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लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

पिछले दिनों हुए पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। हर जगह कार्यकर्ता नाराज होकर छिटक रहे हैं और कार्यकर्ताओं के साथ आमजन का विश्वास कैसे जीता जाए, इसके लिए हाल ही उदयपुर में राष्ट्रीय नवसंकल्प शिविर आयोजित किया गया। इसमें भी आम कार्यकर्ता को तव्वजो देने की बात ही केन्द्र में रही, लेकिन धरातल पर अगर देखा जाए, तो कांगे्रस के कार्यकर्ता क्या हश्र हो रहा है, इसका एक जीता जागता उदाहरण राजसमंद के गजानन वाटिका में आयोजित ब्लॉक चुनाव की तैयारी बैठक में खुलकर सामने आ गया।

बैठक में पूर्व उप जिला प्रमुख मदनलाल गुर्जर उठकर जब कांगे्रस के आम कार्यकर्ता का दर्द बताने लगे, तो बैठक में मौजूद सभी लोग तालियां बजा बजाकर उन्हें समर्थन देते दिखाई दिए। प्रदेश व जिला के वरिष्ठ नेता मंच पर मौन रहे, लेकिन गुर्जर धाराप्रवाह बोलते ही रहे कि अगर भविष्य में पार्टी को मजबूत करनी है, तो नेताओं की जी हजूरी बंद करनी होगी और कार्यकर्ता को स्वतंत्र करना होगा। तभी कार्यकर्ता की सरकारी दफ्तरों में ुसुनवाई होगी। पूर्व उप प्रमुख बोले कि आज कोई भी कांगे्रस कार्यकर्ता पुलिस थाने या किसी दफ्तर में चला जाए, तो हर कार्य के लिए कार्यकर्ता को पैसे देने पड़ते हैं, जबकि प्रदेश में कांगे्रस की सरकार है। इससे बड़ी दुर्गति कांगे्रस कार्यकर्ता की और क्या हो सकती है।

कल तक बीजेपी की जय बोलने वाले आ कांग्रेस का वरिष्ठ कार्यकर्ता कैसे

पूर्व उप प्रमुख ने खुलकर कहा कतिपय नेता अपने स्वार्थ सिद्धी में जुटे हैं। तभी कल तक बीजेपी की जय जयकार करने वाला आज कांगे्रस में वरिष्ठ कार्यकर्ता हो गया, जबकि पुराना कार्यकर्ता कई वर्षों आज भी जाजम ही उठा रहा है। साथ ही जिला कार्यकारिणी के गठन व पदाधिकारी की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठाए।

पूर्व उप प्रमुख बोले- कांग्रे में नेता चला रहे मनमानी

पूर्व उप प्रमुख गुर्जर ने कहा कि कांगे्रस में आज नेता ही अपनी मनमानी चला रहे हैं और यहां कार्यकर्ता का कोई धणी धोरी नहीं रह गया है। इस कारण पार्टी कैसे मजबूत व सशक्त होगी। कार्यकर्ता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। क्योंकि प्रदेश में सरकार होते हुए भी कार्यकर्ता की सरकारी दफ्तरों में कोई सुनवाई नहीं हो रही है। कार्यकर्ता के छोटे छोटे कार्य भी नहीं हो पा रहे हैं। क्योंकि नेताजी को कार्यकर्ता की कोई फिक्र ही नहीं रह गई है।

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आखिर क्यों चुप रहे जिलाध्यक्ष राठौड़

भरी बैठक में पूर्व उप जिला प्रमुख गुर्जर ने कांगे्रस के अन्तर्कलह व आम कार्यकर्ता की नाराजगी का मुद्दा उठाया। बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ने तालियां बजाकर उन्हें समर्थन भी दिया, लेकिन जिलाध्यक्ष हरिसिंह राठौड़ ने इसका जवाब देना तक उचित नहीं समझा। इस कारण कार्यकर्ता आपस में फुसफुसाते रहे कि जिलाध्यक्ष को तो कोई लेना देना ही नहीं। फिर कोई कार्यकर्ता क्यों जी जान से पार्टी के लिए कार्य करें। इससे सवाल उठ रहा है कि क्या आम कार्यकर्ता का हश्र आगे भी ऐसा होता रहेगा।

कार्यकर्ता को टीए- डीए थोड़े देते हो

पूर्व उप प्रमुख ने कहा कि बड़े मंत्री या नेताओं की सभा में कार्यकर्ता को एक कॉल कर बुला लेते हो, लेकिन क्या कार्यकर्ता का कोई टीए डीए थोड़े मिलता है। वह कार्यकर्ता वहां से आता है तो 500 रुपए लगते हैं। कार्यकर्ता तो सिर्फ यह चाहता है कि उसे तव्वजो मिले और सरकारी दफ्तरों में आम लोगों का छोटा मोटा कार्य हो जाए। लेकिन नेताओं का कार्यकर्ता पर अनैतिक दबाव बहुत बढ़ गया है। ब्लॉक अध्यक्ष बने, वे स्वतंत्र होने चाहिए और आम कार्यकर्ता जो कहे, वह कार्य होना चाहिए। उसमें बड़े नेता या पूर्व विधायक कोई दखल नहीं करने चाहिए।

बैठक में ये थे मौजूद

जिलाध्यक्ष हरिसिंह राठौड़, कुंभलगढ़ पूर्व विधायक गणेशसिंह परमार, पूर्व जिला प्रमुख नारायणसिंह भाटी, नानालाल सार्दुल, शांतिलाल कोठारी, नरेंद्रसिंह, सेवादल जिलाध्यक्ष पुष्कर श्रीमाली, चुन्नीलाल पंचोली, पूर्व सभापति आशा पालीवाल, बहादुरसिंह चारण, कुलदीप शर्मा, दिग्विजयसिंह राठौड़, मुकेश भार्गव, मनोहर कीर के साथ जिलेभर कांगे्रस कार्यकर्ता मौजूद थे।