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परम्परा, धार्मिक आस्था व उल्लास की प्रतीक है दीपावली : Deepawali festival in indian history

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हमारे देश में दिवाली को प्राचीनकाल से ही कार्तिक माह मे मनाया जाता है। भारत में वैसे तो हर त्यौहारों व पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो भारतीय इतिहास व संस्कृति में अपना विशेष महत्व रखता है। बताया जाता है कि पद्म पुराण व स्कन्द पुराण मे दीपावली का उल्लेख मिलता है। दीपावली का इतिहास रामायण से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि श्री राम जब माता सीता व लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पुरा करके अयोध्या लौटे तब अयोध्यावासियों ने श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण के स्वागत में दीप जलाएं थे। माना जाता है कि तब से दीपोत्सव का त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार दशहरे के बाद आता है। हिन्दू धर्म में दीपावली के पर्व को सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है। भारत में इस त्यौहार को बड़े उच्चतम तरीकों से मनाया जाता है। लोग अपने घरों को जलते दिए व रंगीन टिमटिमाती लाइटों से सजाते हैं। ऐसे में व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों को भी बड़े खूबसुरत तरीके से सजाते हैं।

दीपावली पर्व से पहले ही लोग लक्ष्मी के स्वागत को लेकर घर- दफ्तर, दुकान की अच्छे से साफ सफाई करते हैं। घर में जो भी कूड़ा कचरा होता है, उसे साफ कर दिया जाता है। घर- आंगन को रंगोलियाें से सजाते हैं, तो दीवारों पर मांडणे बनाने की भी पुरातन परम्परा है। दीपावली के पर्व को अब पांच दिनों तक दीपोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें खास तौर धनतेरस से ही यह पर्व शुरू हो जाता है, जो रूप चतुदर्शी, दीपावली, खेखरा और भाईदूज तक लगातार त्यौहारी रौनक घरों के साथ बाजार में भी दिखाई देती है। खास तौर से अगर बात हमारे देश के राजस्थान के मेवाड़ की करें, तो यहां का दीपोत्सव धार्मिक आस्था के केंद्र श्रीनाथजी, श्री द्वारकाधीश मंदिरों की परम्परा के चलते अनूठे अंदाज में मनता है। खास तौर से नाथद्वारा का दीपोत्सव देखने के लिए गुजराती वैष्णव से लेकर देशभर के विभिन्न अंचलों से श्रद्धालु पहलेे पहुंच जाते हैं। इन दोनों मंदिरों में दीपावली पर्व बड़े ही अनूठे अंदाज व परम्परा से मनाते हैं। यह परम्परा आज भी जीवंत प्रसंगों पर आधारित है।

दीपावली का पर्व मनाने के पीछे कई किस्से जुड़े हैं। चाहे जो भी किस्से रहे हो, मगर एक बात जरूर है कि यह दीपावली का पर्व आनंद व खुशियां बांटने का पर्व है। घर आंगन में दीपक झिलमिलाते हैं, तो चौतरफा रोशनी उभर आती है, तो खुशियों का संचार होता है। दीप जलाने से शारीरिक व आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है।

दीपावली पर्व मनाने के हर प्रांत में अलग- अलग तरीके हैं। घर-आंगन, दफ्तर में साफ सफाई तो आम है, मगर देश के पूर्व- पश्चिम, उत्तर व दक्षिण में दीपोत्सव मनाने की अलग अलग परम्पराएं है। इसके तहत लक्ष्मीजी के पूजन की विधि भी अलग अलग है, तो हर क्षेत्र का पहनावा और उनकी संस्कृति भी अलग है। दीपक, रंगोलियां, मिठाई खाना व खिलाने एक जैसा है, तो उसके तौर तरीके भिन्न है। लक्ष्मीजी की पूजा के बाद आतिशबाजी की परम्परा है।

दीपावली का त्यौहार का धार्मिक महत्व के साथ आर्थिक महत्व भी है, दीपोत्सव के त्यौहार काे भारत में खरीददारी के रूप में प्रमुख माना जाता है। दीपावली के त्यौहार पर व्यापारियों द्वारा प्रतिष्ठान भी बड़े खूबसुरत रूप से सजाया जाता है। मांगलिक कार्य के लिए दीपोत्सव पर अबूज मुहूर्त और सांवे रहते हैं। इसलिए जमीन, जायदाद, वाहन, ज्वैलरी खरीद की बात हो या नए व्यवसायिक कारोबार की शुरुआत को भी शुभ माना जाता है। इसीलिए दीपावली के पर्व आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है और दीपोत्सव पर सर्वाधिक कारोबार को लेकर व्यवसायी भी उत्साहित रहते हैं, तो खरीददार भी लालायित दिखते हैं। इस तरह दीपावली के पर्व पर सर्वाधिक पैसा बाजार में आता है। दीपोत्सव को व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण भी माना जाता है क्योंकि व्यापारियों के लिए दीपावली एक नववर्ष होता है। दिवाली से पूर्व ही व्यापारी अपना पुराना लेखा-जोखा खत्म कर नया खाता प्रारंभ करते हैं।

भारत में तो दीपावली बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, लेकिन भारत के साथ इन देशों में भी दीपावली को बड़ी उमंग के साथ मनाया जाता है।

  1. अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. न्यूजीलैंड
  4. आस्ट्रेलिया
  5. जर्मनी

दीपोत्सव का लाभ : Deepawali ke labh

Deepawali के नुकसान :

दीपावली का पर्व हमारे लिए जितना लाभकारी है उतना नुकसान दायक भी है। देखिए………

दीपावली का शुभ मुहुर्त

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