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तय रूट की बजाय अन्य रूट पर रोडवेज बस चलाकर एक नाबालिग बालिका को रूट वाले गांव में नहीं उतारकर हाइवे पर उतारने के मामले में जिला बाल कल्याण समिति ने प्रसंज्ञान लिया है। समिति अध्यक्ष कोमल पालीवाल ने बस के चालक व परिचालक की गंभीर लापरवाही मानते हुए राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम राजसमंद के प्रबंधक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

लॉकडाउन के पश्चात अनलाॅक की प्रक्रिया के अन्तर्गत राज्य परिवहन विभाग राजस्थान की कोरोना गाइडलाइन के तहत जारी दिशा निर्देशो के अनुसार राज्यस्तरीय व जिला डिपो पर राजकीय रोडवेज बसों का संचालन शुरू हो गया है। राजस्थान रोडवेज की बसें देलवाड़ा नहीं जाकर सीधे बाईपास से निकलने पर ग्रामीणों को इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकाे लेकर ग्रामीणों ने पूर्व में दो बार आंदोलन भी किया, लेकिन चालक-परिचालक की मनमानी से लाेगाें काे परेशानी झेलनी पड़ रही है। चेतक बस स्टैंड से उदयपुर से देलवाड़ा आने वाली महिलाओं, बालिकाओं को ना तो बुकिंग वाला टिकट देता है ना बस के चालक-परिचालक गाड़ी में बिठाते हैं।बस देलवाड़ा नहीं जाएगी यह बहाना बनाकर सीधे बाईपास से निकल जाते हैं और देलवाड़ा की सवारियों को काफी समय तक उदयपुर से देलवाड़ा आने की बस नहीं मिलती। इसको लेकर बुधवार को भी बसें देलवाड़ा नहीं पहुंची तो ग्रामीणों बसों को रूकवा दिया। इस पर बाल कल्याण समिति, राजसमन्द द्वारा संज्ञान लेते हुए बैठक की। बैठक में अध्यक्ष कोमल पालीवाल, सदस्य बहादुरसिंह चारण, हरजेन्द्र सिंह चैधरी, सीमा डागलिया तथा रेखा गुर्जर ने की। देलवाडा तहसील क्षेत्र के आदेशो के बावजूद निर्धारित मार्ग की बजाय राज्य परिवहन निगम कर्मियों द्वारा मनमर्जी के रूट पर बसें चलाई जा रही है। बसें देलवाड़ा नहीं जाने से कई बार महिलाओं को बच्चों व अन्य सामान ले जाने में काफी परेशानी होती है। 29 जून को निगम कर्मियों के द्वारा 16 वर्षिय बालिका को देलवाडा के लिए बैठाने के पश्चात देलवाडा नहीं जाने का कहकर टोल पर ही बालिका को उतार दिया। यह गम्भीर लापरवाही व उपेक्षापूर्ण व्यवहार के साथ में राजकीय दायित्यों के निवर्हन में कमी प्रतीत होता है। बालिका को परिवहन विभाग के कर्मचारी द्वारा नाबालिग बालिका को बीच सडक पर उतारकर चले जाना मानवीय एवं विधि आधारो पर भी गलत है। बाल कल्याण समिति, राजसमन्द द्वारा संज्ञान में आने पर बैठक में उपरोक्त प्रकरण की व परिस्थितियों की जांच कराये जाने का प्रस्ताव लिया। मामले की जांच करवाने को लेकर जिला परिवहन अधिकारी राजसमन्द, निदेशक, परिवहन विभाग एवं जिला कलक्टर को जांच के पत्र लिखा। जिसकी जांच रिपोर्ट, कार्यवाही रिपोर्ट 15 दिवस में बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया।