लॉकडाउन की वजह से अभी आने-जाने के साधन नहीं हैं। एक वृद्धा अपनी 5 साल की नातिन (दोहिती) के साथ पैदल ही अपने रिश्तेदार के घर मिलने के लिए शॉर्टकट रास्ता चुना। जिस रास्ते से दोनों निकलीं, वह रेतीले धोरों वाला वीरान क्षेत्र है। तपते धोरों में 9 घंटे तक पानी नहीं मिलने से पांच साल की मासूम ने दम तोड़ दिया तो वृद्धा बेसुध हो गई। राहगीर की सूचना में देवदूत बनकर आई पुलिस ने वृद्धा को पानी पिलाया और उपचार के लिए अस्पताल पहुंचा।
यह घटना राजस्थान के जालोर जिले के रानीवाड़ा थाना क्षेत्र की है। वहां से गुजर रहे एक युवक की नजर तपती रेत पर इन्हें निढाल पड़े देखा तो सरपंच को फोन किया मौके पर पुलिस पहुंची तथा वृद्धा को अस्पताल ले जाकर भर्ती करवाया। जहां उसका इलाज चल रहा हैं। पता चला कि सिरोही के रायपुर से चली नानी के साथ यह बालिका 9 घंटे के सफर में 7 किलोमीटर तक चलते-चलते इसलिए पस्त हो गई क्योंकि वीरान रेगिस्तान में न पानी मिला और न ही छांव। पानी की कमी ने मासूम बच्ची की मौत हो गई।
रानीवाड़ा तहसील अंतर्गत डूंगरी निवासी वृद्धासुखीदेवी का सिरोही जिले के मंडार के निकट रायपुर में पीहर है। सुखीदेवी अपनी 5 वर्षीय नातिन के साथ पीहर गई थी। रविवार 6 जून को सुबह मौसम ठंडा देखकर पांच वर्षीय नातिन के साथ वह वापस बहन के पास जाने के लिए पैदल ही घर से रवाना हो गई। करीब 10-12 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी, इस दौरान दोपहर में गर्मी तेज हो गई। वृद्धा के पास पानी की बोतल भी नहीं थी और जिस मार्ग से गुजर रही थी, वह रेतीला कच्चा मार्ग था।
तेज गर्मी के कारण और पानी नहीं मिलने से वृद्धा और बच्ची को डिहाइड्रेशन की समस्या हो गई और दोनों बेहोश होकर गिर पड़े। काफी देर बाद वहां उधर से गुजर रहे एक चरवाहे ने महिला को देखा तो सूरजवाड़ा सरपंच कृष्ण कुमार पुरोहित को फोन किया। बाद में पुलिस भी मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक बच्ची का दम टूट चुका था। महिला को पुलिस ने पानी पिलाया और उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया।