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10 दिन पहले जिसे मृत समझ कर दिया था अंतिम संस्कार, उसे जिंदा देखकर चौंक गया हर कोई

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राजसमंद शहर में जिसे दस दिन पहले मृत समझ, कर दिया था अंतिम संस्कार, वह जिंदा घर लौट आया तो परिजनों के साथ हर कोई चौंक गया। भाई व बच्चों ने सिर मुंडवा दिए और घर पर 10 दिन से गमी का माहौल था और इसी बीच दिन में करीब 1 बजे तपती धूप में लोकडाउन के कारण सडक पर पसरे सन्नाटे में पुन: युवक को जिन्दा देखकर एकाएक हर कोई चौंक गया। दस दिन पहले अपने पिता को मृत समझ कर सिर मुण्डवा दिया, उन्ही को घर के पास गली की चबुतरी पर बैठे देखकर बेटा ही चौंक गया। जब घर आकर बडे पापा को कहा तो उन्होंने विश्वास ही नहीं किया मगर जब लडके ने अपनी माँ को कहा तो वह अपने पति को देखने के लिए दौड़ पड़ी। जिनकी मृत्यु के समाचार ने अपने माथे का सिन्दुर छीन लिया था। मगर आज फिर उन्हे जिन्दा देखते ही लिपट गयी। जाहिर सी बात है कि पत्नी के लिए तो परमात्मा ने उसे पुरी दुनिया की दॊलत पुनः लौटा दी हो। ऐसे में उसका भावुक हो जाना स्वाभाविक है। मृत मानकर परिवार का गमगीन माहोल अब उत्सव में बदल गया। लोगों के अब सवाल उठ रहे हैं जिसे मृत समझकर अंतिम संस्कार कर दिया, वह जिंदा है, तो फिर जिसका अंतिम संस्कार किया वो कॊन था ? शव का न तो पोस्टमार्टम हुआ और न ही विसरा रिपोर्ट ली। अब ऐसे में पुलिस कैसे पता करेगी कि जिसका अंतिम संस्कार कर दिया, वह कौन था। इससे अस्पताल के साथ पुलिस सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।

जानकारी के अनुसार 11 मई को मोही रोड पर एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला, उसे 108 एम्बुलेंस से आरके जिला चिकित्सालय पहुंचा दिया। फिर जिला अस्पताल प्रशासन ने कांकरोली पुलिस को पत्र भेजकर उसकी पहचान के लिए कहा। पुलिस ने पहचान के प्रयास किए, मगर पता नहीं चल सका। फिर 15 मई को हेड कांस्टेबल मोहनलाल अस्पताल पहुंचे, जहां सोशल मीडिया पर वायरल फोटो के आधार पर पुलिस ने विवेकानंद चौराहा, कांकरोली निवासी ओंकारलाल गाडोलिया लौहार के भाई नानालाल व परिजनों को बुला लिया। नानालाल ने पुलिस को बताया था कि उसके भाई ओंकारलाल के दाएं हाथ में कलाई से लेकर कोहनी तक लम्बा चोट का निशान है। वहीं बाएं हाथ की दो अंगुलिया मुड़ी हुई हैं। ऐसे में अस्पताल प्रशासन व पुलिस ने शव तीन दिन पुराना व डी फ्रिज में होने का हवाला देकर हाथ के निशान मिटने की बात कहकर परिवार को शव सॊंप दिया। फिर पुलिस व अस्पताल प्रशासन ने बिना पोस्टमार्टम करवाए ही पंचनामा बनाकर शव दे दिया और परिजनों ने औंकारलाल गाडोलिया लौहार समझकर अंतिम संस्कार भी कर दिया। पिछले 10 दिनों से परिवार में गमी का माहौल था। ऒर अचानक औंकारलाल घर लौट आया, तो परिजन चौंक गए।
औंकारलाल ने बताया कि 11 मई को परिजनों को बताए बगैर ही उदयपुर गया था। तबीयत खराब होने पर उदयपुर अस्पताल में भर्ती हो गया, जहां कुछ दिनों बाद छुट्टी मिली ऒर राजसमंद लौटा, तो देखा उसकी तस्वीर पर माला चढ़ी थी और भाई व बच्चों ने सिर मुंडवा रखे थे।
इधर घटना के बाद अब कांकरोली थाना पुलिस द्वारा जांच शुरू कर दी गई है कि आखिर जिसका अंतिम संस्कार कर दिया था वह व्यक्ति कौन था इसको लेकर कांकरोली थाना प्रभारी योगेंद्र व्यास के साथ ही पूरी टीम इसकी तहकीकात में जुट गई हैं।

औंकारलाल को देख बच्चा बोला चाचा पापा आ गए
नानालाल ने बताया कि रविवार दोपहर करीब 2 बजे ओंकारलाल कांकरोली की ओर से कपड़े और बाल बिखरे हुए आ रहा था। ओंकारलाल के छोटे बेटे ने कहा चाचा-चाचा पापा आ गए। सुनकर आश्चर्य हुआ लेकिन उठकर देखा तो वास्तव में ओंकारलाल था। इस पर औंकार की पत्नी बाहर आई और विश्वास जताते हुए ओंकारलाल को नहलाया और नए कपड़े पहनाने के बाद घटनाक्रम पूछा।


सोशल मीडिया पर ओंकार के फोटो व शव का मिलान कर पुलिस ने करवा दिया अंतिम संस्कार

शहर के विवेकानंद चौराहा पर काफी लम्बे समय से गाडुलिया लोहार का परिवार झोपड़ी बनाकर रह रहा हैं। ओंकारलाल शराब पीने का आदी था। वह 11 मई को उदयपुर चला गया। 11 मई को 108 एंबुलेंस मोही रोड मिलने की सूचना पर गई, शव को लेकर आरके अस्पताल मोर्चरी डी फ्रीज में रखा। शिनाख्त के तौर पर दो दिन बाद आरके अस्पताल के पीएमओ डॉ. ललित पुरोहित ने कांकरोली पुलिस को पत्र लिखकर शव होने की जानकारी दी। इस पर कांकरोली पुलिस ने खोजबीन की लेकिन शव के वारिश का पता नहीं चला। ऐसे में सोशल मीडिया से शव से मिलता हुआ चेहरा ओंकारलाल का होने की जानकारी मिली। इस पर आरके अस्पताल प्रशासन ने कांकरोली पुलिस को सूचना दी। कांकरोली पुलिस के हेड कांस्टेबल मोहनलाल पहुंचे और 15 मई को ओंकारलाल के भाई नानालाल व अन्य परिजनों को आरके अस्पताल बुलाया। जहां नानालाल ने बताया कि मेरे भाई ओंकारलाल के दाएं हाथ में कलाई से लेकर कोहनी तक लम्बा चोट का निशान है। वहीं बाएं हाथ की दो अंगुलिया मुड़ी हुई हैं। ऐसे में अस्पताल प्रशासन व पुलिस ने शव तीन दिन पुराना व डी फ्रीज में होने का हवाला देकर हाथ के निशान मिटने की बात कहकर परिवार को शव दे दिया।

परिजनों के पहचान करने पर दिया शव
इधर कांकरोली थाना प्रभारी योंगेद्र व्यास द्वारा मीडिया को बताया कि आरके अस्पताल के पीएमओ ललित पुरोहित का पत्र मिला की मोर्चरी में शव है। जांच करके शव को ले जाया जाएं। पुलिस फोटो के आधार पर शव की शिनाख्त करने में लगी थी। तभी अस्पताल प्रबंधन से फोन आया कि शव के वारिश आ गए। इस पर पुलिस मौके पर पहुंची और अस्पताल प्रबंधन की रिपोर्ट और मृतक ओंकारलाल के भाई की रिपोर्ट लेकर शव बिना पोस्टमार्टम पंचनामा के आधार पर परिजनों की शिनाख्ती पर सौंप दिया। ओंकारलाल जीवित है तो मृतक कौन था, इसकी शिनाख्त फिर से करेंगे। नियमानुसार अज्ञात शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करने के बाद डीएनए टेस्ट व विसरा लिया जाता है। जिसे वारिश का पता लगने के बाद उससे मिलान कराते हैं। ओंकारलाल के शव को परिजनों ने पहचान करने से विसरा या डीएनए टेस्ट नहीं किया।

इसी तरह पीएमओ डॉ. ललित पुरोहित ने बताया कि तीन दिन से मोर्चरी में शव रखा था। पुलिस को सूचना देकर शव की शिनाख्त करके निस्तारण करने को कहा। पुलिस ने अपने स्तर पर जांच करके शव परिजनों को सौंप दिया। पुलिस ने किसी प्रकार की तहरीर नहीं देने से पोस्टमार्टम नहीं किया।

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