गए। टीन शेड दूर जा गिरे। डंपर, कारें क्षतिग्रस्त हो गई। करीब 13 घर बुरी तरह बर्बाद हो गए। शाम 5 बजे तक फैक्ट्री के आसपास करीब 10 लोगों के शव मिले। 174 से ज्यादा घायलों को हरदा, भोपाल, इंदौर, खंडवा और नर्मदापुरम के अस्पतालों में भेजा गया है। हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। फैक्ट्री में रोज करीब 300 कर्मचारी काम करते हैं। विस्फोट के समय काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या स्पष्ट नहीं है। फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल उर्फ राजू (47) पूर्व के हादसों में हुए मौतों में दोषी करार दिया जा चुका है और फिलहाल जमानत पर है। कोर्ट ने भूमि मालिक दिनेश पिता सत्यनारायण शर्मा को भी सजा सुनाई है।
सील कर दी थी फैक्ट्री, कोर्ट से स्टे लाकर फिर खोल ली
फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल है, जो आसपास के लोगों से पटाखे बनवाता था यहां 10 साल में तीन घटनाएं हो चुकी हैं। अक्टूबर 2022 में कलेक्टर ने फैक्ट्री सील कर दी थी, लेकिन राजेश कमिश्नर कोर्ट से स्टे ले आया और फैक्ट्री में फिर पटाखे बनाने लगा।
दूर-दूर तक गिरे क्षत-विक्षत अंग
धमाका ऐसा था कि फैक्ट्री से 400 मीटर दूर तक लोगों के शरीर के क्षत-विक्षत अंग गिरे। जब राहत टीम पहुंची तो एक घायल महिला फैक्ट्री से 50 मी. दूर मिली, जबकि उसका एक हाथ 300 मी. दूर खेत में पड़ा था। फैक्ट्री के सामने वाले रोड पर बाइक और लोगों के शव बिखरे पड़े थे। इतना ही नहीं, धमाके से फैक्ट्री के पिलर कचरे की तरह बिखरकर रोड पर आ गिरे।अग्रवाल कम कीमत में सुतली बम बनाकर महाराष्ट्र भेजता था।
तीन सदस्यीय समिति करेगी जांच
राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बना दी है। पूरे प्रदेश में पटाखा फैक्ट्रियों की भी जांच होगी।
पांच सवालों में घिरा नाकाम सिस्टम
- रिहायशी इलाके में पटाखा फैक्ट्री क्यों और कैसे चलती रही ? पुलिस और प्रशासन क्या करता रहा ?
- सैकड़ों टन बारूद का स्टॉक होने की जानकारी प्रशासन तक क्यों नहीं पहुंची ?
- भीषण आग पर नियंत्रण के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं ? सरकार की आपदा प्रबंधन नीति का क्या हुआ ?
- हर माह सैकड़ों टन पटाखों की डिलीवरी की जानकारी जीएसटी को कैसे नहीं थी ?
- बरसों से पटाखों के अवैध परिवहन की जानकारी परिवहन विभाग को क्यों नहीं हो पाई ?