राजसमंद। नरेंद्रसिंह के नौ साल के बेटे शैतानसिंह और 13 साल की बेटी तरूणा मां इन्द्रा देवी से हर सुबह यही पूछते है कि मां… पापा कब आएंगे अब और कितने दिन लगेंगे। शाम हो जाती है, रात ढल जाती है। उनकी आंखों में पिता के आने का इंतजार खत्म नहीं होता, मगर आंखे भी अब थक चुकी है। होठों पर एक ही सवाल है मगर वे भी सिलने लगे है। घर के दरवाजे पर आखिरी बार पिता की दस्तक का इंतजार है।
यह मामला है राजसमंद जिले के भीम उपखंड क्षेत्र के बली जस्साखेड़ा निवासी 38 साल के नरेंद्रसिंह की 15 दिन पहले हुई मौत के बाद शव के घर लौटने के इंतजार में पसरा है। दुबई के आबूधाबी में गत 2 जून को नरेंद्र की मौत हार्टअटैक के कारण हो गई थी। उसकी सूचना ही परिजनों को चार दिन बाद 7 जून को मिली। उसके बाद भी नौ दिन और गुजर गए, मगर परिजनों के अब भी शव आने का इंतजार ही है।
4 मार्च को गया था दुबई
जसवंतसिंह का बेटा नरेंद्रसिंह गत 4 मार्च को आबूधाबी में यूनाइटेड इंटरनेशल ग्रुप में मैनपॉवर रिक्रूटमेंट कम्पनी के गैस प्लांट पर काम करने गया था। परिजनों ने बताया कि उसे ले जाने वाले एजेंट ने गत 7 जून को मैसेज भेजकर नरेंद्र की 3 जून को हार्टअटैक से मौत होने की जानकारी दी। शव कब आएगा, इसके बारे में उसने कुछ नहीं बताया। परिजन असमंजस में है कि कहां से मदद मांगे, पूछे तो किससे?
मृतक के भाई लक्ष्मणसिंह व परिजनों ने दो दिन पहले विधायक सुदर्शनसिंह रावत व उपखण्ड अधिकारी के जरिए जिला कलक्टर को प्रार्थना पत्र देकर शव लाने की गुहार लगाई, मगर घरवालों को अब तक कोई ऐसा जवाब नहीं मिला, जिससे वे दिलासा पा सकें या भरोसा कर सकें।
पत्नी व बच्चों का सहारा छिना
नरेंद्रसिंह के बेटे-बेटी और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। नरेंद्रसिंह के पिता का देहांत हो चुका है। घर में वृद्ध मां केली देवी है जो भी बेटे की मौत के बाद अब पूरे परिवार को कौन सम्भालेगा, ये चिंताए उभर आई है। पूरे गांव का माहौल भी गमगीन बना हुआ है।