लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद
आयुर्वेद हर मर्ज का असरकारक व स्थायी इलाज है। इससे तत्काल तो राहत नहीं मिलती, मगर आयुर्वेद जड़मूल से बीमारी खत्म करने की गारंटी जरुर देता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के प्रयास वर्ष 1993 में जिला कार्यालय खुलने के साथ शुरू हो गए, मगर दो दशक बाद भी कहीं असर नहीं दिखता। महकमे की बागडोर भी स्थायी अधिकारी की बजाय अक्सर वरिष्ठ वैद्य के हाथ रही, जिन्हें खुद के आउटडोर से फुर्सत नहीं मिली। सेवानिवृति के मुकाबले न भर्ती हुई और न ही कहीं से स्थान्तरित होकर कोई वैद्य व कम्पाउंडर आए। अब वैद्य, कम्पाउंडर के अभाव में दो दर्जन से ज्यादा आयुर्वेद औषधालयों में ताला लगाने की नौबत आ गई।
आयुर्वेद चिकित्सा सुविधा के लिहाज से जिला मुख्यालय राजसमंद पांच बेड व नाथद्वारा में दस बेड के अ श्रेणी के अस्पताल है, मगर किसी भी जगह इनडोर सुविधा शुरू नहीं हो पाई और न ही विशेषज्ञ वैद्य लगे। राजसमंद में तो भवन के अभाव में एक कमरे में आउटडोर मरीजों को देखा जा रहा है। इसके अलावा कई औषधालय में न चिकित्सक है और न ही कम्पाउडर। वैकल्पिक तौर पर नजदीकी औषधालय का वैद्य या कम्पाउंडर कुछ समय के लिए वहां की व्यवस्था देख रहा, जिससे दोनों ही जगह की व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही है। ऐसे में दो दर्जन औषधालयों पर ताले की नौबत आ गई है।
क्या सफल होगी सीएम की आधारशिला?
केरल की दर्ज पर फतेहपुर में मेडिटूरिज्म को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा प्रदेश के पहले पहले मॉडल हेल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर की आधारशिला रखी जाएगी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक डॉ. सीपी जोशी, प्रदेश आयुक्त मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग जिला प्रभारी और सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना भी मौजूद रहेंगे, लेकिन आयुर्वेद महकमे के पिछले तीन दशक के जो हालात रहे, वैसे ही हालात बने रहे, नहीं लगता कि सीएम गहलोत द्वारा रखी जा रही आधारशिला सफल हो जाएगी।
जिले में 98 औषधालय, कई पड़े हैं बंद
जिलेभर में 98 आयुर्वेद औषधालय हैं, मगर आधे से ज्यादा अस्पतालों में डॉक्टर ही नहीं है, जबकि 60 से 70 फीसदी कम्पाउंडर के पद रिक्त है। ऐसे में मरीजों को चिकित्सा सुविधाओं के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है। हालात ऐसे है कि कुछ औषधालयों के तो ताले खोलने वाला ही कोई नहीं है।
बिना स्टाफ कैसे मिलेगा आयुर्वेद का लाभ
वैध, नर्स व स्टाफ की कमी के चलते लोगों को आयुर्वेद का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विभाग के अतिरिक्त निदेशक प्रशासन महेंद्र लोढ़ा ने बताया कि जिले में आधे से ज्यादा पद खाली है। इस बारे में सरकार स्तर पर पत्र भी लिख दिया है। विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद भी रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी
चिकित्सकों के अलावा भवनों का भी अभाव
मुख्यमंत्री खुद वैलनेस सेंटर की आधारशिला रख रहे है। वहीं विभाग की अगर अस्पतालों की बात की जाए तो जिले में 10 से अधिक स्थानों पर आयुष हॉस्पिटल के लिए भवन भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में पंचायतों की मेहरबानी से विभाग के चिकित्सालयों का संचालन किया जा रहा है। पिछले तीन-चार सालों में सेमल, सालोर, सेवंत्री, सादड़ी ग्राम पंचायत सहित सहित पंचायतों के लिए करीब 2 दर्जन नए भवनों का निर्माण हुआ है।
ये है मौजूदा स्टाफ के हालात
पद …… स्वीकृत …. कार्यरत …. रिक्त
चिकित्सक …. 104 ….. 52 …. 52
नर्स-कम्पाउंडर … 118 ……. 53 ….. 65
परिचारक …. 75 …… 30 ….. 45