कोरोना महामारी के बीच अब ब्लैक फंगस भी लोगों के गले की फांस बन गया है। आंखों की रोशनी, दांतों के साथ-साथ अब मरीज जबड़े भी खराब हो रहे है। दांतों का हिलना, सूजन, खाने में दिक्कत और मवाद आने जैसी शिकायत पर जांच में ब्लैक फंगस मिला। फंगस सांस के रास्ते नाक से होता जबड़े के साइनस में पहुंच रहा है।
आरयूएचएस कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस में 10 मरीज ऐसे थे जिनके डायबिटीज नहीं था, फिर भी ब्लैक फंगस होना शोध का विषय है। आरयूएचएस कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस के प्राचार्य डॉ. संदीप टंडन ने बताया कि अब तक ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आने वाले 48 मरीजों का जबड़ा निकाला जा चुका है। इसमें 36 पुरुष और 12 महिलाएं शामिल है। 70 मरीजों का इलाज चल रहा है। इन्फेक्शन को फैलने से रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके जबड़ों का ऊपरी हिस्सा निकालना पड़ता है।
पहली स्टेज में नाक, दूसरी में आंख और तीसरी में जबड़े में संक्रमण जाता है। चौथी स्टेज में दिमाग की ओर जाता है। उन स्थितियों में मरीज की मौत भी हो सकती है। म्यूकर माइकोसिस मरीज को इंजेक्शन देने पड़ते हैं। ऑपरेशन के बाद तो तीन से चार दिन मरीज को इंजेक्शन देने पड़ते है। वरना खुली हुई नसों से फंगस फैलने का अधिक खतरा है। जयपुर के एक व्यक्ति को 20 अप्रैल को बुखार होने पर कोविड पॉजिटिव पाया गया। तबीयत बिगडऩे पर ऑक्सीजन, स्टेराइड समेत दवाएं भी लगी। ब्लैंक फंगस होने पर पहले ईएनटी डॉक्टर और बाद में डेंटिस्ट ने जबड़े की गली हड्डी व मवाद को निकाला।