आमजन के जीवन में दान का बड़ा महत्व है। दान के कई स्वरूप व तरीके है। उनमें से ही देहदान के मायने सबसे अधिक है। देहदान से व्यक्ति मरणोपरांत भी किसी को जीवनदान दे जाता है। साथ ही भावी चिकित्सक को गढऩे में भी उसका शरीर भागीदार बन सकता है, जो डॉक्टर बनकर लाखों लोगों की जान बचाता है। कुछ इसी प्रेरणा के चलते राजसमंद जिले में कुकरखेड़ा (भीम) निवासी फतहलाल दक का मरणोपरांत देहदान हुआ, जो अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणास्पद पहल है।
धर्म व आडंबर के तमाम मिथको से ऊपर उठ दुनिया से जाते-जाते फतहलाल दक कई लोगों के प्रेरणा स्रोत बन गए। मरने के बाद भी हमारा शरीर किसी के काम आए, मेडिकल विद्यार्थी उसका अध्ययन करें और उससे बेहतर चिकित्सक बनकर मानवता की सेवा करें, ऐसी सोच को अंगीकार करने वाले कूकर खेडा भीम निवासी 86 वर्षीय फतहलाल दक के शुक्रवार को सूरत में निधन पश्चात परिजनों ने सरकारी मेडिकल कॉलेज सूरत में देहदान कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं रेडक्रॉस सोसायटी प्रदेश प्रतिनिधि राजकुमार दक ने बताया कि उनके द्वारा स्वर्गीय फतहलाल दक को देहदान के लिए प्रेरित कर 24 नवंबर 2021 को देहदान का संकल्प पत्र आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर के एनाटॉमी विभाग में पंजीकृत करवाया था। शुक्रवार सुबह निधन सूरत में हो गया, जिस पर परिजनों की सूचना पर सूरत मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ धनंजय पाटील से समन्वय स्थापित कर उनके पुत्र उत्तम दक एवं मुकेश दक ने परिजनों एवं रिश्तेदारों की उपस्थिति में चिकित्सालय प्रशासन को देह सौंपी। देहदान में भीम निवासी पुखराज दक की अहम भुमिका रही। इसके अलावा फतहलाल दक की धर्मपत्नी श्रीमती सुंदर देवी ने भी देहदान का संकल्प कर रखा है, जो आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में पंजीकृत है। इस अवसर पर उत्तम दक, महेंद्र मेहता, आनंद दक, चेतन खमेसरा, मुकेश दक, विमल मांडोत, चिराग दक, राजमल चावत, निर्मल पितलिया, राकेश बोहरा आदि मौजूद थे।