दो अलग-अलग स्थानों पर मगरमच्छ के हमले से एक युवक और एक किशोर गंभीर रूप से घायल हो गया। पहली घटना बसई डांग थाना इलाके की है। जहां चंबल नदी में पानी भरने गए 19 वर्षीय युवक पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। युवक के हाथ पैर एवं पेट में गंभीर घाव होने पर परिजनों ने जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया है। बसई डांग क्षेत्र के पूर्व सरपंच महेश गुर्जर ने बताया कि उसका 19 वर्षीय भतीजा अजय पुत्र अमरेश खेतों पर काम कर रहा था। खेतों पर काम करने के बाद युवक चंबल नदी में पानी भरने गया था।
युवक ने जैसे ही नदी किनारे से पानी भरने का प्रयास किया उसी वक्त मगरमच्छ ने हमला कर दिया। मगरमच्छ युवक को पकड़कर नदी में ले जाने लगा। युवक की चीख-पुकार सुनकर खेतों में काम कर रहे अन्य लोग मौके पर पहुंच गए, जिन्होंने पत्थर एवं डंडे मार कर कड़ी मशक्कत के बाद युवक को मगरमच्छ के जबड़े से मुक्त कराया। लेकिन मगरमच्छ के हमले में युवक के पेट एवं हाथ पैरों में गंभीर घाव हो गए।
चंबल नदी के तटवर्ती इलाकों में लगातार मगरमच्छ हमलावर हो रहे हैं। लेकिन प्रशासन की समझाइश के बाद भी लोग जागरुक नहीं हो रहे हैं। चंबल नदी में बारिश के समय मगरमच्छ एवं घड़ियालों का खतरा बना रहता है। चंबल नदी के इलाकों में रहने वाले कई लोग मगरमच्छ के हमले में अपनी जान गवा चुके हैं। इस सबके बावजूद लोग सावधानी नहीं बरत रहे हैं।
वन्य जीव के जानकार राजीव तोमर का कहना है कि मार्च के बाद से बारिश खत्म होने तक नदी के किनारे नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अप्रैल में मगरमच्छ की नेस्टिंग होती है। 70 से 90 दिन में बच्चे बाहर निकल आते हैं।
इन दिनों मगरमच्छ के बच्चे अंडों से निकलकर पानी में रहते हैं। मेल मगरमच्छ बच्चों को मुंह में रखकर किनारे तक लाकर छोड़ देता है। वहीं मादा मगरमच्छ बच्चों की देखभाल करती है। किसी के भी पानी के किनारे पर जाने से मादा मगरमच्छ को महसूस होता है कि उनके बच्चों को खतरा है तो वह हमला कर देती है।
मानसून के बाद और सर्दियों में नदी किनारे जाने से मगरमच्छ हमला नहीं करते हैं। तोमर का कहना है कि इस समय लोगों को नदी किनारे जाने से बचना चाहिए। साथ ही प्रशासन को भी लोगों को जागरूक करने के लिए बोर्ड आदि लगवाना चाहिए। ताकि लोगों को पता रहे कि और वे पानी के किनारे नहीं जाएं।
मगरमच्छों के हमलों को देखते हुए प्रशासन लगातार सजग रहने की चेतावनी देता रहा है। उसके बावजूद भी ग्रामीण गंभीर नहीं है। जिसके कारण आए दिन मगरमच्छों का शिकार होते रहते हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों को निर्देश दे रखे हैं कि जहां भी नदी के किनारे लोगों का आना-जाना होता है वहां उन्हें सावधान करने के लिए संकेतक बोर्ड लगाए जाएं। इसके बावजूद भी कई जगहों पर संकेतक नहीं लगाए गए।
दूसरी घटना सरमथुरा थाना क्षेत्र के गांव काली तीर की है। जहां चंबल नदी के घाट पर बकरियों को पानी पिलाने गए 15 वर्षीय किशोर पर मगरमच्छ ने हमला कर दिया। मगरमच्छ द्वारा किए गए हमले में किशोर गंभीर रूप से घायल हो गया। किशोर के हाथ एवं पैरों में गंभीर चोट आने पर जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया है।
जानकारी के मुताबिक सरमथुरा थाना क्षेत्र के गांव काली तीर निवासी 15 वर्षीय किशोर मातादीन पुत्र लाखन सिंह बकरियों को चंबल नदी के घाट पर पानी पिलाने गया था। नदी के किनारे पर किशोर खड़ा हुआ था। अचानक घात लगाकर मगरमच्छ ने किशोर के पैर को पकड़ लिया।
मगरमच्छ किशोर को पानी की तरफ खींचने लगा। चीख-पुकार सुनकर लोग मौके पर पहुंच गए। जिन्होंने पत्थर एवं डंडे मार कर किशोर को मगरमच्छ से मुक्त कराया। बालक के हाथ एवं पैर में गंभीर जख्म हुए हैं। जिसे गंभीर हालत में जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया है। गौरतलब है कि चंबल नदी के घाट पर आए दिन मगरमच्छों के हमले होते रहते हैं। सरकार पूर्व में ही चंबल नदी को घड़ियाल क्षेत्र घोषित कर चुकी है।