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शैक्षिक उत्थान को लेकर एक तरफ राजनेता स्कूलों को क्रमोन्नत करते जा रहे हैं, मगर स्कूलों का भौतिक रूप से विकास करने के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है। कुछ ऐसे हालात बने हुए हैं राजसमंद जिले के सरकारी स्कूलों के। राजसमंद डीएमएफटी फंड से जिले काे तीन साै कराेड़ की आय हाेती है। इससे जिले में विभिन्न विकास कार्य करवाए जाते है, लेकिन जिले के जर्जर व क्षतिग्रस्त सरकारी स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए काेई बड़ा प्रावधान नहीं है। यहां तक आठ माह पूर्व जून माह में जिले में बिपरजाॅय तूफान आया था। इसका सबसे ज्यादा नुकसान जिले के चारभुजा क्षेत्र में हआ था। इस दाैरान जनावद पीईईअाे के अंतर्गत नीमड़ी गांव की राउप्रावि भवन का बरामदा गिर गया। तूफान के हुए नुकसान का आंकलन भी किया गया। लेकिन मरम्मत के लिए काेई बजट नहीं दिया। हालात यह है कि आठ माह से क्षतिग्रस्त भवन का मलबा तक भी नहीं उठाया। इस भवन की पांच पट्टियां भी टूटी हुई। इसके पास के कमराें में बच्चाें बैठाया जा रहा है। जहां कभी भी काेई बड़ा हादसा हाे सकता है। एेसे अाैर भी कई सारे स्कूल भवन जाे जर्जर अवस्था है। जिनके नीचे बच्चे खौफजदा हाेकर पढ़ाई कर कर रहे है। इनकी शिकायत विभाग के अधिकारियों काे करने के बाद भी वह बजट नहीं हाेने की बात कहते है।

राउप्रावि निमड़ी : 8 से मलबा पड़ा हुआ है

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चारभुजा क्षेत्र के जनावद पीईईअाे अंतर्गत नीमड़ी राउप्रावि भवन गत साल 18 जून काे बिपरजाॅय तूफान से स्कूल भवन का बरामदा गिर गया। इसके साथ ही एक कमरे भी क्षतिग्रस्त हाे गया। बरामदे की पांच पट्टियां अाैर टूटी हुई है। लेकिन लाेहे की एंगल पर टिकी हुई है। इसी क्षतिग्रस्त बरामदे के पास ही कक्षा कक्ष में बच्चाें काे बैठाकर पढ़ाई करवाई जा रही है। बिपरजाॅय तूफान से हुए नुकसान का आंकलन करवाया गया। लेकिन मरम्मत के लिए काेई पैसा नहीं अाया। यहां तक आठ माह से टूटी पट्टियाें का मलबा भी ज्यों का त्यों पड़ा हुअा है। आधा बरामदा भी कभी गिर सकता है।

पुठोल स्कूल की छत जर्जर

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जिला मुख्यालय के पास पुठोल पंचायत के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का भवन जर्जर अवस्था में है। स्कूल परिसर में प्रार्थना हॉल जर्जर होकर सीमेंट उखड़ चुकी है और लटक गया है जो कभी भी गिर सकता है। स्कूल स्टाफ ने इस बरामदे के नीचे बच्चों को नहीं बैठा रहे हैं। विद्यालय स्टाफ एवं स्थानीय ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग में कई बार शिकायत की मगर जिम्मेदार इसे गंभीरता से नहीं ले रहे है। अगर बरामदे की छत गिर गई तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। उच्च माध्यमिक विद्यालय सांगठ कला का भवन में कई वर्षों पुराना है। स्कूल में बनने के बाद सरकार इसे सिर्फ क्रमोन्नत करती रही, मगर इसके साथ भवन का विस्तार नहीं किया। इस कारण चार कक्षा-कक्षों तो इतने जर्जर हो चुके है कि बच्चों को इनमें नहीं बैठाया जा रहा है। ऐसी कंडीशन में स्कूल स्टाफ बच्चों को बाहर बरामदे में बैठा रहे है।

राजस्व अधिक फिर भी स्कूल के हालात बदतर

पुठोल व सांगठ कला माइनिंग एरिया में आता है। इस कारण हर महीने सरकारों को करोड़ों रुपए का राजस्व मिलता है जो डीएमएफटी में जाता है। मगर शर्मनाक बात तो यह है कि इतना बजट इस क्षेत्र से जाने के बावजूद भी स्कूलों के हालात बदतर बने हुए है। स्कूलों की छत गिरने की कगार पर है। ग्रामीण कह-कह कर थक चुके है मगर जिम्मेदार इसके प्रति जरा से भी गंभीर नजर नहीं आ रहे है।

सांगठ कला में चार कमरे जर्जर

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राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सांगठ कला में चार कमरे में जर्जर अवस्था है। ऐसे में बच्चों बिठाने में परेशानी हो रही है। इन चार जर्जर कमरों में बच्चों को बैठाने खतरे से खाली नहीं है। मगर स्कूल में कक्षा कक्ष कम होने की वजह से कक्षा 6 और कक्षा 7 के बच्चों को जर्जर कमरों में बैठाना पड़ रहा है। इन कमरों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि ये कभी भी गिर सकते है। स्कूल स्टाफ ने भी कई बार शिक्षा विभाग में शिकायत की मगर न तो नए कमरे बने और न ही जर्जर कमरों की अब तक सुध ली है। इसके अलावा स्थानीय ग्रामीणों ने भी जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों को भी कई बार मौखिक और लिखित में अवगत करवाया मगर किसी ने भी अब तक इस स्कूल की सुध तक नहीं ली है। जर्जर कमरे कभी भी गिर सकते है। इसके अलावा कक्षा नौवीं में बच्चे ज्यादा होने की वजह से क्षमता से ज्यादा बच्चों को एक ही कमरे में बैठाना पड़ रहा है क्योंकि कक्षा कक्ष कम है इस वजह से सभी बच्चों को एक ही कमरे में बैठाना पड़ रहा है।