राजसमंद जिले के नगरपालिका देवगढ़ में अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली के साथ कार्मिकों से 13 जनवरी 2023 को विवाद के बाद नगरीय निकाय विभाग जयपुर द्वारा जांच के बाद देवगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष शोभालाल रेगर को निलंबित कर दिया। साथ ही अब इस प्रकरण की न्यायिक जांच होगी। उल्लेखनीय है इस घटना के बाद भाजपा व कांग्रेस के पदाधिकारियों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। अध्यक्ष रेगर ने मीडिया को बताया कि जांच नियम विरुद्ध हुई और उनके निलंबन की कार्रवाई भी राजनीति से प्रेरित बताई और भीम विधायक सुदर्शनसिंह रावत के दबाव में यह कार्रवाई होने का आरोप लगाया है, जबकि विधायक रावत ने इस सारे आरोपों को निराधार बताया है। खास बात यह है कि जांच रिपोर्ट और निलंबन आदेश में नगरपालिका अध्यक्ष शोभालाल रेगर पर पद के दुरुपयोग करने का आरोप है। नगरीय निकाय विभाग जयपुर के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव हृदेश कुमार शार्मा ने निलंबन के आदेश जारी किए। इसके तहत 13 जनवरी को उप निदेशक के वार्षिक निरीक्षण के दौरान ही नगरपालिका अध्यक्ष व अधिशासी अधिकारी के बीच पत्रावलियों को लेकर विवाद हुआ था, जिसका भी जिक्र इसमें किया गया है। साथ ही पालिकाध्यक्ष पर उनके अधिकारों के विरुद्ध जारी कर कर्मचारियों को नोटिस देने के आरोप है।
उल्लेखनीय है कि नगरपालिका देवगढ़ में शोभालाल रेगर के अध्यक्ष बनने के साथ ही अधिशासी अधिकारी कृष्णगोपाल माली के बीच मतभेद शुरू हो गए थे। कई बार अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के बीच तकरार हुई और विवाद हुआ, मगर इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया। इसी वजह से न तो नियमित नगरपालिका बोर्ड की बैठकें हो पा रही है और न ही देवगढ़ शहर को व्यवस्थित विकास हो पा रहा है। लंबे समय से अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी के बीच मतभेद चल रहा है, जिसको लेकर दफ्तर में भी कई बार तकरार हुई और इसको लेकर अलग अलग आदेश भी ईओ व अध्यक्ष द्वारा जारी किए गए, जिसकी वजह से ही नगरपालिका प्रशासन में विरोधाभासी हालात उत्पन्न हुए हैं। इसका खमियाजा देवगढ़ शहर के आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
सरकार से अनुमोदन के बाद किया निलंबन
देवगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष शोभालाल रेगर को निलंबन करने के मामले में की अब न्यायिक जांच राज्य सरकार द्वारा करवाई जाएगी। इसकी न्यायिक जांच के लिए विधि विभाग को मामला भेज दिया गया है। अब राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के तहत दोषी पाए जाने पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (6) के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर शोभालाल रेगर को नगरपालिका अध्यक्ष पद व नगरपालिका देवगढ़ के सदस्य पद से तुरन्त प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। साथ ही निलंबन आदेश को सक्षम स्तर से अनुमोदित भी बताया गया।
21 अप्रैल को ही हो गया निलंबन, आदेश अब तक नहीं
नगर निकाय विभाग जयपुर निदेशक एवं संयुक्त सचिव हृदेश कुमार शर्मा की ओर से 21 अप्रैल 2023 को ही आदेश जारी कर दिए गए। यह आदेश राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के अन्तर्गत प्राथमिक जांच में दोषी पाए जाने देवगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष शोभालाल रेगर को निलम्बित किया है। साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार ने पालिकाध्यक्ष के विरुद्ध न्यायिक जांच कराने का भी निर्णय लिया है। विभाग ने संयुक्त विधि परामर्शी को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया है, जो अब इसकी जांच करेंगे। संयुक्त विधि परामशी को अधिशासी अधिकारी की शिकायत, जांच रिपोर्ट की प्रमाणित कॉपी, आरोप पत्र, आरोप विवरण पत्र, दस्तावेज व गवाहों की सूची, नगरपालिकाध्यक्ष से मांगे गए स्पष्टीकरण, नोटिस एवं जवाब की प्रमाणित प्रतिलिपियां भी दी गई है।
दो आरोप में दोषी पाए जाने पर हुआ निलंबन
- 1 आरोप : नगरपालिका अध्यक्ष देवगढ़ के पद पर रहते हुए अपने ही कार्यालय में अधिशाषी अधिकारी कृष्णगोपाल माली के साथ अशोभनीय व अमर्यादित व्यवहार किया गया। पत्रावली टेबल पर फेंकना और गाली-गलोच करने के आरोप है। साथ ही अधिशासी अधिकारी के समक्ष तेज आवाज में बोलकर डराने का प्रयास का आरोप है और पत्रावली को स्वीकृत नहीं करने के दबाव का आरोप है। अध्यक्ष ने राजकमल एवं नीरज कुमार की पत्रावली 2019 से पेडिंग होना बताया है। अधिशाषी अधिकारी इसका निस्तारण समय पर नहीं कर रहे थे, तो इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से लिखित रूप में नहीं की। अध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी के विवाद में नगरपालिका के कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार किया, जिससे शहर की व्यवस्थाएं प्रभावित हुई। इस तरह आचरण को भी कतृव्य व पद दुरुपयोग का माना गया।
- 2 आरोप : देवगढ़ शहर में सफाई प्रभावित होने से नगरपालिका व सरकार की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ा। कर्मचारियों के कार्य बहिष्कार करने पर समझाइश की बजाय पदीय दायित्व के विरुद्ध कर्मचारी संघ अध्यक्ष धर्मसिंह (वरिष्ठ सहायक) को हड़ताल समाप्त करने के लिए 16 जनवरी, 2023 को नोटिस जारी करना भी विधि विरुद्ध बताया है। अधिशाषी अधिकारी से अभद्रता का झूठा आरोप लगा कार्मिकों को हड़ताल करने के लिए उकसाने का आरोप है। साथ ही हडताल खत्म नहीं करने पर कर्मचारियों पर कार्यवाई की चेतावनी दी गई थी। धर्मसिंह को दिए नोटिस रद्द करने की मांग उठाई गई थी। फिर 20 जनवरी 2023 को दिए पत्र को निदेशालय के आदेशों की पालना में विधि सम्मत नहीं मानते हुए अपास्त कर दिया गया। यदि नोटिस को कर्मचारियों की मांग के अनुसार नगरपालिका अध्यक्ष के स्तर पर निरस्त किया जाता तो कर्मचारियों में आक्रोश नहीं बढ़ता और समय पर हड़ताल खत्म हो जाती। इस तरह नगरपालिका अध्यक्ष को इन आरोपों में भी दोषी माना गया।